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दुर्घटनाओं को रोकना है तो बिहेवियर चेंज करना होगा : एसीएस डॉ. राजौरा

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तीन दिवसीय पहली ‘विजन जीरो समिट’ का हुआ समापन
सड़क सुरक्षा पर हुआ मंथन, देशभर से आए शोधार्थियों ने दिए प्रजेंटेशन
मैनिट, पीटीआरआई और परिवहन विभाग का आयोजन

रजनी खेतान भोपाल

सड़क सुरक्षा से संबंधित विभिन्न विषयों पर विचार-विमर्श के उद्देश्य से भोपाल के होटल कोर्टयार्ड मैरियट में आयोजित की गई पहली ‘विजन जीरो समिट’ का बुधवार को समापन हुआ। समापन अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि गृह विभाग के एसीएस डॉ. राजेश राजौरा ने कहा कि बिहेवियर चेंज से ही सड़क दुर्घटनाओं को कम किया जा सकता है। हमें बच्चों में बचपन से ही सिविक और ट्रैफिक सेंस डेवलप करना होगा। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से पीटीआरआई के एडीजी श्री जी. जनार्दन, परिवहन आयुक्त श्री एस. के. झा, मैनिट के डायरेक्टर श्री के. के. शुक्ला ने विचार व्यक्त किए। संचालन मैनिट के प्रोफसर श्री राहुल तिवारी ने किया। आभार मैनिट के आर्किटेक्चर एंड प्लानिंग विभाग के एसओडी डॉ. जगदीश सिंह ने व्यक्त किया।

बचपन से ही सिविक और ट्रैफिक सेंस डेवलप करना होगा : एसीएस डॉ. राजेश राजौरिया
गृह विभाग के एसीएस डॉ. राजेश राजौरिया ने कहा कि हमें यह समझने की आवश्यकता है कोई भी साधन, संसाधन या संपत्ति हमारे जीवन को नहीं लौटा सकते। हमें अपने व्यवहार में बदलाव लाना होगा। हम सड़क पर इतनी जल्दबाजी क्यों करते हैं? हमारे भीतर धैर्य क्यों नहीं है? इन प्रश्नों का हल सड़क दुर्घटनाओं को कम कर सकता है। यह दुखद है कि मध्यप्रदेश में एक वर्ष में 54000 दुर्घटनाओं में 13000 लोग अपनी जान गवां देते हैं। मृत लोगों में 71 प्रतिशत लोगों की उम्र 18 से 45 वर्ष के बीच होती है। शासन ब्लैक स्पॉट को चिह्नित कर उनकी सुधार की दिशा में निरंतर प्रयास कर रहा है साथ ही ट्रामा सेंटरों को विकसित किया जा रहा है ताकि दुर्घटनाओं के बाद “गोल्डन ऑवर” में पहुंचे घायलों का जीवन बचाया जा सके।

नियमों के पालन से कम होंगी दुर्घटनाएं : एडीजी श्री जी. जनार्दन
पीटीआरआई के एडीजी श्री जी. जनार्दन ने कहा कि सड़क संरचनाओं में लगातार विकास के बाद भी दुर्घटनाओं की संख्या बढ़ रही है। वाहन चालक यदि यातायात नियमों का सही तरह से पालन करें तो काफी हद तक सड़क दुर्घटनाओं को रोका जा सकता है। दुर्घटनाओं का बड़ा कारण तेज गति भी है। यदि हम निर्धारित गति सीमा में वाहन चलाएं तो दुर्घटना कम हो सकती है और इनसे होने वाली मृत्यु के आंकड़ों को कम किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में लगातार तकनीक के प्रयोग से सड़क सुरक्षा की दृष्टि से कार्य किया जा रहा है। जन जागरुकता के विभिन्न कार्यक्रम व्यापक स्तर पर आयोजित किए जा रहे हैं।

दुर्घटनाओं का कारण केवल मानवीय गलतियां नहीं : श्री एस. के. झा
परिवहन आयुक्त श्री एस. के. झा ने कहा कि ऐसा माना जाता है कि केवल मानवीय गलतियों की वजह से सड़क दुर्घटनाएं होती हैं, लेकिन दुर्घटनाओं का कारण सिर्फ यही नहीं है बल्कि रोड इंजीनियरिंग भी इसका प्रमुख कारण है। विगत वर्षों में लगातार सड़कों में सुधार हुआ है और यह निरंतर जारी है। बावजूद इसके सड़क दुर्घटनाएं बढ़ रही है। इसके लिए व्यापक जन जागरुकता जरूरी है। हमें ऐसे तरीके ईजाद करने होंगे, जिससे दुर्घटनाओं में कमी लाई जा सके।

तकनीक के प्रयोग से कम हो सकती हैं दुर्घटनाएं : डॉ. के. के. शुक्ला
मैनिट के नवागत डायरेक्टर डॉ. के. के. शुक्ला ने कहा कि हमारी यह मानसिकता है कि यातायात नियमों को तोड़ने से कोई खास फर्क नहीं पड़ता। इस बात की गंभीरता से हम जानकर भी अनजान हैं कि यह केवल नियम तोड़ना नहीं बल्कि सीधे जीवन से जुड़ा हुआ है। हर बार नियम के उल्लंघन पर चालान का प्रावधान होना चाहिए। लाेगों को यह समझाने की आवश्यकता है कि क्या करें, क्या ना करें। तकनीक के प्रयोग से दुर्घटनाओं को कम किया जा सकता है। चाहे लॉ एनफोर्समेंट के लिए हो या इंजीनियरिंग के दृष्टिकोण से। यह चौंकाने वाली बात है कि किसी भी बीमारी की तुलना में सड़क दुर्घटना में मृत लोगों की संख्या अधिक है।

 

शोधार्थियों ने प्रस्तुत किए प्रजेंटेशन :-
समापन सत्र से पूर्व “रोड सेफ्टी रिसर्च इन मध्यप्रदेश” और “रोड सेफ्टी असेसमेंट्स एंड हेल्थ” विषय पर शोधार्थियों ने प्रजेंटेशन दिया। पहले सत्र में की-नोट स्पीकर के रूप में डॉ. अनुज जायसवाल और दूसरे सत्र में की-नोट स्पीकर के रूप में एम्स के डॉ. राघवेंद्र विदुआ उपस्थित रहे। इन सत्रों में शशिकांत निशांत शर्मा, मीनल सेलुकर, अंशुल पुरिया, प्रितेश भाना, विदुषी शर्मा, श्रेया मिश्रा, स्वाति शर्मा, हर्षित तलरेजा, पामेला बरुआ, पूर्वा, कौशिक तिवारी, स्नेहा व्यास, मैत्रयी सप्रे ने प्रजेंटेशन दिया।

‘विजन जीरो समिट’ में हुआ मंथन :-
समिट का उद्देश्य मैदानी अधिकारियों को प्रभावी यातायात प्रवर्तन एवं नियंत्रण संबंधी सलाह देना है, जिससे सड़क सुरक्षा में नई पहल के साथ काम करने में सहूलियत हो । इस सम्मेलन में भारतीय विज्ञान संस्थान (IIS) बेंगलुरु, केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान (CRRI), नई दिल्ली, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी), अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) और स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर (एसपीए) जैसे भारत के प्रतिष्ठित संस्थानों से सड़क सुरक्षा के क्षेत्र में काम करने वाले शोधकर्ताओं, प्रोफेसरों, नीति निर्माताओं, अनुसंधान विद्वानों और चिकित्सकों और प्रशासकों ने विचार रखे। इस कार्यक्रम में सेव लाइफ फाउंडेशन, राहगिरी फाउंडेशन और ट्रांसपोर्टेशन रिसर्च ग्रुप (TRG) इंडिया जैसे सड़क सुरक्षा के क्षेत्र में काम करने वाले विभिन्न प्रतिष्ठित गैर सरकारी संगठनों की भी उत्साहपूर्ण भागीदारी रही। इसमें सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए मंथन हुआ।

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