उज्जैन में मनाया जा रहा श्रीराम मंदिर प्रतिष्ठा का महोत्सव, 22 जनवरी को वन गमन पथ का निशुल्क दर्शन कर सकेंगे भक्त,
उज्जैन। जिला वन मंडल अधिकारी डा. किरण बिसेन की परिकल्पना ने उज्जैन में नगर वन के रूप में एक ऐसे एतिहासिक स्थल का निर्माण किया है, जहां भक्त प्रभु श्रीराम के वन गमन को अनुभूत कर रहे हैं। मक्सी रोड स्थित नवलखी बीड़ में विकसित इस वन के करीब डेढ़ किलो मीटर क्षेत्र में उन स्थानों का निर्माण कराया गया है, जहां वनवास के दौरान प्रभु श्री राम गए थे।
वन में मौजूद वनस्पतियां भी यहां आने वाले श्रद्धालुओं को त्रेता युग में होने का अहसास कराती हैं। अयोध्या में 22 जनवरी को होने वाले श्रीराम मंदिर प्रतिष्ठा महोत्सव के दिन श्रीराम वन गमन पथ दर्शन हेतु सैलानियों को निशुल्क प्रवेश दिया जाएगा। बता दें आमदिनों में नगर वन देखने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को 12 रुपये का टिकट खरीदना होता है।
दो सौ से अधिक स्थानों की पहचान
जिला वन मंडल अधिकारी डा.किरण बिसेन के अनुसार रामायण में उल्लेखित और अनेक अनुसंधानकर्ताओं के अनुसार जब भगवान श्रीराम को वनवास हुआ तब उन्होंने अपनी यात्रा अयोध्या से प्रारंभ करते हुए रामेश्वरम और उसके बाद श्रीलंका में समाप्त की थी। इस दौरान उनके साथ जहां, जो भी घटा उनमें से दो सौ से अधिक स्थानों की पहचान की गई है।
इतिहासकार और पुरातत्वशास्त्री डा.राम अवतार ने श्रीराम और सीता के जीवन की घटनाओं से जुड़े ऐसे ही दो सौ से अधिक स्थानाें का पता लगाया है, जहां आज भी तत्व संबंधी स्मारक स्थल विद्यमान हैं, जहां श्रीराम और सीता रुके थे। नगर वन में इन्हीं प्रमुख स्थानों का निर्माण कराया गया है। स्थान विशेष पर उस क्षेत्र से संबंधित वृक्षों के पौधे भी लगाए गए हैं, जो उस कालखंड में मौजूद थे। यहां आने के बाद भक्तों के मानस पटल पर श्रीराम वन गमन का दृश्य सजीव हो जाता है और वें स्वयं भी उस समय वहां मौजूद होने की अनुभूति करने लगते हैं।
तमसा नदी से शुरू हुआ था वन गमन
प्रभु श्रीराम ने अयोध्या से 20 किलो मीटर दूर तमसा नदी से वन गमन की शुरुआत की थी। भगवान ने नाव से तमसा नदी को पार किया और फिर आगे की ओर प्रस्थान किया। अब तक चिह्नित स्थानों में श्रृंगवेरपुर तीर्थ, कुरई गांव, प्रयाग, चित्रकूट, सतना, दंडकारण्य, पंचवटी नासिक, सर्वतीर्थ, पर्णशाला, तुंगभद्रा, शबरी आश्रम, ऋष्यमुक पर्वत, कोडीकरई, रामेश्वरम, धनुषकोडी, नुवारा एलिया प्रमुख स्थान है, जिन्हें नगर वन में भक्त देख सकते हैं। वाल्मीकि रामायण सहित अन्य ग्रंथों में इनका उल्लेख मिलता है।
1200 से अधिक वृक्षों के पौधे रौपे जा रहे
वन मंडल द्वारा श्रीराम वन गमन पथ पर विभिन्न प्रजाति के 1200 से अधिक पौधे रौपे जा रहे हैं, जो उस कालखंड में उन स्थानों पर मौजूद थे। इसमें वर्षा वृक्ष, मरखामिया लुटिया, मिशेलिया चंपाक, सुरु, पेंडानस, छातावृक्ष, महघानी, विधारा, कुचला, अनंतमूल, वैरिंगटनिया, लाल चंदन, पेंसिलपाइन, शरपुंखा, नारियल पूर्वी तट लंबा आदि शामिल है।