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इंदौर में 100 रुपये प्रति किलो तक बिक रहा टमाटर

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Tomato Price Indore: इंदौर। तीन सप्ताह से टमाटर की बढ़ी कीमतों के कारण यह आम लोगों की थाली से लगभग गायब हो चुका है। इंदौर में अभी भी टमाटर के भाव में कोई विशेष गिरावट देखने को नहीं मिल रही है। रिटेल बाजार में टमाटर 100 रुपये प्रति किलो से अधिक में बिका और थोक मंडी 70 से 80 रुपये में। ऐसे में इंदौर सब्जी बाजार में अभी टमाटर की कीमतों में गिरावट का इंतजार ही किया जा रहा है।

कल से सस्ता मिलेगा टमाटर, वर्तमान मूल्य से काफी कम कीमत पर उपलब्ध होने की उम्मीद जताई

टमाटर के बढ़ते मूल्य पर नियंत्रण के लिए केंद्र सरकार ने पहली बार बड़ा कदम उठाया है। अधिक खपत वाले स्थानों पर वितरण के लिए आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र से टमाटर की सीधी खरीद का प्रबंध किया जा रहा है। शुक्रवार से दिल्ली एवं एनसीआर समेत विभिन्न राज्यों के वैसे केंद्रों पर जहां खुदरा मूल्य में महीने भर से बढ़ोतरी हो रही है, वहां कम कीमत पर टमाटर मिलने लगेगा।

नेफेड, एनसीसीएफ को उत्पादन वाले राज्यों से सीधी खरीदकर बाजार में आपूर्ति का निर्देश

इसके लिए राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (नेफेड) एवं राष्ट्रीय उपभोक्ता सहकारी महासंघ (एनसीसीएफ) को उत्पादन वाले राज्यों से सीधी खरीदारी कर अत्यधिक खपत वाले केंद्रों में वितरण का निर्देश दिया गया है। इसकी कीमत कितनी होगी यह तय नहीं है लेकिन वर्तमान के मूल्य से काफी कम होने की उम्मीद जताई जा रही है।

वितरण खुदरा दुकानों के माध्यम से होगा। केंद्रों की पहचान एक महीने में खुदरा मूल्यों में राष्ट्रीय औसत से ज्यादा वृद्धि के आधार पर की गई है। दिल्ली-एनसीआर में टमाटर हिमाचल से आता है। कर्नाटक के कोलार एवं आंध्र प्रदेश के चित्तूर से भी टमाटर मंगाया जा रहा है। गुजरात एवं मध्य प्रदेश समेत कुछ राज्यों में महाराष्ट्र के सतारा, नासिक एवं नारायण गांव से आ रहा है, जो पूरे महीने जारी रहने की उम्मीद है। नासिक से जल्द ही टमाटर की नई फसल आने वाली है। अगस्त में नारायण गांव एवं औरंगाबाद से अतिरिक्त आपूर्ति हो सकती है। मध्य प्रदेश से भी आवक होने की उम्मीद है। भविष्य में टमाटर की कीमतें कम होने की उम्मीद है।

वर्षा के बीच वितरण की चुनौतियां से बढ़ते हैं दाम

देश में टमाटर का उत्पादन अलग-अलग मात्रा में लगभग सभी राज्यों में होता है। ज्यादातर उत्पादन दक्षिण एवं पश्चिम क्षेत्रों में होता है। राष्ट्रीय स्तर पर इन क्षेत्रों का योगदान 56 से 58 प्रतिशत तक है। अन्य राज्यों को यहीं से आपूर्ति की जाती है। विभिन्न क्षेत्रों में उत्पादन का मौसम अलग-अलग होता है। दिसंबर से फरवरी तक तुड़ाई होती है। जुलाई-अगस्त और अक्टूबर-नवंबर में आमतौर पर टमाटर का कम उत्पादन होता है। बरसात के वक्त वितरण की चुनौतियां बढ़ जाती हैं। ढुलाई की लागत बढ़ने से मूल्य भी बढ़ जाते हैं।

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