श्रीमद भागवत कथा का दूसरा दिन कथा सुनने श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़
शिवलाल यादव रायसेन
इंसान को सदा पर निंदा से बचना चाहिए।क्योंकि इससे व्यक्ति अच्छे रास्ते से भटक सकता है।धैर्य संयम रखना भी जरूरी है।अपनों को लड़वा कर दूसरे लोग काफी मजे लेते हैं।यह तो संसार सागर रीति नीति पुरानी है।इसीलिए पर निंदा से हमेशा बचना चाहिए।यह बात स्वामी रामलला आचार्य जगत गुरु शंकराचार्य ने बुधवार को मुखर्जीनगर स्थित शगुन मैरिज गार्डन रायसेन में आयोजित श्रीमद भागवत कथा में श्रद्धालुओं को रसपान कराते हुए कही।कथा सुनने भारी जनसैलाब उमड़ा।उन्होंने कथा को ऊँचाइयाँ देते हुए कहा कि राजा परीक्षित बोले कलियुग को चार जगह दी।हिंसा मांस का कार्य विक्रय ,वैश्या वृती, पाखण्ड ,मानसिक पाप अवगुणों आदि में कलियुग का वास रहेगा।
कथा सुनें मानसिक पुण्य होता है।कलियुग कहता है कि आपको मानसिक पुण्य तत्काल होता है।मेरे युग में व्यक्ति तर्क जरूर करेगा।भगवान का नाम का आश्रय ले लिया संकीर्तन कर लिया तो भव सागर पार हो जाएगा इंसान का।कलियुग को 5 वां स्थान मिला।राजा परीक्षित कलिकाल की दृष्टि की वजह से तपस्या कर रहे एक महात्मा के गले में मृत सर्प डाल दिया।महात्मा पुत्र श्रंगी ऋषि ने श्राप दिया।धर्मसम्राट राजा परीक्षित की 7 वें दिन मृत्यु हो जाएगी।संत के साथ अपमान का एहसास करते हुए राजा परीक्षित मुझे मेरे अपराध की घोर सजा मिले।राजा परीक्षित राजपाठ छोड़कर गंगा तट पहुंच गए।परीक्षित के प्रश्न का जबाव नहीं मिला तो सुखदेव महाराज प्रकट हो गए।गंगा नदी की रेत का ढ़ेर बनाकर सुखदेव महाराज को राजा को विराजित किया।
हरिकथा सुनाने वाले तुमको लाखों प्रणाम…. सुंदर संगीतमयी भजन सुनाया।आनंद विभोर हो गए श्रद्धालु।