रायसेन जिले के नर्मदा नदी के घाटो से रेत का अवैध कारोबार,केतोघान घाट पर सेकड़ो ट्रालियों से किया जा रहा परिवहन
रायसेन से अनिल सक्सेना की ग्राउंड रिपोर्ट
रायसेन जिले में नर्मदा नदी से अवैध रेत का खनन बदस्तूर जारी हे। सेकड़ो ट्रेक्टर ट्राली की मदद से यहां नर्मदा नदी आए अवैध तरीके से रेत निकाली जा रही हे।जिसे स्थानीय राजनेताओ का सरंक्षण प्राप्त हे। बताया जाता हे की क्षेत्र के प्रभावशाली नेताओ की दम पर यह कारोबार जमकर फलफुल रहा हे।
तस्वीरो में आप देख सकते हे की रायसेन जिले की बरेली तहसील के केतोघान नर्मदा नदी के किनारे किस तरह रेत माफिया अवैध उतखनन कर रहे हे।यहां सेकड़ो ट्रेक्ट्रर ट्रॉली से रेत निकालकर उचे दामों पर बेचीं जा रही हे।लेकिन जिला प्रशासन और खनिज विभाग के अधिकारियों की लापरवाही से अवैध रेत का खनन जारी हे।हालाकि जिस ठेकेदार को उतखनन का टेंडर दिया गया हे वह राजनैतिक रसुख और हस्तक्षेप के कारण घाटो पर जाने की हिम्मत ही नही जुटा पा रहा हे। आज हालात यह हे कि मकान बनाने कर लिए नर्मदा रेत आम आदमी की पहुंच से बाहर हो गई हे। 12 से 15 हजार रुपए प्रति ट्राली रेत अवैध तरीके से बाजार में बिक रही हे वही डमफर से रेत 45 से 50 हजार रुपए बिक रही हे।रेत के महगें दाम होने से सबसे ज्यादा प्रधानमंत्री आवास योजना प्रभावित हुई हे। ग्रामीण क्षेत्रो में प्रधानमंत्री आवास बनाने डेढ़ लाख और शहरी क्षेत्रो में ढाई लाख रुपए दिये जाते हे। एक मकान बनाने में एक से डेढ़ डमफर रेत लगती हे। ग्रामीण क्षेत्रो को प्रधानमंत्री आवास के लिए मिली राशि आधी अब रेत में चली जाती हे अब 75 हजार में ईट,गिट्टी,सीमेंट,दरवाजे खिड़की और बनाने की मजदूरी कैसे निकल पाएगी। इस कारण आवास अधूरे पड़े हे। गरीब अपना सपनो का घर नही बना पा रहे हे।
यहां यह उल्लेखनीय हे कि नर्मदा नदी से रेत परिवहन करने और उनकी जांच के लिए खनिज विभाग ने जगह जगह चेक पोस्ट नाके लगा रखे हे। फिर ऐसे में अवैध रेत का परिवहन किस तरह हो रहा हे यह समझा जा सकता हे।
आपको बता दे कि राजनैतिक हस्तक्षेप के कारण वैध ठेकेदार तो निसहाय और मुक दर्शक हे। वही पुलिस और राजस्व विभाग के अधिकारी भी इस अवैध रेत के कारोबार को दबाब के चलते नही रोक पा रहे हे।
सरकार के लोग बदलने के बाद यह उम्मीद जगी थी कि अब नर्मदा नदी से अवैध रेत के कारोबार ही अंकुश लग जाएगा लेकिन अब हालात और बद से बदतर हो गये हे। ए सा लगता हे कि इस क्षेत्र में सरकार का नही रेत माफियाओ की समांतर सरकार चल रही हे जिसे न जिला प्रशासन का खौफ हे न खनीज और पुलिस प्रशासन का डर हे। सब अपनी कुर्सी बचाने के चक्कर में लगे हे।
ऐसा भी नही हे कि इसकी जानकारी सरकार में बैठे लोगो को नही हे।लेकिन सरकार में बैठे लोग ही इस अवैध कारोबार का सरगना बनकर रेत के इस काले कारोबार को एक माफिया सिंडीकेट के रूप में चला रहे हे। फिर क्या मजाल जिला प्रशासन और पुलिस महकमे की कि वह इनपर हाथ डाल सके।
सरकार चाहे कितने ही दावे निर्भय निष्पक्ष और अवैध पर सख्ती के करे लेकिन जब सरकार में बैठे लोग ही इन अवैध कार्यों में लिप्त हो तो यह सारे दाबे बेमानी साबित हो जाते हे। जब हर जिले में समानांतर सरकार चलने लगे तो प्रदेश का भविष्य कितना उज्जवल होगा यह समझा जा सकता हे।
कलेक्टर द्वारा दिये आदेश की धज्जियाँ उड़ाता रेत माफिया और खनिज विभाग
जिला कलेक्टर द्वारा मानसून आधारित खदान बंद करने की तिथि घोषित करने घर आदेश जारी किया गया था। आदेश में मानसून सत्र की अवधि दिनांक 30 जून 2024 (मध्य रात्रिं) से दिनांक 30 सितम्बर 2024 तक समस्त रेत खदानों में खनन कार्यपूर्णतः प्रतिबंधित किया जाता है। उक्त अवधि में किसी भी प्रकार के रेत खनिज के उत्खनन को अवैध उत्खनन मान्य करते हुए उत्खननकर्ता के विरूद्ध नियमानुसार कार्यवाही की जायगी।इसके बाद भी रेत का खनन जारी हे।