रिपोर्ट देवेश पाण्डेय सिलवानी रायसेन
किसानों के लिए इस बार लहसुन की खेती घाटे का सौदा साबित हो रही है। मौजूदा भावों में किसानों की लागत भी निकलना मुश्किल हो गया है। दाम गिरने के कारण किसान मंडियों में लहसुन लाने से बच रहे हैं, लेकिन भीषण गर्मी का दौर शुरू होने के कारण भण्डारण करना भी मुश्किल हो गया है। इस कारण किसान परेशान है।
बुवाई के बाद मावठ होने और जमीन में लगातार नमी रहने के कारण उत्पादन भी कम बैठा है। अब दामों ने दगा दे दिया है। इस कारण किसान सदमे में है। किसानों का कहना है कि मौजूदा भावों में बेचने पर घाटे का सौदा साबित हो रहा है। इस कारण मंडियों में लहसुन की आवक भी बहुत कम हो रही है। किसान अब सरकार की ओर देख रहे हैं।
*बुवाई के वक्त बिक रहा था 70 से 100 रुपए किलो*
किसान रबी सीजन में लहसुन की बुवाई की तैयारी कर रहे थे, तब लहसुन के दाम 70 से 100 रुपए किलो पहुंच गए थे। किसानों ने अच्छे दामों की उम्मीद में इस बार लहसुन की जबर्दस्त बुवाई की थी। अब फसल आते ही दाम औंधे मुंह गिर गए हैं। मंडियों में औसत भाव 25 से 35 रुपए किलो चल रहे हैं।
*गर्मी बन रही बैरन*
किसान खेतों से लहसुन निकाल कर वहीं सूखा रहे हैं, लेकिन इस बार जल्दी भीषण गर्मी का दौर शुरू होने के कारण खराब होने का डर सता रहा है। किसानों का कहना है कि लहसुन के भण्डारण के लिए 30 से 35 डिग्री तापमान अनुकूल है। इसके बाद तापमान बढऩे पर लहसुनु खराब होने लग जाता है। अभी तापमान 40 डिग्री को पार कर गया है। ऐसे किसानों के समक्ष भण्डारण करना बड़ी चुनौती बन गया है। घरों में कूलर-पंखें लगाकर रखना पड़ेगा। इसके लिए बंदोबस्त शुरू कर दिया है। किसानों का कहना है कि सरकारी खरीद होने पर बाजार स्तर हो जाएंगे, जिससे अच्छे दाम मिल सकेंगे।
मौजूदा भावों में लहसुन बेचना किसानों के लिए घाटे का सौदा साबित हो रहा है। इस कारण किसान सदमे में है। 2017 की स्थिति नहीं आए, इसलिए सरकार को बाजार हस्तक्षेप योजना में सम्पूर्ण लहसुन खरीद की जल्द घोषणा करनी चाहिए। ताकि किसानों को सम्बल मिल सके।