ग्वालियर। वर्ष 1902 में बनकर तैयार हुई मोतीमहल स्थित नगर निगम संग्रहालय की इमारत जल्द ही नए लुक में नजर आएगी। इसके रेनोवेशन का काम शुरू कर दिया गया है। अभी तक यह इमारत अपने भीतर रखे दुर्लभ कलेक्शन के कारण चर्चित थी, लेकिन अब यह अपने बेहतर फसाड और वाल पेंटिंग के कारण आकर्षण का केंद्र बनेंगी। इंटेक संस्था के निर्देशन में नगर निगम ने स्मार्ट सिटी कार्पोरेशन के बजट से इस इमारत को संवारने का काम शुरू कर दिया है। इसका विस्तार भी कराया जाएगा, क्योंकि बिल्डिंग के ठीक बगल में बने क्षेत्रीय कार्यालय क्रमांक 13 को भी इसका हिस्सा बनाया जा रहा है।
यह ऐसा संग्रहालय है जिसका नाम तीन बार बदला जा चुका है। वर्ष 1902 में जब यह संग्रहालय बना, तो इसे स्टेट म्यूजियम के नाम से जाना जाता था। बाद में वर्ष 1922 में इसको नगर निगम के सुपुर्द कर दिया गया, तब इसे विचित्रालय के नाम से जाना जाने लगा। फिर सन् 1980 में इसका नाम संग्रहालय रखा गया। इसके बाद यहां ऐसी दुर्लभ वस्तुओं का कलेक्शन रखा गया, जो लोगों को बरबस ही अपनी ओर आकर्षित करता है। नगर निगम संग्रहालय में सबसे अधिक आकर्षण का केंद्र है उल्कापिंड का टुकड़ा। यह 30 मार्च 1943 को भिंड जिला के गरोली गांव के पास तेज आवाज व गति से गिरा था। यह जमीन में ढाई फीट तक नीचे चला गया था। इसके अलावा संग्रहालय में रानी लक्ष्मीबाई के हथियार रखे हैं, जिन्हें वे युद्ध के समय इस्तेमाल करतीं थीं। दुर्लभ पक्षियों का भी कलेक्शन संग्रहालय में रखा है। पूर्व में निगम की प्लानिंग थी कि इन सभी वस्तुओं को कहीं अलग शिफ्ट कर बिल्डिंग का काम कराया जाए, लेकिन आसपास ऐसा कोई स्थान नहीं मिल रहा है, जहां इस विशाल कलेक्शन को रखें। ऐसे में एक से दूसरे कमरे में शिफ्ट कर काम कराया जाएगा। सारी दुर्लभ वस्तुएं संग्रहालय के अंदर ही रहेंगी और इसका नया स्वरूप नजर आने लगेगा।
वीडियोग्राफिक रिकार्ड रहेगा, नई गैलरियां तैयार होंगी
संग्रहालय में रखी दुर्लभ वस्तुओं को हटाने से पहले इसका वीडियोग्राफिक रिकार्ड तैयार कराया जाएगा। हर वस्तु के अलग-अलग एंगल से फोटो खींचे जाएंगे। इसके अलावा उनकी वर्तमान स्थिति की वीडियोग्राफी भी कराई जाएगी, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वस्तुओं को कोई नुकसान तो नहीं हुआ है। इसके अलावा काम पूरा होने के बाद नई गैलरियां भी तैयार कराई जाएंगी। इसमें श्रेणीवार दुर्लभ वस्तुओं को रखा जाएगा। उदाहरण के तौर पर पक्षियों के कलेक्शन को एक गैलरी में, वन्य प्राणियों के कलेक्शन को दूसरी में और अन्य आकर्षक वस्तुओं को तीसरी गैलरी में रखा जाएगा