पुलिस ने मामले की जांच की और अत्याचार अधिनियम और आईपीसी दोनों प्रावधानों को लागू करते हुए आरोप पत्र दायर किया। विशेष न्यायाधीश ने एक मार्च 2021 को एट्रोसिटीज एक्ट के तहत विशेष मामला दर्ज करने का आदेश दिया था। इसे शैलेश ने चुनौती दी थी जिन्होंने दावा किया कि जाति का नाम लेकर गालियां दी गईं हालांकि उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि इसका इरादा अपमान करना नहीं था।
न्यायाधीश ने कहा कि इस मामले में इस पहलू (अपमान करने का इरादा) स्पष्ट रूप से अनुपस्थित है अत्याचार अधिनियम के तहत अपराधों के संबंध में आगे की कार्यवाही जारी रखने की अनुमति देना कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा। न्यायाधीश ने कहा कि न तो चार्जशीट और बयान में इस तरह की परिस्थितियों को वर्णन किया गया है। सिर्फ शिकायतकर्ता के बेटे ने ही कहा कि जब उसे गालियां दी गईं तो जातिसूचक नाम का इस्तेमाल किया गया।