उज्जैन। पंचांगीय गणना के अनुसार 27 जून को भड्डाली नवमी पर गुप्त नवरात्र का समापन होगा। इन दिन मांगलिक कार्यों के लिए आखिरी शुभ मुहूर्त है। इसके बाद गुरु पूर्णिमा से चातुर्मास की शुरुआत हो जाएगी और अगले पांच माह विवाह आदि मांगलिक कार्य नहीं होंगे। धर्मशास्त्र के जानकारों के अनुसार इस बार श्रावण अधिक मास होने से चार की जगह पांच माह देव सोएंगे। ज्योतिषाचार्य पं.अमर डब्बावाला के अनुसार भड्डाली नवमी अबूझ मुहूर्त की श्रेणी में आती है।
यह मुहूर्त आषाढ़ी गुप्त नवरात्र की पूर्णाहुति के साथ साथ किसी विशिष्ट कार्य की शुरुआत, नवीन प्रतिष्ठान के शुभारंभ, गृह आरंभ आदि की दृष्टि से श्रेष्ठ माना जाता है। इसलिए इस दिन का उपयोग मांगलिक आयोजनों के लिए किया जा सकता है।
23 नवंबर को उठेंगे देव, तुलसी विवाह होगा
पांच माह चातुर्मास के बाद 23 नवंबर को देव प्रबोधिनि एकादशी रहेगी। इस दिन देव शक्ति पुन: जाग्रत होगी और शुभ मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो जाएगी। देव उत्थापनी एकादशी पर तुलसी विवाह की मान्यता है। इसे अबूझ मुहूर्त भी कहा जाता है। इस दिन लोग देव दीपावली मनाते हैं तथा बिना मुहूर्त देखे विवाह आदि मांगलिक कार्य संपन्न करते हैं।
नौ नारायण व सप्त सागरों का पूजन होगा
चातुर्मास की शुरुआत श्रावण मास से होगी। इस बार श्रावण अधिक मास होने से तीर्थाटन व जप, तप, व्रत का विशेष महत्व है। पं.डब्बावाला ने बताया 4 जुलाई से 18 जुलाई तक प्रथम पखवाड़ा शुद्ध श्रावण कृष्ण पक्ष रहेगा। इसके बाद 17 से 31 अगस्त तक एक माह श्रावण अधिकमास रहेगा। इस दौरान उज्जैन में नौ नारायण, सप्त सागर व चौरासी महादेव के दर्शन पूजन का विधान है। देशभर से भक्त यहां तीर्थाटन व पूजा अर्चना करने आएंगे। 17 से 31 अगस्त तक शुद्ध श्रावण शुक्ल पक्ष रहेगा।
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