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पृथक छत्तीसगढ़ के प्रथम स्वप्न दृष्टा ने एक दशक तक किया था धरसीवा का प्रतिनिधित्व

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-गांव गरीब तक शिक्षा की अलख जगाना चाहते थे डॉ खूबचन्द बघेल
-धरसीवा क्षेत्र है सर्वाधिक स्वाधीनता सैनानियों का क्षेत्र
सुरेन्द्र जैन धरसीवा रायपुर

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से लगा प्रदेश का सबसे बड़ा विधानसभा अपने मे कई विशेषताओं को समाहित किये हुए हैं इस क्षेत्र को जहां एक ओर सर्वाधिक स्वाधीनता सैनानियों वाला क्षेत्र होने का गौरव है तो वहीं दूसरी ओर इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व 1952 से 1962 तक पृथक छत्तीसगढ़ के प्रथम स्वप्न दृष्टा द्वारा किये जाने का गौरव भी प्राप्त है ।
डॉ खूबचन्द बघेल 1952 ओर 1957 में धरसीवा विधानसभा से निर्वाचित होकर क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किये थे उनके जीवन पर प्रकाश डालें तो उनमे ऐंसी महान आत्मा का वास था जो गांव गरीब तक शिक्षा की अलख जगाना चाहते थे वो भी उस समय जब आज की तरह गांवो से कोसों दूर एकाद सरकारी स्कूल हुआ करते थे ऐंसे समय मे साल 1962 में उन्होंने धरसीवा के सिलयारी में क्षेत्र के किसान भाईयो से सहयोग लेकर एक स्कूल की स्थापना की थी ताकि आसपास के गांवो के गरीब बच्चे भी शिक्षित होकर आगे बढ़ सकें बर्तमान में वह स्कूल डॉ खूबचन्द बघेल शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के रूप में सैंकड़ो ग्रामीण छात्र छात्राओं का भविष्य उज्ज्वल बना रहा है।
डॉ खूबचन्द बघेल का जन्म 19 जुलाई 1900 को धरसीव के सिलयारी से लगे छोटे से गांव पथरी में किसान परिवार में हुआ था उन्होंने भारत की आजादी के लिए राष्ट्रपिता महात्मा गाँधीजी के साथ जुड़कर अंग्रेजो के खिलाफ आजादी की क्रांति में भी अहम योगदान दिया और जेल भी गए देश की आजादी के बाद उन्होंने छुआछूत जैंसी कुरीतियों को मिटाने में भी अहम किरदार निभाया ओर 1967 में राजनांदगांव से पृथक छत्तीसगढ़ राज्य का स्वप्न साकार करने का शंखनाद किया।
धरसीवा विधानसभा क्षेत्र जहां एक ओर पृथक छत्तीसगढ़ के प्रथम स्वप्न दृष्टा डॉ खूबचन्द बघेल की जन्म व कर्मभूमि रही है तो वहीं यह सर्वाधिक स्वतंत्रता सेनानियों की जन्मस्थली भी है।
इस विधानसभा क्षेत्र के इत्तिहास को देखें तो जातिवाद कभी हावी नहीं हुआ यहां से मनवा कुर्मी ब्राह्मण बनिया आदि सभी वर्गों को प्रतिनिधित्व का मौका जनता ने दिया है।

क्या कहते हैं डॉ खूबचन्द बघेल के नाती
ग्राम पंचायत पथरी के पूर्व सरपंच ओर डॉ खूबचन्द बघेल के रिश्ते में नाती श्रीकांत बघेल ने बताया कि मेरे दादाजी स्वतंत्रता सेनानी डॉ खूबचन्द बघेल जी का जीवन एक आदर्श है उन्होंने अपना सारा जीवन मां भारती ओर छत्तीसगढ़ महतारी को समर्पित किया वह 1952 ओर 1957 में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के झोपड़ी चुनाव चिन्ह से चुनाव लड़कर विजयी हुए और क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया उनके जगन्नाथ बघेल भी स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिए पथरी गाँव से डॉ खूबचन्द बघेल जी के साथ उनके मातपिता परिजन मित्र सभी स्वत्रंता आआन्दोलन में भाग लिए समीपी गाँव बंगोली से भी सौ से अधिक स्वतंत्रता सेनानी हुए
यह पूरा क्षेत्र महान स्वतंत्रता सेनानियों की जन्म व कर्मभूमि है।

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