वैदिक ज्योतिष शास्त्र में मंगल ग्रह को क्रोध, वाद विवाद, लड़ाई झगड़ा, हथियार, दुर्घटना, एक्सीडेंट, अग्नि, विद्युत आदि का कारक ग्रह माना गया है। वहीं, राहु ग्रह को आकस्मिकता, आकस्मिक घटनाएं, शत्रु, षड़यंत्र, नकारात्मक ऊर्जा, तामसिकता, बुरे विचार, छल, और बुरी आदतों का कारक ग्रह माना गया है।
फलित ज्योतिष में मंगल और राहु के योग को बहुत नकारात्मक और उठापटक कराने वाला योग माना गया है। मंगल और राहु स्वतंत्र रूप से अलग-अलग इतने नाकारात्मक नहीं होते पर जब मंगल और राहु का योग होता है तो इससे मंगल और राहु की नकारात्मक प्रचंडता बहुत बढ़ जाती है।
जिस कारण यह योग विध्वंसकारी प्रभाव दिखाता है, मंगल राहु का योग प्राकृतिक और सामाजिक उठापटक की स्थिति तो बनाता ही है पर व्यक्तिगत रूप से भी मंगल राहु का योग नकारात्मक परिणाम देने वाला ही होता है।
यदि जन्मकुंडली में मंगल और राहु एक साथ हो अर्थात कुंडली में मंगल राहु का योग हो तो सर्वप्रथम तो कुंडली के जिस भाव में यह योग बन रहा हो उस भाव को पीड़ित करता है और उस भाव से नियंत्रित होने वाले घटकों में संघर्ष की स्थिति बनी रहती है। आइये समझते हैं।
1.कुंडली के प्रथम भाव में मंगल-राहु का योग बनता है तो ऐसी स्थिति में सेहत पक्ष की और से हमेशा कोई न कोई समस्या बनी रहती है।
2.कुंडली के दूसरे भाव में मंगल-राहु का योग होने पर आर्थिक संघर्ष और घर के सुख में कमी होती है।
3.कुंडली के तीसरे भाव में मंगल-राहु का योग बहन भाई की हानि या बहन भाई को कष्ट देता है।
4.कुंडली के चौथे भाव में मंगल-राहु का योग माता के सुख में कमी या माता को कष्ट जमीन जायदाद की हानि देता है।
5.कुंडली के पांचवे भाव में मंगल-राहु का योग शिक्षा और संतान पक्ष को बाधित करता है।
6.कुंडली के षष्ठ भाव में मंगल-राहु की युति से रोग, शत्रु की बढ़ोतरी नशा आदि का सेवन कर शरीर को हानि पहुंचाता है।
7.कुंडली के सप्तम भाव में मंगल युति होने के कारण जीवनसाथी से अनबन दांपत्य सुख से वंचित होना एवं किसी अन्य स्त्री या पुरुष से संबंध हो जाता है।
8.कुंडली के अष्टम भाव में मंगल राहु की युति होने कारण आकस्मिक दुर्घटना से चोट या मृत्यु तक संभव हो जाती है।
9.कुंडली के नवम भाव में मंगल-राहु होने पर विदेश यात्रा, धर्म यात्रा, धर्मी बनता है लेकिन कष्ट भी मिलता है।
10.कुंडली के दशम भाव में मंगल-राहु होने पर पिता से बेर या पिता को रोग स्थान हानि देता है।
11.कुंडली के एका दशम भाव में मंगल-राहु होने पर आपराधिक कारणों से धन प्राप्त करता है और थाना अदालत आना जाना बना रहता है।
12.कुंडली के द्वादश भाव में मंगल-राहु होने के कारण धन का व्यय व्यसन (नशे) का आदि बनता है कारावास तक करवाता है।
मंगल-राहु की युति संकट भरी
कुंडली में मंगल राहु का योग होने से व्यक्ति का क्रोध विध्वंसकारी होता है। सामान्य रूप से तो प्रत्येक व्यक्ति को क्रोध आता है पर कुंडली में राहु मंगल का योग होने पर व्यक्ति का क्रोध बहुत प्रचंड स्थिति में होता है और व्यक्ति अपने क्रोध पर नियंत्रण नहीं कर पाता और बहुत बार क्रोध में बड़े गलत कदम उठा बैठता है।
कुंडली में मंगल राहु का योग होने पर जीवन में दुर्घटनाओं की अधिकता होती है और कई बार दुर्घटना या एक्सीडेंट का सामना करना पड़ता है कुंडली में मंगल राहु का योग होने पर व्यक्ति को वाहन चलाने में भी सावधानी बरतनी चाहिए।
कुंडली में मंगल राहु का योग होने पर व्यक्ति को शत्रु और विरोधियों की और से भी बहुत समस्याएं रहती है और जीवन में वाद विवाद तथा झगड़ों की अधिकता होती है। कुंडली में मंगल राहु का योग बड़े भाई के सुख में कमी या वैचारिक मतभेद उत्पन्न करता है और मंगल राहु के योग के नकारात्मक परिणाम के कारण ही व्यक्ति को जीवन में कर्ज की समस्या का भी सामना करना पड़ता है।
साथ ही यदि स्त्री जातक की कुंडली में मंगल राहु का योग हो तो वैवाहिक जीवन को बिगड़ता है स्त्री की कुंडली में मंगल पति और मांगल्य का प्रतिनिधि ग्रह होता है और राहु से पीड़ित होने के कारण ऐसे में पति सुख में कमी या वैवाहिक जीवन में संघर्ष की स्थिति बनी रहती है।
जिन लोगो की कुंडली में मंगल राहु का योग होता है उन्हें अक्सर जमीन जायदाद से जुड़ी समस्याएं भी परेशान करती हैं। इसके अलावा मंगल राहु का योग हाई बी.पी. मांसपेशियों की समस्या, एसिडिटी, अग्नि और विद्युत दुर्घटना जैसी समस्याएं भी उत्पन्न करता है। तो यहां हमने देखा की मंगल और राहु का योग किस प्रकार की समस्याएं उत्पन्न करता है।
लाभकारी होंगे ये उपाय
1. ॐ अंग अंगारकाय नमः का नियमित जाप करें।
2. हनुमान चालीसा का पाठ करें।
3. प्रत्येक शनिवार को साबुत उड़द का दान करें।
4. प्रत्येक मंगलवार को गाय को गुड़ खिलाएं।
5. प्रतिदिन मस्तक पर सफ़ेद चन्दन का तिलक लगाएं।
डिसक्लेमर
इस लेख में दी गई जानकारी/ सामग्री/ गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ ज्योतिषियों/ पंचांग/ प्रवचनों/ धार्मिक मान्यताओं/ धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही
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