भोपाल। भोपाल शहर का नाम परमार वंश के महाप्रतापी राजाभोज के नाम पर भोजपाल होना चाहिए। भोपाल का नाम बदला जाए। वर्ष 2011 में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भोपाल का नाम भोजपाल कराने की घोषणा की थी, लेकिन अब तक घोषणा पूरी नहीं हुई। यह कहना है शहर के इतिहासकारों और परमार समाज के लोगों का।
भोपाल में 60 हजार से अधिक लोग परमार समाज के लोग है। मालवा क्षेत्र परमार समाज की संख्या अधिक है। प्रदेश भर में 15 लाख के करीब परमार समाज के लोग हैं। यह कहना है कि परमार समाज के लोगों का। मंचों से बार-बार उठ रही भोपाल का नाम बदलने की मांग का परमार समाज के लोगों ने समर्थन शुरू कर दिया है। शनिवार को परमार समाज ने ऐलान किया कि भोपाल का नाम भोजपाल कराने को लेकर जनमानस का समर्थन जुटाया जाएगा। इसके लिए परमार समाज अगस्त-सितंबर में बड़ा महाकुंभ का आयोजन कराने की तैयारी कर रहा है। इसमें प्रदेश भर से सैकड़ों परमार समाज के लोग शामिल होंगे। बता दें कि परमार समाज ने गुफा मंदिर पर सात फरवरी 2016 में महाकुंभ रखा था। इसमें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रतिनिधि बनाकर पूर्व महापौर आलोक शर्मा को भेजा था। उन्होंने भोपाल का नाम बदलवाने का समाज के लोगों को आश्वासन दिया था।
मुख्यमंत्री की घोषणा पूरी हो
यह सिद्ध हो चुका है कि इस नगर को राजा भोज ने बसाया था। स्वयं मुख्यमंत्री 2011 में भोपाल का नाम भोजपाल करने की घोषणा कर चुके हैं, लेकिन घोषणा का आज तक पालन नहीं हुआ। लोगों का मानना है कि राजा भोज के द्वारा बनवाए गए तालाब की पाल के नाम भोजपाल नाम पड़ा लेकिन राजा भोज संस्कृत के विद्वान थे, वे प्रजा पालक थे इसलिए नगर का नाम भोजपाल रखा गया। आज एक बार फिर शहर को उसके निर्माता केनाम पर जाना जाए।
-संगीत वर्मा, भोपाल और राजा भोज पर शोध करने वाले इतिहासकार
जुटाएंगे जनमानस का समर्थन
भोपाल का नाम परमार वंश के महाप्रतापी राजा भोज के नाम पर भोजपाल होना ही चाहिए। युवा परमार क्षत्रिय महासभा मप्र जल्द शीघ्र ही जनआंदोलन के माध्यम से अपनी मांग सरकार के सामने रखेगी। इससे पहले जनमानस का समर्थन जुटाया जाएगा। जनआंदोलन में संपूर्ण मध्यप्रदेश से समाज जन सम्मलित होंगे। अगस्त या सितंबर में महाकुभ का आयोजन करने की तैयारियां कर रही हैं।
-योगेश परमार, संयोजक युवा परमार क्षत्रिय महासभा मप्र
Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.