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25-26 नवंबर को 71 वां बौद्ध वार्षिकोत्सव की तैयारियां हुई शुरू,सांची को सजाया जा रहा दुल्हन की तरह

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 देवेंद्र तिवारी सांची रायसेन

प्रतिवर्ष अनुसार इस वर्ष भी आयोजित होने वाले 71वे बौद्ध वार्षिकोत्सव की तैयारियां जोर-शोर से शुरू हो चुकी है इस वार्षिकोत्सव में देश-विदेश के लाखों श्रद्धालुओं के जुटने की संभावना है ।
जानकारी के अनुसार नगर में प्रतिवर्ष बौद्ध वार्षिकोत्सव समारोह आयोजित किया जाता है इस वार्षिकोत्सव में देश-विदेश से हजारों लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है इसमें सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए जाते हैं तथा विभिन्न सुविधा उपलब्ध कराई जाती है यह वार्षिकोत्सव 25-26 नवंबर को आयोजित किया जाएगा ।
ढाई हजार साल प्राचीन है बौद्ध स्मारक।
यह स्थल विश्व विख्यात पर्यटक स्थल के रूप में विख्यात है इस स्थल पर ढाई हजार साल पुराने बौद्ध स्मारक है इन स्मारकों की खोज 1712 से 1719 के बीच जानसन व जनरल कनिंघम ने सांची में अन्वेषण व उत्खनन के दौरान की थी इन स्मारकों के चारों ओर कलाकृति को अपने में समेटे तोरणद्वार पाये गये थे तथा अनेक स्तंभ एवं बौद्ध मंदिर जिसमें भगवान बुद्ध की प्रतिमा विराजमान हैं पाये गये थे इनके अनदेखी के चलते ध्वस्त हो गए थे तब अंग्रेज अफसरों ने इनकी प्राचीनता को देखते हुए पुनः पुनर्स्थापित किया ।

देश के आजाद होने के बाद से ही इन प्राचीन धरोहर को संजोकर एवं सुरक्षित रखने का काम भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को सौंपा गया तब से अब तक पुरातत्व विभाग इसके सुरक्षित व संरक्षण की दिशा में जिम्मेदारी उठा रहा है । इन ऐतिहासिक स्मारकों के खोज के पूर्व पहुंच पाना मुश्किल था तब यहां तक अंग्रेज अफसरों ने यहां पहुंच मार्ग जुटाया तथा इसे दार्शनिक बनाने की दिशा में कदम बढ़ाते हुए इसे मूर्तरूप देने का काम किया तथा ध्वस्त अवस्था में पाये गये स्तंभों को पुनर्स्थापित किया गया।
अंग्रेज अफसरों ने खुदाई के दौरान मिली कलाकृति विदेश ले जाई गई
कलाकृतियां एवं स्मारक क्र एक में पाई गई भगवान बुद्ध के परम शिष्यों की अस्थियां।
जब इन पुरातात्विक धरोहर की खुदाई की गई तब अनेक बेशकीमती धरोहर पाई गई इनमें स्तूप क्र एक में पत्थर की पेटी में भगवान बुद्ध के परम शिष्यों की पावन अस्थियां पाईं गईं थीं तब अंग्रेज अफसर भगवान बुद्ध के परम शिष्यों सारिपुत्र व महामोद्ग्लाइन की पवित्र अस्थियां पाईं गईं थीं तब इन पवित्र अस्थियों को लेजाकर इंग्लैंड के अल्वर्ड विक्टोरिया अजायबघर में रखा गया ।
आजादी के बाद वापस आईं पावन अस्थियां।
जब देश आजाद हुआ तब भारत सरकार के प्रयास से इन अस्थियों को भारत वापस लाया गया । इन अस्थियों को वापस लाने में नवाब भोपाल ने भी अहम् भूमिका निभाई थी ।
पवित्र अस्थियों को सुरक्षित रखने शुरू हुए प्रयास
भारत सरकार द्वारा इन अस्थियों को जब भारत लाया गया तब 1952 में इन्हें सुरक्षित रखने की समस्या खड़ी हो गई तब उस समय नवाब भोपाल द्वारा स्तूप पहाड़ी पर ही बौद्ध मंदिर हेतु भूमि उपलब्ध कराई गई एवं इस मंदिर निर्माण के लिए तत्काल 25 हजार रुपए आवंटित किए गए थे तब बौद्ध मंदिर निर्माण शुरू किया गया एवं 1952 में मंदिर निर्माण होने के बाद इन पवित्र अस्थियों को सांची लाया गया तथा भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू स्वयं इन अस्थियों को सांची लेकर पहुंचे तब सांची पहुंचने पर इन पवित्र अस्थियों की अगवानी करने उस समय भारत के उपराष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन डॉ शंकर दयाल शर्मा सिक्किम के महाराज कुमार सहित अनेक देशों के राजदूत उपस्थित रहे तब इन अस्थियों को नवनिर्मित बौद्ध मंदिर ले जाया गया तथा उसमें सुरक्षित रखा गया तब इन अस्थियों की पूजा अर्चना पंडित नेहरू ने करते हुए जनता के दर्शनार्थ रखा ।वह दिन नवंबर माह के अंतिम रविवार का था तबसे ही इन पावन अस्थियों को जनता के दर्शनार्थ नवंबर के अंतिम रविवार को रखा जाता है तथा इस दिन यह वार्षिकोत्सव समारोह मनाने की परंपरा शुरू हुई धीरे-धीरे इस समारोह को दो दिवसीय कर दिया गया । इन पावन अस्थियों की पूजा अर्चना करने के उपरांत जनता के दर्शनार्थ रखा जाता है तथा इन अस्थियों को विधि-विधान से स्तूप क्र एक की कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच परिक्रमा कराई जाती है । तथा तब से अब तक बौद्ध मंदिर का संचालन महाबोधि सोसायटी आफ श्रीलंका सांची द्वारा किया जाता रहा है । इस समारोह में शामिल होने महाबोधि सोसायटी के बिहाराधिपति पूज्य वानगल उपतिस्स नायक थैरो भी श्री लंका से सांची पहुंचते हैं तथा सांची महाबोधि सोसायटी का संचालन वानगल विमल तिस्स नायक थैरो करते हैं ।
इस अवसर पर विभिन्न विभाग जुटाते हैं सुविधा।
इस वार्षिकोत्सव में साफ़ सफाई पेयजलापूर्ति वाहनों की पार्किंग व्यवस्था तथा यहां आने वाले दुकानदारों को भूमि उपलब्ध कराने नगर परिषद प्रशासन सक्रिय हो जाता है । तथा सुरक्षा व्यवस्था को लेकर पुलिस प्रशासन की भारी व्यवस्था की जाती है । इस स्थल पर इस वार्षिकोत्सव में देश-विदेश से शामिल होने आने जाने वाले पर्यटकों को जहां बसों की व्यवस्था रहती है तो दूसरी ओर रेलवे प्रशासन इस दो दिवसीय समारोह के लिए ट्रेन स्टापेज करता है इस वर्ष भी रेलवे ने अमृतसर एक्सप्रेस विंध्याचल एक्सप्रेस सहित चार ट्रेन स्टापेज किए हैं जिससे पर्यटकों को आने जाने में परेशानी न उठानी पड़े इसके साथ ही स्वास्थ्य विभाग की अतिरिक्त टीम भी सक्रिय हो जाती है स्तूप चौराहे पर लोगों को आने-जाने भारी पुलिस बल तैनात किया जाता है । इस वार्षिकोत्सव में नगर सहित बाहर से बड़ी संख्या में दुकान दार अपनी दुकान लगाते हैं तथा बड़ी संख्या में झूले आदि लगाये जाते हैं इस वार्षिकोत्सव में हजारों की भीड़ उमड़ती है इस वार्षिकोत्सव में शामिल होने देश-विदेश के विशिष्ट अतिविशिष्ट व्यक्तियों के अलावा देश विदेश के बड़ी संख्या में बौद्ध अनुयाई शामिल होते हैं ।

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