होली का पर्व आने के कुछ ही दिन रह गए हैं। फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को होलिका दहन होता है। कई लोग होली की तिथि को लेकर कंफ्यूज हैं। जानिए होलिका दहन और होली की सही तारीख। इसके साथ ही जानें होलिका दहन का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।हिंदू धर्म में होली का बहुत अधिक महत्व है। फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को होलिका दहन का त्योहार मनाया जाता है। वहीं इसके अगले दिन यानी चैत्र मास की प्रतिपदा को रंगों का त्योहार रंगोत्सव मनाया जाता है। इसके साथ ही होलिका दहन के 8 दिन पहले से होलाष्टक का त्योहार शुरू हो जाता है, इस दौरान किसी भी तरह का मांगलिक कार्य करने की मनाही होती है। जानिए होली की तिथि, होलिका दहन की पूजा विधि और शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास की पूर्णिमा यानी 17 मार्च को होलिका दहन का पर्व मनाया जाएगा। वहीं इसके दूसरे दिन 18 मार्च को रंग खेला जाएगा।
होलिका दहन की पूजा विधि
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, होलिका दहन से पहले उसकी पूजा करने का विधान है। इस दिन पूजा करने से जातक को हर तरह की परेशानियों से छुटकारा मिलने के साथ शुभ फलों की प्राप्ति होती है। होलिका दहन के दिन सूर्योदय के समय सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान कर लें। इसके बाद होलिका पूजन वाले स्थान पर जाएं। इसके बाद पूर्व या फिर उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठ जाएं। सबसे पहले गाय के गोबर से होलिका और प्रहलाद की प्रतिमाएं बनाएं। इसके बाद हाथों को धोकर पूजा प्रारंभ करें। सबसे पहले जल अर्पित करें। इसके बाद रोली, अक्षत, फूल, हल्दी, मूंग, बताशे, गुलाल, रंग, सात प्रकार के अनाज, गेहूं की बालियां, गन्ना,चना आदि एक-एक करके अर्पित कर दें, साथ ही भगवान नरसिंह की पूजा भी कर लें। होलिका पूजा के बाद कच्चा सूत से होलिका की 5 या 7 बार परिक्रमा करके बांध दें।