मुकेश साहू दीवानगंज रायसेन
योग निद्रा में जाने वाले देव चार माह बाद देवोत्थान एकादशी पर जागते हैं। इस दिन पूजा-अर्चना कर देवों को जगाने की परंपरा का निर्वहन किया जाता है। देवों के जागने पर ही वैवाहिक व शुभ कार्य प्रारंभ होते हैं। देवउठनी एकादशी मंगलवार को मनाई गई। इसे लेकर सोमवार को अंबाडी सेमरा दीवानगंज, समेत बाजारों में जगह-जगह गन्ने और सिंघाड़े की दुकानें सजाई गई। देव उठनी एकादशी से एक दिन पूर्व बाजारों में शकरकंद 50 रुपये प्रति किलो, सिंघाड़ा 160 रुपये किलो और गन्ना 50 रुपये प्रति गन्ना के हिसाब से बेचा गया। इसके चलते बाजारों में खूब चहल-पहल रही।
ग्यारस के दिन शालिग्राम का विवाह तुलसी के साथ कराया जाता है। गन्ने का मंडप बनाकर आज के दिन पूजा पाठ की जाती है।
तुलसी विवाह में लगने वाली पूजन सामग्री के लिए दुकान पूरी तरह सजकर तैयार थी पूजा सामग्री की दुकान लगाने वाले धर्मेंद्र ने बताया कि बाजार में गन्ना, सिंघाड़ा, कांदा, बेर, फल, फूल चुनरी सहित अन्य पूजन सामग्री की दुकान लगाई गई है शाम तक इन दुकानों में रौनक देखने को मिलेगी। सबसे ज्यादा गन्ना बिका है, जिससे तुलसी विवाह के लिए मंडप बनाया जाएगा। नारियल सिंघाड़ा, कांदा और दूसरी पूजा सामग्री भी लोग खरीदते हैं। हिंदू धर्म में एकादशी तिथि बहुत ही महत्वपूर्ण है। कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को प्रबोधिनी एकादशी और देवोत्थान एकादशी भी कहा जाता है। आज के दिन भगवान विष्णु चार माह के लंबे समय के बाद योग निद्रा से जागते हैं। इसके साथ ही चातुर्मास का समापन भी हो जाता है। भगवान श्री हरि विष्णु सृष्टि के संचालन का दायित्व फिर से संभाल लेते हैं। आज के दिन से विवाह, सगाई, मुंडन, गृह प्रवेश जैसे सभी मांगलिक कार्य की शुरुआत हो जाती है।