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आसपास के जलस्त्रोत सूखने के बाद भी पहाड़ी स्थित मंदिर के इस कुंड में हमेशा रहता हे पानी,

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मुकेश साहू दीवानगंज रायसेन
मध्य प्रदेश सहित रायसेन जिले में भी भीषण गर्मी से लोग परेशान हैं वहीं पारा 44 डिग्री से भी ऊपर पहुंच गया है, जिले में कई जगह जल स्रोत सूख गए हैं जिससे पानी की समस्या से लोग जूझ रहे हैं वही रायसेन जिले के सांची विकासखंड के अंतर्गत आने वाले गीदगढ के जंगल में पहाड़ी के पास स्थित मंदिर के पास एक प्राचीन चमत्कारी कुंड है इसकी गहराई तो मात्र 15 से 20 फिट है मगर इस चमत्कारी प्राचीन कुंड में हमेशा पानी भरा रहता है, जहां आसपास के ट्यूबवेल, कुआ, बावड़ी, हैंड पंप, जल स्रोत सूख जाते हैं। मगर इस कुंड में हमेशा पानी भरा रहता है।
, लोग इस कुंड के पास आकर अपनी प्यास बुझाते हैं इस कुंड का पानी मीठा और स्वादिष्ट है, ग्रामीणों ने इस प्राचीन कुंड को लेकर कई मान्यता बताई हैं ग्रामीणों का कहना है कि हमने हमेशा से इस कुंड को ऐसा ही देखा है, इसके पीछे की कई कहानियां और मान्यता भी बताई गई, मगर इस कुंड की उत्पत्ति कैसे हुई कैसे यह कुंड वजूद में आया इस विषय में किसी के पास भी पुख्ता प्रमाण नहीं है।


चमत्कार को पूरी दुनिया नमस्कार करती है और ऐसा ही एक चमत्कार के बारे में हम आपको बताने जा रहे है, जो मध्यप्रदेश के रायसेन से जुड़ा हुआ है। जीं हां, यहां की प्रचलित मान्यताओं के अनुसार यहां एक छोटा सा कुंड हैं, जिससे एक अनोखा ही चमत्कार की गाथा जुड़ी हुई है। जिसका न तो अब तक कोई जवाब मिला है। और न ही उसके सामने कोई तर्क टिक पाता है। दरअसल घने जंगल के बीच पहाड़ी किनारे बने इस छोटे से कुंड की खास बात यह है कि इसका पानी कभी सूखता नहीं है। चाहे इसमें से कितना भी पानी निकाला जाए या फिर कितना भी गरम मौसम हो। यहां के स्थानीय लोगों का तो कहना है कि गर्मी के मौसम में चाहे गांव में पूरे ट्यूबवेल और कुएं सूख जाएं। लेकिन इस कुंड का पानी कभी भी नहीं सूखता।
यही कारण है कि यह कुंड वर्तमान समय में लोगों की आस्था का विषय बन हुआ है इतना ही नहीं दूर दूर से लोग यहां पर आते हैं और कुंड का पानी पीकर अपनी प्यास बुझाते हैं। इस कुंड का पानी कभी खत्म क्यों नहीं होता।इसके पीछे एक विशेष मान्यता है।दरअसल इस कुंड से ऊपर पहाड़ पर एक गुफा है। गुफा के अंदर शंकर जी का एक प्राचीन मंदिर है।कई साल पहले इस मंदिर में एक मौनी बाबा रहते थे।जो कई किलोमीटर दूर जाकर नर्मदा से पानी लाते थे।और भगवान शंकर को नहलाते थे।
भगवान भोले एक दिन उनकी इस तपस्या से प्रसन्न हुए और बाबा की सहूलियत के लिए भगवान के आशीर्वाद से यहां पर यह कुंड प्रकट हो गया। यह भी कहा जाता है कि यह कुंड का कनेक्शन नर्मदा जी से है कुंड मैं पानी नर्मदा जी से आता है। मंदिर में रहने वाले पुजारी चरणदास बताते हैं।कि मैं 30 साल से यहां पर हूं मैंने आज तक इस कुंड को कभी खाली नहीं देखा है। प्राचीन और प्राकृतिक कुंड की सच्चाई क्या है। यह तो शोध का विषय है। लेकिन इस चमत्कार से मुंह नहीं मोड़ा जा सकता।जो सैंकड़ों सालों से लोगों के आश्चर्य का विषय बना हुआ है।

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