सुनील सोन्हिया द्वारा लिया गया विशेष साक्षात्कार
एंकर या मंच संचालक वह व्यक्ति होता है जो सभी दर्शकों के बीच अतिथियों का परिचय देता है कार्यक्रम से संबंधित घोषणा करता है और पूरे कार्यक्रम को सुचारू रूप से चलाने के लिए दर्शनों के बीच माध्यम का कार्य करता है पूरे प्रोग्राम के दौरान एंकर को दर्शकों से जोड़ने के लिए गीत, कविता ,शेरो शायरी का भी सहारा लेना पड़ता है कार्यक्रम नीरस ना हो बोरिंग ना हो इस बात का भी बहुत ख्याल रखना पड़ता है कार्यक्रम को सफल बनाने हेतु एंकरिंग एक सशक्त माध्यम होता है यह कहना है दूरदर्शन की सुप्रसिद्ध एंकर पुरवा राय का जो पिछले 20 वर्ष से दूरदर्शन मध्य प्रदेश में” नमस्कार मध्य प्रदेश”, “कृषि दर्शन” “विकास गाथा,”पेट केयर” ,”क्लासरूम “, चौपाल”, “कृषि संगोष्ठी जैसे महत्वपूर्ण लाइव कार्यक्रम में एंकरिंग कर रही है
हमारे सांस्कृतिक प्रतिनिधि सुनील सोन्हिया ने उनसे एंकरिंग के बारे में विस्तृत चर्चा की
आपकी पारिवारिक पृष्ठभूमि के बारे में बताइए
मैं एक मध्यम वर्गीय परिवार से हूं भोपाल में ही मेरी शिक्षा दीक्षा एवं विवाह हुआ है मेरे परिवार में पति अतुल राय रेलवे में कार्यरत हैं और दो बच्चे एक बेटा एक बेटी है जो अभी स्टडी कर रहे हैं मैं अपने पति अतुल राय एवं बच्चों की शुक्रगुजार हूं जिन्होंने मुझे प्रेरित किया तो आज मैं यहां तक पहुंची हूं ,मेरा मानना है बिना परिवार के सहयोग के बिना महिलाएं अपने हुनर को बाहर नहीं निकल सकती है।
एंकर बनने की जर्नी के बारे में प्रकाश डालिए
बचपन से अपने आप से बहुत प्यार था आईने में अपने आप को निहारना बहुत अच्छा लगता था कैमरे का इतना मोह था कि आज भी मेरे पास बचपन से लेकर अभी तक लगभग 16000 फोटो का कलेक्शन है स्कूल स्तर पर हर कार्यक्रम में भाग लेना इसलिए अच्छा लगता था कि मेरी फोटो खिचेगी तो चाहे वह डांस हो या गायन हो या नाटक हो बस सब में पार्टिसिपेट करती रहती थी कक्षा पहली से लेकर आज तक जुड़ी मेरी सहेली वंदना दुबे के अनुसार में बहुत बकबक करती थी किसी भी नहीं सुनती थी वह अक्सर कहा करती थी तुम्हें तो फिल्म लाइन में चले जाना चाहिए दिखने में तुम वैसे ही बहुत खूबसूरत हो और बोलने में सबके नाकों चने चबा देती हो तब पता नहीं था कि यह मेरा बोलना मुझे एंकर बना देगा पारिवारिक परिस्थिति के चलते बीएससी के आगे पढ़ाई नहीं हो पाई और घर वालों ने बाहर भी नहीं जाने दिया फिर मेरी शादी हो गई तो मेरे अंदर की प्रतिभा चूल्हा चौकी तक ही सीमित हो गई शादी की कुछ वर्षों बाद मेरे एक परिजन ने मुझे दूरदर्शन में एंकर बनने का प्रस्ताव दिया तो लगा बच्चों की परवरिश करते-करते मेरा केमरे के आगे आने का शौक भी पूरा हो जाएगा और पति ने मुझे प्रेरित किया और इस तरह दूरदर्शन में आना हो गया वैसे मुझे एंकरिंग से ज्यादा डांस करना ज्यादा अच्छा लगता है जीवन में बस एक ही इच्छा है कोई डांस टीचर मुझे डांस करना सिखा दे और मैं स्टेज पर बेहतर परफॉर्मेंस कर पाऊं।
एक अच्छे एंकर को कार्यक्रम की शुरुआत कैसे करना चाहिए
सबसे पहले तो दर्शकों का गर्मजोशी से मैत्रीपूर्ण तरीके से अभिवादन करें फिर अपना परिचय दें इवेंट या कार्यक्रम का उद्देश्य विवरण प्रस्तुत करें फिर अतिथियों के बारे में विस्तार से प्रकाश डालें फिर उनका स्वागत ,स्मृति चिन्ह और उनकी स्पीच करवाएं बाकी कार्यक्रम के हिसाब से अपनी बात दर्शकों तक पहुंचाने का कार्य अपनी शैली में करें।
एंकरिंग करने से पहले एंकर को क्या देखना चाहिए
एंकर को कार्यक्रम के बारे में संपूर्ण जानकारी होनी चाहिए अतिथियों का पूर्ण परिचय ज्ञात होना चाहिए एंकर का सबसे महत्वपूर्ण कार्य समय प्रबंधन होना चाहिए कार्यक्रम को कितनी देर में समाप्त करना है उसे उस पर ध्यान देना बहुत जरूरी है
दूरदर्शन के लगभग समस्त कार्यक्रम लाइव होते हैं कभी दिक्कतों का सामना करना पड़ा है
ऐसा नहीं है सभी कार्यक्रम लाइव होते हैं कुछ रिकॉर्ड भी पहले कर दिए जाते हैं अभी मैं जिन कार्यक्रमों को कर रही हूं वह लाइव होते हैं उनमें विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ आमंत्रित किए जाते हैं जो अपने विषयों में महारत हासिल किए होते हैं उनसे परिचर्चा करनी होती है तो ज्यादा दिक्कत नहीं आती है और फिर हमारे प्रोड्यूसर निर्देशक भी हमें मार्गदर्शित करते रहते हैं।
दूरदर्शन के अलावा भी आप अन्य किसी कार्यक्रम में एंकरिंग करती हैं
हां मैं दूरदर्शन की परमानेंट एंकर नहीं हूं तो मैं बाहर के कार्यक्रम भी करती हूं चाहे वह मैरिज, बर्थडे हो या राजनीति से संबंधित , मेने मिंटो हॉल में आयोजित सरकारी कार्यक्रमों में भी एंकरिंग की हैं वहीं रिलायंस फाउंडेशन सूचना सेवा के भी प्राइवेट कार्यक्रम किए हैं।
नए उभरते हुए युवा एंकरों के लिए कोई संदेश
आजकल एंकरों के लिए गूगल पर यूट्यूब पर ढेर सारा मटेरियल उपलब्ध है वहां से भी वह मदद ले सकते हैं लेकिन मेरा मानना है एंकर को अपना खुद का क्रिएशन करना चाहिए और नए-नए प्रयोग से दर्शकों को सम्मोहित करने की कला आना चाहिए।