देवउठनी ग्यारस के बाद होने लगेंगे मांगलिक कार्य, वर्ष 2025 में जुलाई अगस्त सितंबर अक्टूबर में नहीं होंगे विवाह
मुकेश साहू दीवानगंज रायसेन
जब भी शुभ या मांगलिक कार्य आदि की बात आती है, तो शुभ मुहूर्त जरूर देखा जाता है। हिंदू धर्म में शादी-विवाह या कोई भी कार्य बिना शुभ मुहूर्त देखे बिना नहीं किया जाता है।
देवउठनी एकादशी से विवाह का दौर शुरू होता है। चातुर्मास के चलते सितंबर और अक्टूबर में शादी के लिए कोई मुहूर्त नहीं था. अब नवंबर से शुरू होने जा रहा है और नवंबर में जगत के पालनहार भगवान विष्णु 4 महीने बाद योग निद्रा से जागने वाले हैं, जिसके बाद एक बार फिर से शहनाइयां बजने लगेंगी। देवशयनी एकादशी के दिन से भगवान विष्णु चार महीने के लिए योग निद्रा में प्रवेश करते हैं। देवउठनी एकादशी के दिन से श्रीहरि योग निद्रा से बाहर आते हैं, तो उस दिन से दोबारा विवाह जैसे मंगल कार्यों की शुरुआत हो जाती है।
इस साल 12 नवंबर को देवउठनी एकादशी पड़ रही है। इस दिन से सभी प्रकार के मांगलिक कार्य किए जाएंगे।
नवंबर में विवाह के लिए 11 दिन शुभ मिल रहे हैं। हिंदू कैलेंडर के मुताबिक, 12, 13, 16, 17, 18, 22, 23, 25, 26, 28 और 29 नवंबर 2024 जैसी तिथियां विवाह के लिए शुभ रहेंगी।
नवंबर- दिसंबर में 17 दिन लग्न मुहूर्त के बाद 16 दिसंबर को सूर्यदेव वृश्चिक राशि से धनु राशि में जाएंगे और खरमास लग जाएगा। इसका समापन 14 जनवरी, 2025 को सूर्यदेव के धनु से मकर में प्रवेश के साथ होगा। इसके बाद विवाह मुहूर्त
जनवरी 2025 में 16, 17, 18, 19, 20, 21, 23, 24, 26 और 27 जनवरी की तिथियां विवाह समारोह के लिए सबसे शुभ मानी गई हैं।
फरवरी में 2, 3, 6, 7, 12, 13, 14, 15, 18, 19, 21, 23 और 25 है
मार्च में 1, 2, 6, 7 और 12 तारीख है
अप्रैल में 9 विवाह मुहूर्त है। 14, 16, 18, 19, 20, 21, 25, 29 और 30 है।
मई 2025 में 1, 5, 6, 8, 10, 14, 15, 16, 17, 18, 22, 23, 24, 27 और 28 है।
जून में 2, 4, 5, 7 और 8 जैसी तारीखें शादी करने के लिए अनुकूल हैं। इसके बाद जुलाई अगस्त सितंबर अक्टूबर सन 2025 तक कोई भी शादी विवाह का मुहूर्त नहीं है।