1974-75 में शासन द्वारा ग्रामीणों को जीवन यापन करने के दिये जमीन के पट्टे,लेकिन 50 साल में जमीन पर नही मिला हक
-प्रशासन का खेल, पट्टे निरस्त कर,दुसरो के दिये पट्टे, राजस्व रिकार्ड में इन्ही के नाम भूमि दर्ज
-न्याय की तलाश में दर-दर भटकते लोग
-रायसेन। जिला मुख्यालय से 5 किलोमीटर दूर स्थित ग्राम बमोरी के कुछ परिवार आज लगभग 50 सालों बाद भी अपने हक के लिए खा रहे हैं दर दर की ठोकरें लेकिन राजस्व विभाग में रिकॉर्ड नहीं मिलने के कारण नहीं हो रही है उनकी कोई सुनवाई।
-रायसेन जिला मुख्यालय से लगभग 5 किलोमीटर दूर ग्राम बमोरी के कई ग्रामीण आज भी अपने हक के लिए लगभग 50 साल से दर दर की ठोकरें खा रहे हैं और तहसील कार्यालय से लेकर कलेक्ट्रेट कार्यालय के चक्कर लगा रहे है।दरअसल पूरा मामला इस प्रकार है कि सन 1974-75 में शासन द्वारा इन ग्रामीणों को जीवन यापन करने के लिए पट्टे दिए गए थे लेकिन कुछ समय बाद ही इनसे पट्टे वापस ले लिए गए और कुछ समय बाद इन ग्रामीणों के पट्टे निरस्त किया कर दिए गए लेकिन शासन के रिकॉर्ड रूम में जमा पंजी में इन ग्रामीणों के नाम आज भी मौजूद हैं लेकिन शासन द्वारा जब उनके पट्टे निरस्त किए गए उसके कुछ समय बाद उसी जमीन के पट्टे दूसरे अन्य लोगों को शासन ने बांट दिए तब से लेकर यह ग्रामीण आज तक अपने हक की लड़ाई लड़ रहे है और लगभग 50 सालों से गुहार लगाते लगाते थक गए हैं लेकिन इनको आर आर नंबर नहीं मिल रहा है इस कारण ये अपना कैसे भोपाल वरिष्ठ कार्यालय में भी नहीं लगा पा रहे हैं और अपने हक की लड़ाई के लिए लगभग 50 सालों से तहसील और कलेक्ट्रेट कार्यालय के चक्कर लगा रहे हैं वहीं दूसरी और रसूखदार लोग इनके कब्जे वाली लगभग 50 साल पुरानी जमीन को मारपीट कर हासिल करना चाहते वहीं ग्रामीणों का कहना है कि हमारी रोजी-रोटी इन्हीं जमीनों से चलती है अगर हमें इन जमीनों से बेदखल कर दिया गया तो हम अपने परिवारो और बच्चों का पालन पोषण कैसे करेंगे।यह ग्रामीण अपने हक की लड़ाई के लिए रात दिन एक कर रहे हैं फिर भी इनको न्याय नही मिल पा रहा है।इस मामले में रायसेन कलेक्टर अरविंद कुमार दुबे ने तहसीलदार को दिशा निर्देश दिए हैं कि वैधानिक रूप से कार्रवाई की जाए और किसी भी व्यक्ति के साथ नाइंसाफी नहीं होनी चाहिए।अब देखना यह होगा की कब इन गरीबों को उनके हक की जमीन मिलती है या फिर ये सभी ऐसे ही तहसील और कलेक्ट्रेट के चक्कर लगाते रहेंगे।