सम्पादकीय
अरुण पटेल
हमें जितने संदेश देता है उतना और कोई त्यौहार नहीं देता। वास्तव में जीने के लिए जितने रंगों का समावेश होना हमारी जीवन रुपी बगिया को खुशियों व उल्लास से सराबोर करने के लिए जरुरी है उतने सारे संदेश यह पर्व हमें एक साथ देता है जबकि अन्य कोई पर्व हमें इतने संदेश एक साथ नहीं देता है। अनेकता में ही एकता भारत की सबसे बड़ी विरासत और खूबसूरती है और सात रंगों का इंद्रधनुष हमें प्रेरणा देता है कि हम सब एक हों, आपस में मिलजुल कर रहें और भाईचारे की भावना को बढ़ाएं। कभी किन्हीं पलों में किसी के प्रति हमारे मन में कुछ राग-द्वेष पैदा हो गया हो तो उस मनोमालिन्य को मिटाकर रगों के नये सरोवर में हम एक नई शुरुआत का संकल्प ले सकते हैं , जिसमें किसी के प्रति कोई द्वेष या दुर्भावना नहीं होगी। यदि कहीं किसी के मन में यह विचार आता है या ऐसा माहौल बनने लगता है जिसमें ऐसा लगता हो कि विभिन्न रंग छिन्न-भिन्न हो रहे हैं तो हम सबको मिलकर ऐसे वातावरण को बदलने के लिए रंगों के इस पर्व का सदुपयोग करना चाहिए और समाज में इंद्रधनुषी वातावरण बनाना चाहिए। भारतीय विचारधारा ऋषि और कृषि के साथ ही प्रगति के नये सोपान की दिशा में छलांग लगाती विज्ञान, टेक्नालाजी और आधुनिकता के तालमेल से एकता बनाकर ही हम प्रगति के पथ पर तेजी से आगे बढ़ सकेंगे। हम यह नहीं कर सकते कि पुरानी परंपराओं को आधुनिकता पर थोप दें क्योंकि ऐसा किसी भी मायने में किसी के लिए हितकर नहीं होगा। यदि भारत को सच्चे अर्थों में विश्व गुरु बनना है तो उसे हमारी प्राचीन परंपराओं, मान्यताओं के साथ ही आधुनिकता का समावेश करना होगा। होली पर्व उमंग, उत्साह और नये सिरे से संबंधों को रेखांकित करने के साथ ही आपसी प्रेम-सद्भाव बढ़ाने का पर्व है। इस पर्व पर रंग, गुलाल और अबीर की वर्षा होती है। लोग एक-दूसरे से गले मिलकर आपसी सम्बधों को ताजगी और ऊर्जा से लबरेज करते हैं। इस पर्व को हमें पारिवारिक रिश्तों को मजबूत करने, मित्रता को और प्रगाढ़ करने तथा देश में सद्भाव व खुशियां लाने के अवसर के रुप में देखते हुए बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक मानते हुए लोगों को एकजुट करने के अवसर के रुप में मनाना चाहिए और सभी प्रकार की नकारात्मकता को पूरी ताकत से परे ढकेलने का संकल्प लेना चाहिए। इस अवसर पर हमें अपनी ओर से किसी भी प्रकार के गलत काम न करने के लिए संकल्पबद्ध होना चाहिए और खुशियां व प्यार बांटने का जो यह त्यौहार है उसे अपनी जीवनौली का अनिवार्य अंग बनाना चाहिए। होली पर कीचड़ उछालने व एक दूसरे को तरह-तरह के रंगों एवं कालिख से पोत देने तथा अपने मन की भड़ास निकालने के एक अवसर के रुप में लेने की अनेक लोगों की प्रबल इच्छा हिलोरें मारती है इसलिए इस बात को लेकर हम संतोष कर सकते हैं कि यह काम इन दिनों राजनेता बखूबी कर रहे हैं और इसमें कोई किसी से पीछे नहीं है। हम पूरी शालीनता से इस पर्व को मनाते हुए राजनेताओं को भी यह सोचने के लिए विवश कर सकते हैं कि वे भी शाब्दिक मर्यादा और लक्ष्मण रेखा को पार करने के स्थान पर एक-दूसरे के प्रति परस्पर सद्भाव की नई राजनैतिक शैली जो कि अतीत की बात हो गयी है उसे पुर्नजीवित करने के लिए प्रेरित हों। यदि देश के राजनेता होली के इस पर्व पर अपने आचरण, व्यवहार और भाषण शैली में मर्यादित आचरण करने का संकल्प लेंगे तो इससे समूचे समाज में आपसी एकता, भाईचारा और इंद्रधनुषी रंग की छटा बिखेरने में अधिक समय नहीं लगेगा और सभी एकजुट होकर देश के नवनिर्माण में अपने-अपने ढंग से अपनी क्षमता के अनुसार पूरा योगदान कर सकेंगे।
होली पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं।