भोपाल मध्य प्रदेश के आबकारी अधिनियम में अब तक दो प्रकार की शराब शामिल थी, लेकिन अब महुआ से निर्मित हेरिटेज शराब को भी तीसरी शराब के रूप में स्थान दिया गया है। प्रदेश के आबकारी अधिनियम में विदेशी, देशी और हेरिटेज शराब का प्रविधान कर दिया गया है। राज्य सरकार ने अपने 64 वर्ष पुराने मध्य प्रदेश आबकारी अधिनियम में बदलाव कर नई व्यवस्था लागू कर दी है।
पुरानी अधिसूचना को किया निरस्त
राज्य सरकार ने अगले वित्त वर्ष के लिए निकाले जाने वाले शराब के ठेकों के टेंडर के लिए मध्य प्रदेश आबकारी एक्ट 1915 के तहत विदेशी, देशी एवं हेरिटेज शराब की परिभाषा जारी की है। 64 वर्ष पहले चार जुलाई 1959 को राज्य सरकार ने जो परिभाषा तय की थी, उसमें केवल विदेशी एवं देशी शराब ही शामिल थी। अब इस पुरानी परिभाषा की अधिसूचना को निरस्त कर दिया गया है।
विदेशी, हेरिटेज और देशी शराब की यह होगी परिभाषा
शराब की नई परिभाषा के अनुसार, विदेशी शराब के लिए कहा गया है कि किसी किस्म की मानवी उपभोग के उपयुक्त शराब जो समुद्र, थल या जल द्वारा भारत के किसी राज्य में आयायित की गई हो तथा जो आयायित होने की दशा में, भारतीय टेरिफ एक्ट 1894 या सी कस्टम एक्ट 1874 के अधीन ड्यूटी योग्य हो अथवा जो भारत में विनिर्मित या तैयार और जिसमें रंग या खुशबू, उपरोक्त आयायित शराब के जैसे हों, विदेशी शराब कहलाएगी।
शराब में सिंथेटिक या कृत्रिम कलर नहीं होगा
हेरिटेज शराब विनिर्माण इकाई में उत्पादित ऐसा अल्कोहलिक महुआ शराब पेय जो राज्य शासन द्वारा बनाए जाने वाले हेरिटेज शराब नियमों में परिभाषित हो और जो महुआ फूलों से तैयार हेरिटेज स्पिरिट हो एवं जिसमें मानव उपभोग के लिए उपयुक्त प्राकृतिक योजक (एडटिव्स) हो सकेंगे, लेकिन कोई सिंथेटिक या कृत्रिम योजक या कलर नहीं होंगे। देशी शराब के लिए केवल इतना ही कहा गया है कि विदेशी शराब एवं हेरिटेज शराब से भिन्न पीने योग्य देशी शराब होगी।
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