बालाघाट। बालाघाट जिले के किसानों की आय को दोगुना करने के उद्देश्य काजू और कोको विकास निदेशालय केरल कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय दिल्ली के द्वारा गुरुवार को बालाघाट मुख्यालय में काजू खेती उत्पादन पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।
आयोजित कार्यशाला में एक किसान ने कृषि विज्ञान केंद्र, उद्यानिकी विभाग के विशेषज्ञों काजू उत्पादन के बाद काजू को साबूत निकालने की विधि के बारे में पूछा जिस पर विशेषज्ञ द्वारा जो विधि बताई गई उस विधि से किसान संतुष्ट नजर नहीं आया और उन्होंने बिफर कर कहा कि इस विधि से काजू टूट जाता है और फिर वह बाजार में बिकने लायक ही नहीं बचता है। जिससे किसान को काजू की खेती के बाद भी उसकी बिक्री नहीं कर पाने से नुकसान उठाना पड़ रहा है। उक्त किसान ने कहा कि खेती से पहले किसानों को घरेलू विधि से साबूत काजू निकालने का प्रशिक्षण दिया जाए इसके बाद ही खेती के लिए किसानों को कहा जाए जिससे की किसान इस खेती को अपना कर लाभ कमा सके। उक्त किसान ने यह भी कहा कि हर किसान प्रोसेसिंग यूनिट नहीं लगा सकता है। इसलिए इस तरह की खेती पर कार्यशाला से पहले विधि को समझाया जाए।
विशेषज्ञ ने बताई ये घरेलू विधि
कार्यशाला के दौरान किसान किशोर अमूले के सवाल के जवाब पर 31 मार्च को सेवानिवृत हुए सहायक संचालक उद्यानिकी विभाग सीबी देशमुख ने साबूत काजू निकालने की विधि समझाते हुए कहा कि पहले तो काजू को तोड़ने के बाद उसे एक दिन तो अच्छी तरह से सूखा लो उसके बाद कुकर में क्षमतानुसार काजू को रख पानी डालकर एक सीटी बजने पर उतार लिया जाए। जिसके बाद पुन उसे सूखाकर जिस तरह से सिंघाड़ा को काटा जाता है उस तरह से ही काजू को काटा जाए। इस पर किसान ने कहा कि आपको भी काजू साबूत निकालने की विधि सही तरीके से पता नहीं है क्योकि इस विधि को भी अपनाकर देख लिया गया है इससे भी पूर्ण रुप से साबूत काजू नहीं निकल पाता है। जिससे किसान को नुकसान उठाना पड़ता है। किसान ने कहा कि उसके घर पर कम से कम 15 से 20 पेड़ काजू के है और एक पेड़ से 6 से सात किलो काजू निकल जाता है लेकिन सही विधि न होने से यह काजू को बेच नहीं पा रहे है।
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