‘चाचा विधायक थे इनके…’, झारखंड में जिस मंत्री के करीबी के यहां मिला नोटों का अंबार, जानें उनकी कुंडली
लोकसभा चुनाव के बीच प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने झारखंड के रांची में बड़ी कार्रवाई की है. उसने सूबे के ग्रामीण विकास मंत्री व राज्य के वरिष्ठ कांग्रेस नेता आलमगीर आलम के निजी सचिव संजीव लाल के घरेलू नौकर के यहां से भारी मात्रा में कैश बरामद किया. ईडी के अधिकारियों को इतना कैश मिला है कि उससे गिनने में घंटों लग जाएंगे. इस कैश को हाथों से नहीं बल्कि मशीनों से गिना जाएगा.
ईडी की कार्रवाई के वीडियो सामने आए हैं, जिसमें अधिकारियों को एक कमरे में बड़े बैग से नोटों की गड्डियां निकालते हुए दिखाया गया है. कुछ केंद्रीय बल के सुरक्षाकर्मी भी दिखाई दिए हैं. केंद्रीय एजेंसी के सूत्रों का कहना है कि 25 से 30 करोड़ रुपए का कैश हो सकता, जिसकी गिनती की जा रही है. सभी गड्डियां 500 रुपए के नोटों की हैं. इसके अलावा एजेंसी ने ज्वैलरी भी बरामद की है, जिसकी कीमत का आकलन किया जाएगा.
बीजेपी ने राहुल गांधी को लिया आड़े हाथ
ईडी की ओर से की गई ये बरामदगी झारखंड ग्रामीण विकास विभाग के चीफ इंजीनियर वीरेंद्र राम के मामले में चल रही जांच के संबंध में है. ईडी ने वीरेंद्र राम को पिछले साल फरवरी में गिरफ्तार किया था. ईडी की ताजा कार्रवाई से कांग्रेस नेता पर सवाल खड़े हो सकते हैं क्योंकि जिसके घर कैश बरामद हुआ है वो मंत्री का करीबी बताया जा रहा है. 70 साल के कांग्रेस नेता आलमगीर आलम सूबे की पाकुड़ सीट से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे हैं.
ईडी की कार्रवाई पर बीजेपी ने कांग्रेस और राहुल गांधी पर हमला बोला है. बीजेपी ने कहा कि झारखंड में राहुल गांधी के दाहिने हाथ आलमगीर आलम के पास से 25 करोड़ से ज्यादा की अवैध ‘संपत्ति’ बरामद हुई है. एक ओर, कांग्रेस के मंत्री भारतीयों से लूट करते हैं, दूसरी ओर राहुल गांधी अपने वोट बैंक में बांटने के लिए हिंदुओं की मेहनत की कमाई छीनने की कसम खाते हैं. यह राहुल गांधी का धन बांटने का मॉडल है. अगर कांग्रेस कभी सत्ता में आई तो भारतीयों से हर सिक्का छीन लेगी.
आलमगीर के चाचा भी रहे कांग्रेस से विधायक
आलमगीर आलम के चाचा हाजी एनुल हक कांग्रेस के विधायक रहे हैं. शुरू से ही आलमगीर आलम कांग्रेस की विचारधारा से प्रेरित होकर कांग्रेस के संगठन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते रहे. राजनीति में उनकी बढ़ती सक्रियता को देखते हुए उनके चाचा हाजी एनुल हक ने पाकुड़ विधानसभा का उन्हें उत्तराधिकारी बनाया. 1995 में आलमगीर आलम को कांग्रेस का प्रत्याशी बनाया गया, लेकिन बीजेपी प्रत्याशी बेणी प्रसाद गुप्ता से हार का सामना करना पड़ा था.
आलमगीर आलम ने इस हार को जीत में बदलने के लिए क्षेत्र में लगातार मेहनत की और उनकी मेहनत रंग भी लाई. वह 2000 में पाकुड़ विधानसभा से बेणीगुप्ता को हराकर पहली बार विधायक बने. उस समय झारखंड एकीकृत बिहार राज्य में था. इसके बाद उन्होंने इसी सीट से 2004, 2014 और 2019 में जीत हासिल की. वह चार बार विधायक रह चुके हैं. हालांकि 2009 के चुनावों में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. आलम 2006 से लेकर 2009 के बीच झारखंड विधानसभा के अध्यक्ष रह चुके हैं.
कांग्रेस ने चुना था पार्टी विधायक दल का नेता
2019 के विधानसभा चुनाव में आलम ने अकील अख्तर को हराया था और सीट पर अपना कब्जा बरकरार रखा था. चुनावों के बाद कांग्रेस ने उनपर विश्वास जताते हुए पार्टी विधायक दल का नेता चुना. सूबे में कांग्रेस झामुमो और आरजेडी के साथ गठबंधन में है. चुनाव जीतने के बाद 29 दिसंबर 2019 को आलम को मंत्री बनाया गया. वह प्रदेश में कांग्रेस का एक बड़ा चेहरा हैं.