जोशीमठ। नगर में हो रहे भूधंसाव और मकानों में आ रही दरारों के कारण परेशान लोगों ने मशाल जुलूस निकालकर बदरीनाथ-ऋषिकेश हाईवे जाम कर दिया जिससे वाहनों की लंबी कतार लग गई और यात्री परेशान हो गए। भूधंसाव के कारण मौत के साये में जी रहे लोगों ने गुरुवार को नैशनल हाईवे-58 (बदरीनाथ-ऋषिकेश मुख्य हाईवे) जाम कर दिया। इस हाईवे के जाम होने के कारण औली जाने वाले पर्यटकों को आवाजाही के लिए दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। लेकिन जोशीमठ के लोग अतिथि देवो भव: की रीति भी साथ-साथ निभा रहे हैं। जो खुद इस समय कष्ट में हैं वे अतिथियों के जलपान की व्यवस्था भी साथ-साथ कर रहे हैं। इससे पहले बुधवार रात में सड़कों पर उतरकर लोगों ने मशाल जूलूस भी निकाला था। जोशीमठ में हो रहे बड़े भू-कटाव को लेकर पूर्व में दी गई चेतावनी के अनुसार स्थानीय लोगों ने नेशनल हाईवे-58 जाम कर दिया। सड़क पर बैठे लोग निरंतर जल विद्युत परियोजना एनटीपीसी और प्रदेश सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते रहे। यहां हाईवे जाम होने के कारण औली घूमने के लिए आ रहे पर्यटकों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा और सड़क के दोनों ओर गाड़ियों की लंबी कतार लग गई। यहां आ कर पर्यटक भले ही परेशान हो रहे हैं लेकिन जोशीमठ बचाने के लिए सड़कों पर उतरे लोग पर्यटकों के लिए जलपान की व्यवस्था भी कर रहे हैं। आंदोलनकारियों का कहना है कि ये लड़ाई नगर के अस्तित्व को बचाने के लिए है। अपने घरों खेतों को बचाने के लिए है। इसमें सभी का साथ होना जरूरी है। साथ चेतावनी भी दी है कि जब तक प्रभावितों के लिए उचित व्यवस्था नहीं कर दी जाती है तब तक वे लोग सड़क पर बैठे रहेंगे और हाईवे जाम करेंगे।
जोशीमठ से 66 परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया
जोशीमठ में भू-धंसाव से स्थिति भयावह होती जा रही है। भू-धंसाव ने अब सभी वार्डों को चपेट में ले लिया है। बुधवार को भी जोशीमठ से 66 परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया गया। यहां से अब तक 77 परिवारों को शिफ्ट किया जा चुका है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर आज विशेषज्ञों का एक दल जोशीमठ रवाना हो रहा है। इस विशेषज्ञ दल में उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण से डॉ. पीयूष रौतेला डब्ल्यूआईएचजी से डॉ. स्वपना मित्रा चौधरी उत्तराखंड भूस्खलन न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केंद्र (यूएलएमएमसी) से डॉ. शांतनु सरकार जीएसआई से मनोज कास्था एनआईएच रुड़की से डॉ. गोपाल कृष्णा और आईआईटी रुड़की से प्रो. बीके महेश्वरी को शामिल किया गया है। विदित हो कि इससे पहले विशेषज्ञों का यह दल 16 से 20 अगस्त 2022 के बीच जोशीमठ को दौरा कर चुका है और इस संबंध में सरकार को रिपोर्ट भी सौंपी गई थी। तब रिपोर्ट में जोशीमठ में भू-धंसाव का कारण बेतरतीब निर्माण पानी का रिसाव ऊपरी मिट्टी का कटाव और मानव जनित कारणों से जल धाराओं के प्राकृतिक प्रवाह में रुकावट को बताया गया था। टीम ने बताया था कि शहर भूगर्भीय रूप से संवेदनशील है जो पूर्व-पश्चिम में चलने वाली रिज पर स्थित है। शहर के ठीक नीचे विष्णुप्रयाग के दक्षिण-पश्चिम में धौलीगंगा और अलकनंदा नदियों का संगम है। नदी से होने वाला कटाव को भी इसके लिए जिम्मेदार बताया गया था। यह टीम अगले कुछ दिन जोशीमठ में रहकर सर्वेक्षण का कार्य करेगी। इस सर्वे के बाद टीम दीर्घकालिक और तात्कालिक उपायों के संबंध में सरकार को रिपोर्ट देगी।
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