Let’s travel together.
nagar parisad bareli

होलाष्‍टक में शुभ कार्यों की होती है मनाही

0 453

फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी से लेकर पूर्णिमा तक होलाष्टक होता है। इस दौरान विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन आदि सभी शुभ कार्यों की मनाही होती है। जानें होलाष्‍टक 2022 कब है

सनातन धर्म में होली के पर्व का विशेष महत्व है, इसे खुशियों का पर्व कहा जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि होली से आठ दिन पहले सभी शुभ कार्यों की मनाही होती है और शादी विवाह पर भी रोक लग जाती है। जी हां फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी से लेकर पूर्णिमा तक यानी होली से आठ दिन पहले होलाष्टक लग जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दौरान कोई भी शुभ कार्य संपन्न नहीं होता। पौराणिक ग्रंथों में वर्णित एक कथा के अनुसार फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को भगवान शिव ने कामदेव को भस्म कर दिया था। यही वह समय था जब श्रीहरि भगवान विष्णु के परम भक्त प्रहलाद को बंदी गृह में कड़ी यातनाएं दी जा रही थी।

ज्योतिषशास्त्र के अनुसार इस दौरान ग्रह उग्र रूप में होते हैं, इसलिए कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता। तथा इस समय वातावरण में काफी नकारात्मकता होती है। विज्ञान कहता है कि मौसम में परिवर्तन के कारण अक्सर लोगों का स्वास्थ्य खराब रहता है, इसलिए इस दौरान शुभ कार्यों के बजाए मन को आनंदित करने वाले कार्य करना चाहिए।।

हिंदू पंचांग के अनुसार 17 फरवरी 2022, गुरुवार को माघ माह की समाप्ति के साथ फाल्गुन मास की शुरुआत हो रही है। फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी से लेकर पूर्णिमा तक होलाष्टक लग जाता है। इस बार होलाष्टक 10 मार्च 2022, बुधवार से लेकर 18 मार्च 2022, शुक्रवार तक लग रहा है। होलाष्टक के अंतिम दिन से होलिका दहन की तैयारी शुरू हो जाती है।

होलाष्टक में शुभ कार्यों की क्यों होती है मनाही

होलाष्टक में सभी शुभ कार्यों की मनाही होती है, इस दौरान शादी विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश आदि शुभ कार्य करना अशुभ माना जाता है। हालांकि देवी देवताओं की अराधना के लिए ये आठ दिन विशेष माने जाते हैं। मान्यता है कि इस दौरान देवी देवताओं की अराधना करने से उनका आशीर्वाद अपने भक्तों पर सर्वदा बना रहता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को भगवान शिव ने तपस्या भंग करने के दोष में कामदेव को भस्म कर दिया था
वहीं होलाष्टक को लेकर एक कथा और भी काफी प्रचलित है। कहा जाता है कि यही वह समय था जब हिरण्यकश्यप ने बेटे प्रहलाद को श्रीहरि भगवान विष्णु की भक्ति से दूर करने के लिए कड़ी यातनाएं दी थी। इसके बाद आठवें दिन बहन होलिका की गोदी में प्रहलाद को बिठाकर जला दिया था, लेकिन इसके बावजूद प्रहलाद का बाल बांका भी नहीं हुआ। जबकि होलिका जल कर राख हो गई थी। इसलिए इन आठ दिनों को अशुभ माना जाता है, इस दौरान सभी शुभ कार्यों की मनाही होती है। लेकिन जन्म या मृत्यु के बाद किए जाने वाले कार्य कर सकते हैं।

Leave A Reply

Your email address will not be published.

तलवार सहित माइकल मसीह नामक आरोपी गिरफ्तार     |     किराना दुकान की दीवार तोड़कर ढाई लाख का सामान ले उड़े चोर     |     गला रेतकर युवक की हत्या, ग़ैरतगंज सिलवानी मार्ग पर भंवरगढ़ तिराहे की घटना     |     गणपति बप्पा मोरिया के जयकारों से गूंज उठा नगर     |     नूरगंज पुलिस की बड़ी करवाई,10 मोटरसाइकिल सहित 13 जुआरियों को किया गिरफ्तार     |     सुरक्षा और ट्रैफिक व्यवस्था को लेकर एसडीओपी शीला सुराणा ने संभाला मोर्चा     |     सरसी आइलैंड रिजॉर्ट (ब्यौहारी) में सुविधाओं को विस्तारित किया जाए- उप मुख्यमंत्री श्री शुक्ल     |     8 सितम्बर को ‘‘ब्रह्मरत्न’’ सम्मान पर विशेष राजेन्द्र शुक्ल: विंध्य के कायांतरण के पटकथाकार-डॉ. चन्द्रिका प्रसाद चंन्द्र     |     कृषि विश्वविद्यालय ग्वालियर के छात्र कृषि विज्ञान केंद्र पर रहकर सीखेंगे खेती किसानी के गुण     |     अवैध रूप से शराब बिक्री करने वाला आरोपी कुणाल गिरफ्तार     |    

Don`t copy text!
पत्रकार बंधु भारत के किसी भी क्षेत्र से जुड़ने के लिए इस नम्बर पर सम्पर्क करें- 9425036811