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आम लोग भी कर सकेंगे सरकारी बॉन्ड्स में इंवेस्ट, आरबीआई लाएगा नई मोबाइल ऐप

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देश में बड़े-बड़े फाइनेंशियल इंस्टीट्यूट्स जैसे कि एलआईसी, एसबीआई सरकारी सिक्योरिटीज (बॉन्ड्स इत्यादि) में बड़ा निवेश करते हैं. उनकी ट्रेडिंग भी होती है और इन इंस्टीट्यूट्स को एक फिक्स रिटर्न भी इससे मिलता है, लेकिन आम लोगों के लिए इन सिक्योरिटीज में इंवेस्ट करना हमेशा मुश्किल भरा काम होता है. ऐसे में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) इस सेगमेंट में रिटेल इंवेस्टमेंट बढ़ाने के लिए एक मोबाइल ऐप डेवलप कर रहा है, जो आम लोगों के लिए सरकारी बॉन्ड्स में निवेश करना आसान बनाएंगे.

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को अप्रैल की मौद्रिक नीति समीक्षा पेश करते वक्त ये प्रस्ताव दिया कि आरबीआई ऐसी मोबाइल ऐप लाने पर विचार कर रहा है, जो आम लोगों के लिए सरकारी सिक्योरिटीज में इंवेस्टमेंट को सुगम बनाएगी. आखिर कैसी होगी ये ऐप…

डायरेक्ट पोर्टल से होगा डायरेक्ट स्कीम में निवेश

आरबीआई ने नवंबर 2021 में एक रिटेल ‘डायरेक्ट स्कीम’ पेश की थी. इसका मकसद इंडिविजुअल इंवेस्टर्स को सरकारी सिक्योरिटीज में निवेश करने की सुविधा देना था. इस स्कीम के तहत निवेशकों को प्राइमरी बिडिंग में सिक्योरिटीज को खरीदने के साथ-साथ एनडीएस-ओएम प्लेटफॉर्म के माध्यम से ट्रेड करने की भी सुविधा मिलती है.

अब केंद्रीय बैंक का कहना है कि सरकारी बॉन्ड्स में इस रिटेल इंवेस्टमेंट को और आसान बनाने के लिए वह एक ‘डायरेक्ट पोर्टल’ की मोबाइल ऐप डेवलप कर रही है. इस ऐप की मदद से इंवेस्टर्स अपनी सुविधानुसार जब चाहें, जहां चाहें सरकारी बॉन्ड्स में इंवेस्ट कर सकते हैं. यह मोबाइल ऐप जल्द ही लोगों के लिए मौजूद होगा.

क्या होती हैं सरकारी सिक्योरिटीज?

अगर आपको अब भी ये कंफ्यूजन है कि गवर्नमेंट सिक्योरिटीज क्या होती है, तब आपको इसे देख लेना चाहिए. जब भी हमें और आपको लोन चाहिए होता है, तो हम बैंक के पास जाते हैं. इस लोन को चुकाने के लिए हम बैंक को EMI देते हैं. ऐसे ही अगर सरकार को सड़क, हाईवे या किसी डेवलपमेंट प्रोजेक्ट के लिए पैसा उधार लेना होता है, तो वह बैंकों से लोन लेती है. आम तौर पर वह आरबीआई से ही लोन लेती है.

अब आरबीआई इस लोन के लिए सरकार की ओर से बॉन्ड्स या ट्रेजरी बिल्स जारी करके पैसा जुटाने का काम करती है. इन्हीं बॉन्ड्स को बैंक या फाइनेंशियल इंस्टीट्यूट्स खरीदते हैं. अब रिटेल इंवेस्टर्स भी इन्हें खरीद सकते हैं. इसके बदले में सरकार की ओर से आपको समय-समय पर ब्याज देने और एक निश्चित अंतराल पर पूरी रकम वापस करने का वादा किया जाता है. एक तरह से आप सरकार के बड़े लोन में एक छोटे हिस्सेदार बन जाते हो.

आरबीआई ने नहीं बदला रेपो रेट

भारतीय रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को चालू वित्त वर्ष 2024-25 की पहली द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा पेश की. इसमें रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया और इसे 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा. महंगाई को चार प्रतिशत पर लाने और वैश्विक अनिश्चितता के बीच आर्थिक वृद्धि को गति देने के मकसद से नीतिगत दर को यथावत रखा गया है. यह लगातार सातवां मौका है जबकि रेपो दर में बदलाव नहीं किया गया है.

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