–60 वर्ष से अधिक के कर्मचारी की निर्वाचन डियूटी नही लगाई जाती
-एक वेतन बढ़ाने में चार नए युवाओं को नोकरी दी जा सकती है
भोपाल। मध्यप्रदेश पेन्शन फोरम के प्रदेश अध्यक्ष नरेन्द्र दुबे प्रदेश संयोजक मुरारी लाल सोनी ने जारी विज्ञप्ति में बताया हैं कि, 2018 में तत्कालीन मुख्यमंत्री के जन्मदिवस के अवसर पर प्रदेश कर्मचारियों की सेवा निवृत्ति आयु समान करने हेतु सेवा वृद्धि 60 वर्ष से 62 वर्ष की गई थी,यहां पर शिक्षक संवर्ग की सेवा निवृत्ति पहले से ही 62 वर्ष थी।
चूंकि 2018 चुनावी वर्ष था फिर भी तत्कालीन सरकार को इसका फायदा नहीं हुआ था। और सत्ता पक्ष विपक्षी दल बन कर रह गया था।
अब एक बार फिर नवीन डॉ मोहन यादव सरकार शासकीय सेवको की सेवा निवृत्ति आयु में सेवा वृद्धि करने के लिए वल्लभ भवन में त्वरित गति से फाइल का मूवमेंट करा रही हैं।
इसमें सभी की सेवा निवृति आयु 65 वर्ष करने की योजना पर विचार के साथ निर्णय करने की नीति पर कार्य हो रहा हैं।
पूर्व से ही महाविद्यालय के प्राध्यापक संवर्ग,चिकित्सा पद्धति से जुड़े डॉ और उनका नर्सिंग स्टाफ के लिए सेवा निवृति आयु 65 वर्ष नियत हैं।
महाविद्यालय और विश्वविद्यालयों के प्राध्यापक वैसे भी अपने अधीन रिसर्च स्कालर्स से क्लास इंगेज कराते हैं।
चिकित्सा शिक्षा एवं चिकित्सक अपने अनुभव से बीमारियों के निदान में महत्वपूर्ण भूमिका में होते हैं। इसी तरह उनका नर्सिंग स्टाफ हैं जो जितना अनुभव प्राप्त करता है वह उतना कार्य करता हैं।
शिक्षा के क्षेत्र में प्राथमिक शिक्षक की महत्वपूर्ण भूमिका होती हैं, जबकि अन्य पद पर आसीन व्यक्ति शिक्षा पर भी सिर्फ खाना पूर्ति ही करते हैं, शिक्षण के प्रति उनका उत्साह ख़त्म हो चुका होता हैं।
ब्रिट्रिश सरकार के समय शासकीय सेवा निवृत्ति आयु 55 वर्ष थी,फिर उसे 57 वर्ष किया गया, और अंत मे 60 वर्ष कर दिया गया, किन्तु यहां उत्तम गुणवत्ता की शिक्षा के साथ मानव की सामान्य औसत आयु 70 वर्ष के आंकड़े आने पर शिक्षकों की सेवा निवृत्ति आयु 62 वर्ष कर दी गई,जिसके समान अन्य कर्मचारियों को लाभ देंकर तत्कालीन मुख्यमंत्री जी ने 2018 में सबकी सेवा निवृति आयु सीमा 62 वर्ष कर दी थी।।
अब नवीन सरकार इसमे समानता की बात कह कर 65 वर्ष करने जा रही हैं, जो कि नवीन पीढ़ी के साथ घोर अन्याय हैं, यदि आज सभी कर्मचारियों की सेवा वृद्धि कर 65 वर्ष की जाती है तो ओवर एज के कगार पर खड़े युवा शिक्षित बेरोजगार युवाओं के हाथ से शासकीय रोजगार के अवसर तीन वर्ष आगे निकल जाएंगे और उनका सरकारी नोकरी का सपना एक सपना ही बनकर रह जायेगा। यह निर्णय युवा बेरोजगारी का सामना कर रहे उन शिक्षित बेरोजगारों के लिए अवसर समाप्त करने वाला निर्णय होगा। वह योग्य होते हुए भी सरकारी नौकरी का सपना लेकर निजी क्षेत्र में आजीवन संघर्ष करते हुए अपना यह जीवन व्यर्थ गवां देंगे। सेवा वृद्धि मतलब युवा बेरोजगार युवकों के साथ छल कपट कर उन्हें सदा ही बेरोजगार बनाये रखने की एक साजिश हैं।
मध्यप्रदेश कर्मचारी संवर्ग के पूर्व नेता ओर मध्यप्रदेश पेन्शन फोरम के प्रदेश अध्यक्ष नरेन्द्र दुबे, प्रदेश संयोजक मुरारी लाल सोनी ,के साथ पेन्शन फोरम संगठन के सत्येंद्र सिंह ,ओ पी तिवारी,कुलदीप तिवारी, विजय जैन,हरि विश्वकर्मा, बालमुकुंद दुबे,चंद्रशेखर सोनी ,राजेन्द्र कुमार सोनी,वी पी पाण्डे आदि सेवा निवृत्त कर्मचारी नेताओ ने मध्यप्रदेश सरकार से मांग की है कि सेवा वृद्धि कर नव बेरोजगारों के जीवन से खिलवाड़ न करते हुए सभी की सेवा निवृत्ति आयु 62 वर्ष नियत की जाए। उम्र के इस पड़ाव पर व्यक्ति की कार्य क्षमता का ह्रास होता हैं, अनावश्यक उनकी सेवा वृद्धि कर सरकार के खजाने पर आर्थिक बोझ लादा जा रहा है,वही युवा बेरोजगार युवकों के साथ अन्याय किया जा रहा हैं।मध्यप्रदेश पेंसन फोरम ने इस निर्णय युवा बेरोजगार युवकों के जीवन का ध्यान रखते हुए इस योजना का तीब्र विरोध किया हैं।
एक जगह सरकार रोजगार के नवीन अवसर उपलब्ध कराने की बात कर रही है,वही दूसरी जगह युवा बेरोजगारों के रोजगार के अवसर बन्द कर उनके साथ छलावा करने की योजना पर कार्य कर रही हैं।
62+के सभी कर्मचारी सिर्फ लाखो में वेतन लेकर समय व्यतीत करते हैं, जैसे कि उच्च शिक्षा में प्रोफेसर अपने रिसर्च स्कॉलर्स से क्लास इंगेज कराते हैं, तो अन्य विभाग के कर्मचारी अपना कार्य अपने से जूनियर के सिर थोप कर कार्य की खाना पूर्ति करते हैं।
यदि सरकार के पास सेवा निवृति उपरान्त उनके स्वत्वों के भुगतान हेतु राशि नही है तो वह निर्धारित कर समान किश्तों में भुगतान किये जा सकते हैं। पर सेवा वृद्धि किसी भी दृष्टि से उचित नही हैं।
आज चिकित्सक भी अपनी निजी प्रेक्टिस पर ज्यादा धयान देते है,अस्पताल या मेडिकल कॉलेज में शिक्षण से उनका कोई नाता नही रहता हैं, वह निजी क्लिनिक में मरीज देखकर फीस लेकर सरकारी संस्थान में इलाज कर अप्रत्यक्ष रूप से सरकार को चुना लगाते हैं।नर्सिंग स्टाफ भी शेष समय मे निजी अस्पतालों में कार्य करता हैं। ऐसी अनेको विसंगति हैं। सेवा व्रद्धि किसी भी दृष्टिकोण से उचित नही हैं।इसके सरकार को प्रतिकूल असर का सामना करना होगा।युवा वर्ग सरकार के विपरीत दिशा में कार्य करने बाध्य होगा।।
इसलिए इस प्रस्ताव की फाइल को तत्काल ठंडे बस्ते में बांधकर 5 साल के लिए जमीदोंज करना सरकार के हित में होगा।। अन्यथा युवाओं का विरोध झेलने के लिए तैयार रहना होगा।
अभी सरकार को युवाओं का भरपूर साथ मिला है,फिर लोकसभा में भरपूर विरोध भी सामने आएगा।