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सरकारों की सैकड़ों जनकल्याणकारी योजनाओं के बावजूद नहीं थमा गंदगी से रोजगार ढूंढने का सिलसिला

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देवेंद्र तिवारी सांची रायसेन 

वैसे तो महिलाओं के लिए विभिन्न जनकल्याणकारी योजनाओं को क्रियान्वित किया जा रहा है तथा अब मुख्यमंत्री लाडली बहना योजना भी अस्तित्व में आ चुकी है जिससे महिलाएं सशक्त एवं समृद्ध तथा आत्म निर्भर बन सकें परंतु आज भी इस विश्व विख्यात पर्यटक स्थल पर गंदगी के बीच रोजी-रोटी तलाशती गरीब महिलाएं अक्सर दिखाई दे जाती है जिससे देश विदेशों में भी छवि धूमिल होती दिखाई देती है ।

जानकारी के अनुसार यह स्थल विश्व विख्यात पर्यटक स्थल के रूप में विख्यात है यहां देश विदेश के पर्यटकों का आना जाना लगा रहता है साथ ही इस स्थल पर अनेक विशिष्ट अति विशिष्ट लोग भी आते जाते रहते हैं बावजूद इसके सरकार गरीबों का जीवन स्तर उठाने अनेक योजनाएं जमीन पर उतार चुकी है बावजूद इसके इस स्थल पर गंदगी में से रोजी रोटी तलाशती महिलाएं दिख जाती है । दूर दराज से आने वाली महिलाएं अपने कंधों पर बोरी टांगें गंदगी के बीच पन्नी खखूरती दिखाई देती है हद तो तब हो जाती है जब महिलाएं तो गंदगी से रोजी-रोटी की कवायद में जुटी ही रहती है बल्कि उनके साथ नाबालिग बच्चियां जिनके हाथों में स्कूल की पुस्तक पकड़ना थी परन्तु उनके कंधों पर गंदगी से समेटी गई पन्नियों की बोरी टंगी दिखाई दे जाती है साथ ही गंदगी के बीच से रोजी रोटी तलाशती यहां वहां भटकती देखी जा सकती है जबकि केंद्र व राज्य सरकारें महिलाओं को सशक्त समृद्ध एवं आत्मनिर्भर बनाने के साथ महिलाओं का जीवन स्तर उठाने अनेक योजनाएं क्रियान्वित कर रही है परन्तु इन महिलाओं तक या तो यह योजना पहुंच नहीं पा रही अथवा यह महिलाएं योजनाओं का लाभ नहीं उठा पा रही है तथा अपने इस व्यवसाय को छोड़ना भी नहीं चाह रही परन्तु इन महिलाओं के इस गंदगी से पन्नी बीनने की ओर न तो प्रशासन न ही शासन की नजर पहुंच पा रही है इससे देश विदेश में न केवल नगर की बल्कि देश की भी छवि पर बट्टा लगता दिखाई दे रहा है । नगर में जगह जगह गंदगी के बीच रोटी ढूंढने पर कभी किसी प्रशासन में बैठे जिम्मेदार ही इन महिलाओं की सुध ले सके हैं जिससे इन महिलाओं को सशक्त समृद्ध बनाया जा सके तथा इनके जीवन में कोई मान-सम्मान वाले रोजगार अपनाने के लिए जागरूक किया जा सके इतना ही नहीं इन महिलाओं के साथ इन नाबालिग बच्चें बच्चियों को भी आसानी से देखा जा सकता है जबकि इन बच्चों के हाथ में स्कूल पुस्तक होना थी परन्तु गरीबी के बोझ के चलते इन बच्चों के हाथ में कंधों पर गंदगी से निकाली गई पन्नियों की बोरी टंगी दिखाई दे जाती है जिससे सरकार की योजनाओं को पलीता लगने से इंकार नहीं किया जा सकता । जबकि इस स्थल की छवि निखारने तथा इसकी ऐतिहासिकता को दुनिया के हर छोटे बड़े देशों में प्रसिद्धि दिलाने देश के प्रधानमंत्री ने यहां स्थित ढाई हजार साल पुराने बौद्ध स्मारकों को भारतीय मुद्रा के दौसो रुपए के नोट पर अंकित कर दिया तब इस दशा में इस स्थल पर खुलेआम गंदगी से अपनी रोजी रोटी ढूंढने के कारण सरकार की महिलाओं के हितार्थ चलाने वाली योजनाओं का लाभ इन तक न पहुंचने की नजर से देखा जाता है बल्कि इस स्थल की छवि पर भी देश विदेश में विपरीत प्रभाव पड़ता दिखाई दे जाता है । आज तक आगे बढ़ कर किसी भी प्रशासनिक अधिकारी ने इनकी खैर-खबर लेने की ही जहमत उठाने का बीड़ा उठाया है जिससे सरकारी योजनाओं पर भी धब्बा लगता नजर आने लगा है।

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