प्राइम रुट बस ऑनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष गोविंद शर्मा ने बताया कि शुरुआत से बसों को 20 साल तक परमिट दिया जाता रहा है। शासन द्वारा कुछ समय पहले पहले भी 15 साल बाद परमिट पर रोक लगाने का आदेश जारी किया गया था जिसके खिलाफ बस संचालक कोर्ट गए थे और कोर्ट ने इस पर स्टे दे दिया था लेकिन हाल ही में शासन ने एक बार फिर कुछ संशोधनों के साथ नया आदेश जारी करते हुए एक बार फिर 15 साल से पुरानी बसों को परमिट देने पर रोक लगा दी है। इससे प्रदेश में सैकड़ों बसें सड़कों से बाहर हो रही हैं। इससे यात्रियों को भी परेशानी उठानी पड़ रही है। उन्होंने बताया कि कोरोनाकाल में करीब दो साल तक बसों का संचालन बंद रहा है। शासन ने खुद इस बात से सहमत होकर 14 माह का टैक्स भी माफ किया है जो दर्शाता है कि इस अवधि में बसें नहीं चली हैं। बस संचालकों की मांग है कि शासन इस दो साल की अवधि का ही बसों को अतिरिक्त लाभ देते हुए परमिटों को 17 साल तक जारी करे  क्योंकि कोरोनाकाल में बसों का संचालन बंद रहने से अगर 15 साल का नियम भी माना जाता है तो दो साल अतिरिक्त मिलना चाहिए। उन्होंने बताया कि अगले तीन दिन मुख्यमंत्री इंदौर में ही रहेंगे इस दौरान बस संचालक उनसे मिलकर अपनी बात भी रखेंगे।