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नियम 30 दिन का, कोलार तहसील ने किया साढ़े सात माह में नामांतरण, फिर भी छोड़ा अधूरा

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रामभरोस विश्वकर्मा,भोपाल

भोपाल। नियमों की खिल्ली उड़ाना कोई राजधानी भोपाल की कोलार तहसील में बैठे मठाधीशों से सीखे। प्रधानमंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक की मंशा को ठेंगे पर रखना और कलेक्टर के आदेशों को हवा में उड़ाना इनकी आदत में शुमार है। मीडिया में आए एक रुके हुए नामांतरण मामले पर खत्मशुद की मोहर लगाने में इतनी जल्दबाजी की गई कि काम हो भी गया और किसी काम का भी नहीं। तहसील कोलार के धूर्त अधिकारियों ने नामांतरण प्रकरण निपटाने की प्रक्रिया तो कर दी, लेकिन इसको सरकारी पोर्टल आरसीएमएस पर नहीं चढ़ाया गया है। न ही इसका खसरा अपडेट किया गया, जिससे नामांतरण प्रक्रिया किसी काम आ सके।
मामला राजधानी की कोलार तहसील का है। 14 सितंबर 23 को प्रकरण क्रमांक 2606/अ6/2023-24 नामांतरण के लिए पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा लाई गई सायबर तहसील में RCMS पोर्टल पर रजिस्टर हुआ था। नियमानुसार 15 दिनों में प्रकरण कम्प्लीट कर पोर्टल और खसरे में अपडेट किया जाना था। लेकिन 6 महीने बाद नायब तहसीलदार कुम्भकरण नींद से जागे और प्रकरण को सायबर तहसील के नियमों के विरुद्ध 27 जनवरी 24 में दस्तावेज के अभाव में निरस्त कर दिया गया। याद रहे कि कलेक्टर के सख्त निर्देश हैं कि सायबर तहसील में ऐसा कोई भी प्रकरण दस्तावेज के आभाव में निरस्त नहीं किया जा सकता। ब्वाजुद इसके भू-राजस्व संहिता 1959 की धारा 35(3) के अनुसार दस्तावेज 06 मार्च 2024 को जमा कर दिए गए थे। वहीं सरकार द्वारा किसानों और आम जनता की मदद के लिए चलाया जा राजस्व अभियान भी अधिकारीयों के निक्क्मे पन से गोलमोल ही रहा है। वहीं 10 मार्च 2024 तक चले इस राजस्व महाअभियान में भी नायब तहसीलदार अतुल शर्मा द्वारा इसका निराकरण नहीं प्राप्त हुआ। इसके बाद इसमें एक आवेदन एसडीएम कोलार को भी दिया गया। उनके द्वारा तहसीलदार को टीप लिखकर दी और जल्द से जल्द उसका निराकरण करने के लिए निर्देशित किया गया। मगर इसके बाद भी कोई निराकरण नहीं निकला। इस मामले की मौखिक शिकायत के लिए कलेक्टर कौशलेन्द्र विक्रम सिंह के OSD पांडे से भी मुलाक़ात की और उनके द्वारा भी इन्हें इस प्रकरण को जल्द से जल्द निपटाने के लिए आदेशित किया गया। लेकिन नायब तहसीलदार ने इस आदेश को भी हवा में उड़ा दिया।

फिर आया मीडिया सुर्खियों में
इस मामले को राजधानी भोपाल समेत प्रदेश के कई अखबारों ने सुर्खी बनाया। जिसके बाद नायब तहसीलदार अतुल शर्मा द्वारा जल्दबाजी में नामांतरण कर दिया गया। लेकिन अपनी हठधर्मिता बरकरार रखने के लिए उन्होंने इसमें अधूरापन छोड़ दिया है। नामांतरण को अब तक पोर्टल और खसरे में अपडेट नहीं किया गया है।

मध्यप्रदेश भू- राजस्व सहिंता की अनदेखी

एडवोकेट धीरज डागा ने बताया की उक्त प्रकरण मामला मध्यप्रदेश भू-राजस्व सहिंता 1959 की धारा 110 की उपधारा 4 व 6 का उलंघन क्रमशः देखने को मिलता है जिसमें अविवादित मामलों में अधिकतम 1 माह के भीतर निपटारा किए जाना अनिवार्य है एवं उपधारा 6 के अंतर्गत किसी भी मामले को धारा 35 के अधीन निरस्त नहीं किया जा सकता है !

कुछ कहने से बच रहे अधिकारी
इस मामले में कोलार तहसील से लेकर जिला प्रशासन तक के अधिकारी कुछ भी कहने से बचते नजर आ रहे हैं। उनसे संपर्क करने की कोशिश करने पर वे मिलने से बच रहे हैं। फोन लगाने पर भी वे व्यस्तता का बहाना बनाकर दामन छुड़ा लेते हैं।

मामला अब प्रदेश स्तर पर गूंजेगा
सामाजिक कार्यकर्ता भारत भूषण विश्वकर्मा ने राजधानी के इस मामले को एक उदाहरण करार दिया है। उन्होंने कहा कि राजधानी में यह हालात हैं तो दूरदराज के इलाकों में क्या स्थिति होगी। विश्वकर्मा ने कहा कि अब वे प्रदेश भर की तहसीलों के मामले जुटा रहे हैं। लोकसभा चुनाव के बाद इस तरह के सभी मामलों को एकजाई करके मुख्यमंत्री को सौंपा जाएगा। ताकि प्रदेश का अन्नदाता भ्रष्ट राजस्व अधिकारियों की प्रताड़ना, दमन, घूसखोरी और हीला हवाली से बचाया जा सके।

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