रूस के सस्ता कच्चा तेल खरीदने को लेकर भारतीय रिफाइनरी कंपनियों और चीनी कंपनियों में कड़ी टक्कर देखने को मिल रही है। दोनों देशों की कंपनियों में जारी प्रतिस्पर्धा के बीच रूस ने कच्चे तेल के निर्यात में भी कुछ कमी की है, जिसके चलते रूस के कच्चे तेल के दाम भी बढ़ गए हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मार्च महीने में चीन रूस से रिकॉर्ड मात्रा में कच्चे तेल का आयात करने वाला है। वहीं अप्रैल माह में भारतीय रिफाइनरी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड और नायारा एनर्जी ने रूस के 33 ईएसपीओ क्रूड कार्गोज में से पांच को खरीद लिया है।
मार्च महीने में भारतीय कंपनियों ने सिर्फ एक कार्गो को खरीदा था, जो अप्रैल में बढ़कर पांच हो गया है। वहीं नवंबर 2022 में भारतीय कंपनियों ने रूसी कच्चे तेल के तीन कार्गो खरीदे थे। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अप्रैल में डिलीवर होने वाले कच्चे तेल को भारतीय कंपनियों ने दुबई से आयात होने वाले कच्चे तेल के मुकाबले पांच डॉलर प्रति बैरल कम की दर से खरीदा है। आमतौर पर भारतीय रिफाइनरी रूस से कच्चे तेल की खरीद डिलीवरी के आधार पर कर रही हैं और इसके तहत तेल बेचने वाले देश को ही तेल के इंश्योरेंस, माल और जहाज का इंतजाम करना होता है।
बढ़ती मांग के चलते रूस के कच्चे तेल की कीमतें भी अब बढ़कर 60 डॉलर प्रति बैरल से ज्यादा हो गई है। भारत और चीन की कंपनियों में रूसी तेल खरीदने को लेकर जारी प्रतिस्पर्धा के कारण डिस्काउंट भी कम हुआ है। मार्च में जहां 8.50 डॉलर प्रति बैरल का डिस्काउंट मिला था, वहीं अप्रैल में यह घटकर 6.80 डॉलर प्रति बैरल हो गया है।
बता दें कि यूक्रेन युद्ध के चलते पश्चिमी देशों ने रूस पर कड़े प्रतिबंध लगा दिए हैं। इसके चलते रूस अपने कच्चे तेल को डिस्काउंट रेट पर बेच रहा है। जिसका फायदा उठाते हुए भारत और चीन ने रूस से होने वाले कच्चे तेल के आयात को कई गुना बढ़ा दिया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस साल फरवरी तक भारत ने रूस से सस्ता कच्चा तेल खरीदकर करीब 35 हजार करोड़ रुपए की बचत की है। बीते वित्तीय वर्ष में भारत का रूस से आयात होने वाला कच्चा तेल कुल आयात का महज दो फीसदी था, जो वित्तीय वर्ष 2023 की पहली छमाही के दौरान बढ़कर 16 फीसदी हो गया है। इस दौरान भारत ने करीब दो करोड़ टन कच्चा तेल आयात किया जिसमें से करीब 32 लाख टन कच्चा तेल रूस से आयात किया गया था।
बीते साल मई में भारत ने रूस से 16 डॉलर प्रति बैरल डिस्काउंट पर तेल खरीदा था, जो कि जून में घटकर 14 डॉलर प्रति बैरल के डिस्काउंट पर आ गया। जुलाई में यह 12 डॉलर और अगस्त में महज 6 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया है।
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