केवल भारत भूमि में ही धर्म, धर्मात्मा और तीर्थंकरों का जन्म हुआ
इंटेंशन अच्छा हो तो टेंशन नहीं होता
सुरेन्द्र जैन रायपुर
संत शिरोमणि 108 आचार्य श्री विद्यासागर महाराज ससंघ चंद्रगिरी डोंगरगढ़ में विराजमान है | आज के प्रवचन में आचार्य श्री ने बताया कि आप लोग रात में स्वप्न देखते हैं जैसा उद्देश्य होता है उसी के अनुसार सामने दृश्य आ जाता है और जब जागते हैं तो सामने का दृश्य देखना नहीं चाहते फिर हम अपनी आँखों से ना देखकर के आँखों को बंद कर लेते हैं तब चिंतन कि धारा होती है | उस समय यदि चश्मा लगाया गया हो तो चश्मा को न देखकर के आँखों को बंद कर लेते हैं तो तत्काल आपको महसूस होगा कि किसमें हानि है और किसमें लाभ है | अब निचे देखने या आँखे बंद करने से लाभ होना प्रारंभ हो जाता है | प्रायः महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ में एक तरफ शुभ और एक तरफ लाभ लिखा जाता है | यह प्रतिक है शुभ का | इसमें शुभ का क्या अर्थ होता है और लाभ का क्या अर्थ होता है ? सांसारिक प्राणी अपने लिये हमेशा शुभ कि ओर देखता है यहाँ शुभ से आशय अनुकूलता से है और हानि से बचना है और लाभ का अर्थ संसार कि अपेक्षा से लक्ष्मी होती है | सरस्वती और लक्ष्मी के द्वारा यह युग (जगत) का सञ्चालन होता है या करते हैं | स्वयं इन दोनों के कारण अनेक प्रकार के विचार और अनेक प्रकार कि मांग हमारे दिमाग में पलती रहती है | इसी दुनिया में रहते हुए भी कई लोग इच्छा पूर्ति न होने से एक प्रकार से अभिशाप मानते हैं | इच्छा होना तो चाहिये किन्तु किस प्रकार कि इच्छा होनी चाहिये ? आपको मालूम नहीं महाराज आपको बताना नहीं चाहते | गृहस्त हो या कोई भी सभी को कोई न कोई इच्छा होती है | भीतर लड़का है घर में या कोई और सदस्य है उनकी अपनी कोई इच्छा नहीं रहती यदि रहती भी है तो उसे गौण करते मिट जाती है | आप लोग कि इच्छा बहुत आत्मीयता के कारण होने से उसकी पूर्ति कि जाती है या तो उसकी पूर्ति के लिये और कोई विद्या सीखता है | इच्छायें या आकुल्तायें ये सब हमारी दृष्टि के ऊपर निर्धारित है | जब आप अपनी इच्छा के बिना कुछ सोचना चाहे तो उस समय आपका मन नहीं लगता | आप अपनी इच्छा के अनुरूप ही मन को उसी ओर ले जाते हैं जहाँ आपकी इच्छा पूर्ति होती है | आपको जो टेंशन होता है उसका निमित्त मन होता है यदि हम मन को सरल कर ले तो टेंशन नहीं होगा | आपको यदि टेंशन हो जाता है तो आपकी गोद से लड़का भी खसक जाता है और दूध पीना बंद कर आपकी आँखों में देखने लग जाता है | बच्चा कहता है मै तो दूध पी रहा था पर आपको टेंशन में देखा तो मुझे लगा मेरी वजह से तो टेंशन नहीं है इसलिए दूध पीना बंद कर दिया | इसलिए आचार्यों ने यह कहा है कि जिनको टेंशन होता है उनके इंटेंशन को थोडा सा बदलने का प्रयास किया जा सकता है | मैडिटेशन और कोई वस्तु नहीं है केवल इंटेंशन को सही कि ओर ले जाना है | आचार्यों ने कहा मन यदि नहीं भी लगता है तो कोई बात नहीं लेकिन मन किसी भी वस्तु से चिपके नहीं | जिस किसी का भी चिंतन करो न भी करो चल जायेगा, इधर – उधर देख भी लो चल जायेगा, इंटेंशन यदि अच्छा है तो सब अच्छा है | ये द्रव्य संग्रह (जैन ग्रन्थ) में लिखा है और आप भी रात दिन द्रव्य संग्रह (पैसा कमाने) पढ़ते हो | पढ़ते हो का अर्थ है महाराज जिन्होंने द्रव्य संग्रह लिखा उसको पढ़कर हजारों – हजारों मुनि महाराज तीर गए और आपके द्रव्य संग्रह (पैसा कमाने) के कारण उसी में डूब जाते हो | आनंद में नहीं किन्तु दुःख और आकुलता में डूब जाते हो | यदि इंटेंशन ख़राब है तो टेंशन बढेगा आप कितना भी ध्यान करना चाहो आपका ध्यान आर्त ध्यान और रौद्र ध्यान के अलावा और कुछ नहीं रहेगा | ऐसे आर्त ध्यान और रौद्र ध्यान को बदलना बहुत कठिन है | सुन रहे है कि विदेशो में कुछ सेंटर खोल रहे हैं जनता कि सुविधा के लिये जनता कि समस्या को दूर करने के लिये जो मोबाइल कि लत पड़ी है | लत समझते हो मोबाइल ने ऐसा लात दे दिया जिससे बचना मुश्किल है | हमारे पास आ जाओगे तो उस सेंटर से भी जल्दी – जल्दी बिना दाम लिये आपको ठीक कर सकते हैं | उनका उद्देश्य है कि बच्चे मोबाइल के दुष्प्रभाव से (लत से ) बच जाये | अग्नि को हाथ लगाकर देखता है कि हाथ जलता है कि नहीं ऐसा करना आपकी गलती है | बच्चो को इस ढंग से दे दिया जैसे कि सौभाग्यवती महिलायें कंगन पहनती है ऐसे ही उन बच्चों के पास यह मोबाइल लटकता रहता है | सोते समय भी तकिया के निचे रखकर सोता है | वहाँ से क्या संपर्क होता है क्या पता ? संभव है स्वप्न में भी मोबाइल चलाता हो | स्वप्न में भी यह आदत ख़राब है कब छुट जाए | अब बाहर (विदेश) के लोग घबरा गए हैं इस मोबाइल के दुष्परिणाम को देखकर | बड़ी – बड़ी कंपनी चलाने वाले सेठ साहूकार हैं उन्होंने मोबाइल का उपयोग आज तक नहीं किया ऐसे सेठ भारत में संभव नहीं है वे विदेश में रहते हैं | उनकी कंपनी के प्रोडक्ट में यदि कोई कमी रहती है या उससे किसी को कोई नुकसान होने कि सम्भावना होती है तो वे उसमे स्पष्ट लिखित उल्लेख देते हैं कि इसमें ये – ये सामग्री का प्रयोग किया गया है जिससे ये – ये समस्या हो सकती है एवं इसका उपयोग इस – इस स्थान में प्रतिबंधित है | यदि कोई प्रोडक्ट ख़राब (मेनूफैक्चरिंग डीफैक्ट) हो जाता है तो उनको कोई चिंता कि बात नहीं होती उसे वे भारत में खपा देते हैं | यहाँ के लोग वहाँ के डैमेज, रिजेक्टेड और ख़राब प्रोडक्ट को भी इम्पोर्टेड (विलायती) विदेशी प्रोडक्ट के नाम से खरीद लेते है | यह भारत कि दशा है | जो भी चीज ख़राब हो जाती है यहाँ पर भेजा जाता है | चाहे पढ़े लिखे हो सेठ साहूकार हो लेकर बैठ जाते हैं | यह सब उल्टा है इसे सुलटाये कैसे ? आगरा भी चले जाओ तो कोई ईलाज नहीं है | सुनते हैं भारत में यदि ईलाज न हो तो विदेश में हो जाता है | एक व्यक्ति दौड़ता हुआ आया कहता है बहुत बड़ा संकट है महाराज मोबाइल घूम गया | किसी को लत लग गयी हो तो उसने सोचा मेरा घूम गया तो इसी को उठा लेता हूँ | उससे पूछा क्या था उसमे बताओ तो कहता है सब कुछ उसी में था महाराज, जिन्दगी भी उसी में और अब तो हमारा अंत हो जायेगा | महाराज ऐसा आशीर्वाद दे दो जहाँ भी जाऊंगा ऊपर वहाँ मोबाइल न हो | यदि वहाँ पर भी चला जाये तो ध्यान रखना देव भी अवधि ज्ञान का प्रयोग हमेशा – हमेशा नहीं करता है बहुत आवश्यक होता है तभी उपयोग करता है | यदि आपको पाचन शक्ति बढ़ाना है तो पान खाइये लेकिन होशियारी के साथ उसमे चुना और कत्था ज्यादा न लगाइये नहीं तो वह पाचक नहीं आपको ही पका देगा | मात्रा को देखना चाहिये | क्या आप सभी का हित चाहते हो ? बच्चे का विकास केवल हाइट बढ़ जाने से नहीं होता | कई को तो ये नहीं मालूम कि वेट (भार) और स्फूर्ति (एनर्जी) में क्या अंतर है ? मेरा वेट कम हो रहा है लेकिन एनर्जी कम नहीं हो रही है | एक ही में सभी को तौलते चले जा रहे हो सब गढ़बढ है | ऐसे कई लोग है जो कहते हैं वजन कम हो रहा है | यह बढ़ता और कम होता रहता है | दवाई खाकर इसे बढ़ाना या कम करना हानिकारक है | प्राकृतिक रूप से होना अलग है | मोटापा दो प्रकार का होता है एक शरीर से मोटा होना और एक पैसा से मोटा होना | अब इतने मोटे हो गए आप लोग कि प्रधान मंत्री को चिंता हो रही है आप लोगो कि | ऐसे मोटे हो गए हो कि आठ व्यक्ति भी मिलकर उठा नहीं सकते | क्या करना बताओ ? यह ध्यान रखना आवश्यक है बच्चे जब बाहर पढने जाते हैं तो उन्हें बहुत पैसा देते हो तो वह इसका दुरुपयोग नशीले पदार्थों (ड्रग्स) के सेवन में करते हैं | जिसकी किमत हज़ार नहीं, लाख नहीं बल्कि करोड़ों में होती है | रहिस जो होगा वही इसका सेवन कर सकता है बाकि के तो बस का ही नहीं है | इनकी लत को छुड़ाने के लिये भी सेंटर खोल रहे हैं | सुनते हैं पंजाब स्वतंत्रता के बाद विकास कि ओर था और विकसित होकर के गेंहू कि अपेक्षा से उसकी उन्नति पूरे भारत में एक नंबर में थी | समृद्ध प्रदेश बन गया था और उनके लोग आबादी के अनुसार बहुत कुछ प्रायः देश कि रक्षा हेतु सेना में भी भर्ती होते हैं | आज पंजाब के कुछ स्थान ऐसे है जहाँ लोग भयानक रोग से पीढित है कैंसर जैसे रोग सबसे जयादा है | जिसका कारण है कि विदेशी चीजों का प्रयोग करने और खाने – पीने से हो रहा है | बच्चो को विशेष रूप से नशीले पदार्थों के सेवन करने कि लत लग चुकी है वे अब उस नशीले पदार्थ के बिना रह नहीं सकते है | पैसा भी खर्च नहीं कर सकते क्योंकि उसकी कोई दवाई ही नहीं है कोई औषध ही नहीं है | वो पागल जैसे हो जाता है जैसे मछली पानी के बिना तड़पती है वैसे ही वो उस नशीले पदार्थ के बिना तड़पता है | इसमें कारण माता – पिता अवश्य है वो लड़का नहीं | अब प्रान्त से प्रांतर नहीं देश से देशांतर तक और अच्छे पढ़े लिखे और पैसे वाले भी अब चलो दुबई | दुबई का अर्थ हम डुबना समझते हैं कहाँ डुबोगे ? भारत अच्छा नहीं लग रहा अब वे खूब घूम आये | क्या घूम आये ? मन को घुमाओ | सिंगापुर, दुबई, हांग कांग ये क्यों अब अच्छे लग रहे हैं ? देश के प्रति निष्ठा, समर्पण भाव नहीं रहा | यहाँ पर अनुकूल जो वस्तु है वह किसी देश में नहीं है यहाँ पर धर्म है, धर्मात्मा है, यहाँ पर तीर्थंकर जन्म हुआ अन्यत्र किसी देश में उत्पन्न नहीं हुआ | हमारे तीर्थंकर अयोध्या में उत्पन्न हुए | आज भी इतिहास देख लो लोग सेवा करने के लिये हाथ जोड़कर खड़े होते हैं और अपने आप को धन्य मानते हैं | ऐसा यह पवित्र भूमि जहाँ आप जन्म लिये हो | विशेष विदेश होते है मै मानता हूँ ये उसी में होते हैं लेकिन वहाँ के लोग भी गाडी में बैठकर आते हैं और गाडी में बैठकर चले जाते हैं | कौन थे कहाँ से आये थे किसी को मालूम नहीं झाड़ू लेकर आते हैं झाड़ू लगाकर पुनः झाड़ू को उसी में रखकर चले जाते है| क्या कर रहे है पहले घुमने जाते थे कि शुद्ध प्राण वायु मिल जाये, शुद्ध विचार हो जाये, शुद्ध शौच आदि क्रियांएँ हो जाये, स्नान आदि करके आ जाते थे | प्रतिदिन का यह कार्य गाँधी जी करते थे और आप लोग क्या कर रहे हो ? माथा ठोक रहे है यहाँ महाराज आशीर्वाद मिल जाए हमें विश्वास है हमारा लड़का सुधर जायेगा | क्या हो गया ? आँखों में पानी है और वह लड़का भी कहता है महाराज कई बार प्रयास कर चूका हूँ कि यह नशे कि लत छुट जाये पर लगता ऐसा है कि प्राण छुटने तक यह मुझसे नहीं छुटेगी | अब क्या करें बताओ ? दुनिया कि ये दवाईयाँ और उपचार किस काम के हैं ऐसे रोग पैदा कर रहे है | पंजाब में आज धरती जल रही है विदेशी खाद, विदेशी बीज, विदेशी कीटनाशक दवाईयाँ, मिटटी कि उर्वरता समाप्त होकर जमीन बंजर हो रही है | बंजर समझते हैं न आप जिसको संतान न हो उसको बांझ बोलते हैं और जो धरती अनाज न पैदा करे उस धरती को बंजर धरती बोलते हैं | शासन यह सब जानकार, देखकर कुछ कर नहीं पा रही है अभी तो वह चुनाव को देख रही है | चुनाव आवश्यक है लेकिन ५ साल में यदि हम इन कुरीतियों को समाप्त करें ऐसा संकल्प के धनी कि आज आवश्यकता है | तब तो भारत का विकास संभव है | केवल स्वतंत्रता से गाँधी जी मानते नहीं थे कि भारत स्वतंत्र हुआ | स्वतंत्रता तो वह है कि स्वछंदता को समाप्त करके अपनी नीति नहीं किन्तु नीति हमेशा – हमेशा तारने वाली होती है | आप लोगो ने आज बहुत कडवे शब्द हुने | यदि डायबिटीज है तो कडवी दवाई आवश्यक है | आज रविवार है तो सोचा इनका ट्रीटमेंट कर दें | आज आचार्य श्री विद्यासागर महाराज को नवधा भक्ति पूर्वक आहार कराने का सौभाग्य मीनल दीदी परिवार को प्राप्त हुआ |