जबलपुर। हाई कोर्ट ने ओवर टाईम की दर कम किए जाने को अनुचित करार दिया। इसी के साथ समुचित दर निर्धारण सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही याचिका निराकृत कर दी। न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल की एकलपीठ ने मप्र दुकान एव प्रतिष्ठान अधिनियम की धारा 55 का हवाला देते हुए अपने आदेश में कहा है कि आवश्यकता के अनुसार कर्मचारी ओवर टाइम करता है तो वह दुगने मेहनताने का हकदार है।
इसलिए दायर की गई थी याचिकाः
मप्र राज्य कर्मचारी उपभोक्ता कर्मचारी संघ की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया था कि मप्र राज्य कर्मचारी उपभोक्ता संघ के अंतर्गत सहकारी समितियों समाहित है। जिसका कार्य उपभोक्ताओं को उचित दर में निर्धारित वस्तु का विक्रय करना है। संघ की सम्पत्ति में सहकारी समितियों के कर्मचारी का अंश भी है। संघ के एमडी व बोर्ड आफ डायरेक्टर ने आर्थिक नुकसान का हवाला देते हुए ओवरटाइम की दर दुगनी से घटाकर सामान्य कर दी है, जो नियम के प्रतिकूल है। मनमाने तरीके से उक्त निर्णय लिया गया है। एकलपीठ ने याचिका की सुनवाई के बाद याचिका स्वीकार करते हुए मनमाने आदेश को निरस्त कर दिया। इससे पीड़ित पक्ष ने राहत की सांस ली।
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