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जहां माता की मूर्ति की टेढ़ी गर्दन एक द‍िन कुछ क्षण के ल‍िए होती हे सीधी

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-तान्त्रिक शक्तिपीठ के रूप में विख्यात हे मां कंकाली मंदिर

दीपक कांकर रायसेन

– मां भवानी की महिमा को आज तक कोई भी नहीं समझ पाया है। यू तो भारत के अलग-अलग स्‍थानों पर देवी मां के अलग-अलग स्‍वरूपों में कई चमत्‍कार देखने-सुनने को म‍िलते हैं। कभी मंदिर में देवी की मूर्तियों की बातचीत का चमत्‍कार तो कभी मंदिर में रंग बदलती मूर्ति का रहस्‍य। इनसे आज तक पर्दा नहीं उठ पाया है। ऐसा ही एक मंदिर है कंकाली मंदिर। जहां माता की मूर्ति की टेढ़ी गर्दन एक द‍िन के ल‍िए सीधी हो जाती है। आइए जानते हैं कहां है यह मंदिर और क्‍या है गर्दन के सीधे होने का रहस्‍य ?
मां कंकाली का यह प्रसिद्ध मंदिर मप्र के रायसेन जिले के गुदावल गांव में स्थित है। माता की यह आकर्षक मूर्ति चमत्कारों के कारण मध्यप्रदेश ही नहीं पूरे देश में प्रसिद्ध है। यहां कंकाली देवी मां की मूर्ति की गर्दन तिरछी है और ये नवरात्र के दौरान अचानक सीधी हो जाती है। चमत्कार देखने के लिए बड़ी संख्या में भक्त यहां पहुंचते हैं। मंदिर के प्रधान पुजारी भुवनेश्वर महाराज बताते हैं कि जो भक्त नवरात्रि के दौरान माता की गर्दन को सीधा होते हुए देख लेते हैं। उसके सभी बिगड़े काम बन जाते हैं, जिसके सौभाग्य होंगे उसको ही माता रानी के यह अद्भुत दर्शन होंते हैं।

– रायसेन जिले के गुदावल गांव कंकाली माता मंदिर में दावा क‍िया जाता है क‍ि यहां मां काली की देश की पहली ऐसी मूर्ति है ज‍िसकी गर्दन 45 ड‍िग्री झुकी हुई है। मंदिर की स्थापना तकरीबन 1731 के आस-पास मानी जाती है। ऐसी मान्‍यता है क‍ि इसी वर्ष खुदाई के दौरान यह मूर्ति मिली थी। हालांक‍ि मंदिर कब अस्तित्व में आया इसकी तारीख या वर्ष का कोई सटीक प्रमाण नहीं म‍िलता है। मंदिर की स्‍थापना को लेकर यह भी सुनने में आता है क‍ि स्‍थानीय न‍िवासी हर लाल मीणा को इस मंदिर के बारे में एक सपना आया था। इसके बाद उन्‍होंने देखे गये सपने के आधार पर उक्‍त जमीन पर खुदाई करवाई तो देवी मां की मूर्ति मिली थी। इसके बाद प्राप्‍त मूर्ति के स्‍थान पर ही देवी मां यही मूर्ति स्‍थाप‍ित करवा दी गई। तब से ही मंद‍िर के विस्‍तार और पूजा-अर्चना का क्रम जारी है। बता दें क‍ि मंदिर पर‍िसर के अंदरूनी ह‍िस्‍से में वर्तमान में 10 हजार वगफीट के हॉल का निर्माण किया गया है जिसमे एक भी प‍िलर नहीं है। जो क‍ि अपने आप में ही अद्भुत कला का नमूना है।

-मंद‍िर को लेकर यह भी मान्‍यता है क‍ि जो भी भक्‍त यहां बंधन बांधकर मनोकामना मांगता है उसकी मुराद जरूर पूरी होती है। देश के कोने-कोने से भक्‍त यहां अपनी मुरादों की झोली भरने आते हैं। मन्‍नत पूरी होने के बाद बांधा गया बंधन खोल जाते हैं। कहते हैं क‍ि न‍ि:संतान दंपत्तियों की यहां गोद भर जाती है। लेक‍िन इसके लिए महिलाएं यहां उल्‍टे हाथ से गोबर लगाती हैं और मनोकामना पूरी होने के बाद सीधे हाथ का न‍िशान बनाती हैं। मंदिर में हजारों की संख्‍या में हाथों के उल्‍टे और सीधे न‍िशान नजर आते हैं।


कंकाली देवी मंदिर में स्‍थापित मां काली की टेढ़ी गर्दन दशहरे के द‍िन सीधी हो जाती है। हालांक‍ि आज तक क‍िसी ने ऐसा होता देखा नहीं है। कहते हैं क‍ि जो भी भक्‍त मां की सीधी गर्दन देख लेता है उसके जीवन के सभी कष्‍ट दूर हो जाते हैं। मान्‍यता है क‍ि सौभाग्‍यशाली भक्‍तों को ही मां की सीधी गर्दन के दर्शन होते हैं। नवरात्र के अवसर पर मां भवानी के दर्शनों के ल‍िए यहां पर देश के कोने-कोने से श्रद्धालु आते हैं।

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