Let’s travel together.
nagar parisad bareli

भाजपा के लिए चिन्तन और कांग्रेस के लिए चिन्ता की दरकार -अरुण पटेल

0 74

मध्यप्रदेश के 18 जिलों में 46 नगरीय निकायों जिनमें 17 नगरपालिकाएं और 29 नगर परिषद हैं के चुनावों में भाजपा को पूर्व की तुलना में 3 अधिक स्थानों पर सफलता मिली है जबकि कांग्रेस के हाथ से दो निकाय फिसल गए हैं। अब सत्ताधारी दल भाजपा और सत्ता की प्रबल दावेदार कांग्रेस मिशन 2023 यानी आगामी विधानसभा चुनाव के लिए अपनी-अपनी कमर कस रहे हैं। वैसे तो हर चुनाव का अलग संकेत और संदेश होता है, लेकिन इससे इस बात का पता चलता है कि जनता के मन में क्या कुछ चल रहा है। कांग्रेस के लिए अधिक चिन्ता की बात यह है कि पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के गढ़ छिंदवाड़ा जिले में 6 में से 4 नगरीय निकायों में भाजपा ने कब्जा जमा लिया है जबकि कांग्रेस को यहां 2 निकायों से ही संतोष करना पड़ा है। छिंदवाड़ा जिला एक अपवाद को छोड़कर जबसे कमलनाथ इस क्षेत्र में आये हैं यह उनके एक मजबूत किले में तब्दील हो चुका है। यहां से उनके बेटे नकुलनाथ प्रदेश से निर्वाचित कांग्रेस के एकमात्र लोकसभा सदस्य हैं। इन चुनावों में कांग्रेस के लिए चिन्ता की दरकार इसलिए है कि आदिवासी वोट बैंक जो भाजपा से दूर हो गया था वह फिर से भाजपा की ओर लौट रहा है क्योंकि आदिवासी बाहुल्य वाले 28 निकाय भाजपा ने जीत लिए हैं। 2018 के विधानसभा चुनाव में बहुत बारीक अन्तर से भाजपा सत्ता से बेदखल हो गयी थी और उस समय अधिकांश आदिवासी तथा दलित मतदाताओं ने भाजपा की तुलना में कांग्रेस की तरफ अपना रुझान दिखाया था। भाजपा के लिए चिन्तन की दरकार इस मायने में है कि जो आदिवासी वोट बैंक उसकी तरफ पुनः आकर्षित हो रहा है वह विधानसभा चुनाव तक छिटकने न पाये बल्कि उसमें कुछ और वृद्धि हो तब आसानी से पुनः जनादेश से प्रदेश के सत्ताशीर्ष पर भगवाई सूर्योदय पूरी शान से उदय होने का मार्ग प्रशस्त हो सकेगा।
मध्यप्रदेश में लम्बे समय से सत्ता की चाबी अपनी मुट्ठी में कैद करने की बसपा, सपा और अब आम आदमी पार्टी की ख्वाहिशों को इन चुनावों में कोई विशेष तवज्जो नहीं मिली है फिर भी आम आदमी पार्टी को 814 पार्षद पदों में से 7 स्थान मिले हैं और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के 6 पार्षद निर्वाचित हुए हैं जबकि सबसे अंतिम पायदान पर मायावती की बसपा पहुंच गयी है और उसे मात्र 3 पार्षदों से संतोष करना पडा है। सबसे अधिक 417 पार्षद भाजपा के जीते हैं जबकि कांग्रेस उससे काफी पीछे रही और उसके 250 पार्षद ही चुनाव जीत सके। निर्दलीय 131 पार्षद भी चुनाव मे सफल हुए हैं । मतदान केवल 789 वार्डों में हुआ था जबकि 25 पार्षद निर्विरोध चुनाव जीत गए थे। इन निकायों में अध्यक्षों का निर्वाचन 15 अक्टूबर तक पूरा हो जायेगा। नगरीय विकास एवं आवास मंत्री भूपेन्द्र सिंह और लोक निर्माण मंत्री गोपाल भार्गव के क्षेत्रों के अंतर्गत आने वाली सागर जिले की खुरई और गढ़ाकोटा नगरपालिकाएं पूरी तरह से कांग्रेसमुक्त हो गयी हैं और यहां उसका खाता भी नहीं खुला है। भूपेंद्र सिंह के क्षेत्र खुरई के 23 वार्डों में तो कांग्रेस को चुनाव लड़ने के लिए प्रत्याशी ही नहीं मिले और बाकी सीटों पर भाजपा उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की। लोक निर्माण मंत्री गोपाल भार्गव के क्षेत्र की गढ़ाकोटा नगरपालिका में सभी वार्डों में भाजपा प्रत्याशी जीते। आदिवासी मतदाताओं का रुझान फिर भाजपा की ओर बढ़ रहा है, ऐसी स्थिति में भाजपा के आदिवासी नेता और वन मंत्री विजय शाह के क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली छनेरा (नया हरसूद) में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा, कांग्रेस के 8 और भाजपा के 3 तथा 4 निर्दलीय पार्षद चुनाव जीते हैं।
हालांकि चुनाव नतीजे कांग्रेस की अपेक्षा के अनुकूल न रहे हों लेकिन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ बिलकुल निराश नहीं हैं बल्कि अभी भी उनकी आंखों में फिर से 12 माह बाद सत्ता में वापसी का विश्वास नजर आ रहा है और उनका दावा है कि भाजपा ने सत्ता का दुरुपयोग कर यह चुनाव लड़ा था, झूठी घोषणाएं करके जनता को गुमराह करने का प्रयास भी किया। हमारे प्रत्याशियों व कार्यकर्ताओं को प्रताड़ित किया था लेकिन जनता ने कांग्रेस को समर्थन देकर स्पष्ट कर दिया कि सत्य परेशान हो सकता है पराजित नहीं। 12 माह बाद हम फिर वापस सरकार में लौटेंगे और जन-आकांक्षाओं को पूरा करेंगे। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इस जीत को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कुशल नेतृत्व और भाजपा की जनहितकारी नीतियों की जीत मानते हैं। इसके साथ ही उन्होंने प्रदेश के सभी भाई-बहनों को वचन दिया है कि आपने जो विश्वास भाजपा पर जताया है हम उसे किसी भी मूल्य पर टूटने नहीं देंगे। हम सभी भाजपा के कार्यकर्ता जनसेवा और प्रदेश के विकास के लिए हरसंभव उपाय करेंगे। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सांसद विष्णुदत्त शर्मा निकाय चुनाव परिणामों को भाजपा की ऐतिहासिक जीत निरुपित करते हुए कहते हैं कि यह भाजपा संगठन के कार्यकर्ताओं और सरकार की जनहितैषी नीतियों का समर्थन है। उनका कहना है कि कमलनाथ के असर वाले इलाके के सौंसर में 14 में से 13 सीटें भाजपा ने जीती हैं जिससे अब छिंदवाड़ा भी कांग्रेसमुक्त हो रहा है।

रातापानी में भाजपा का मंथन
शनिवार 01 अक्टूबर को नगरीय निकाय चुनाव में मिली जीत से उत्साहित भाजपा अब अपनी 2023 और 2024 के लिए रणनीति बनाने के प्रति गंभीर नजर आ रही है तथा रातापानी सेंचुरी में उसकी कोर कमेटी की बैठक में भविष्य की व्यूहरचना पर गहन विचार मंथन हुआ। ऐसा समझा जाता है कि एक साल बाद होने वाले विधानसभा चुनाव और उसके बाद 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में धमाकेदार जीत दर्ज कराने को लेकर यहां मंथन किया गया। प्रदेश में फिर से सत्ता पर काबिज होने के लिए रणनीति पर भी विचार- विमर्श किया गया। इस बैठक में भाग लेने के लिए शुक्रवार को एक ही विमान में साथ बैठकर केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और ज्योतिरादित्य सिंधिया भोपाल आये। रातापानी सेंचुरी की सुरम्य वादियों में जो कोर ग्रुप की बैठक हुई उसमें राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बी.एल. संतोष की मौजूदगी से भी चिन्तन की गंभीरता का अहसास होता है। बैठक में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा, केंद्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर, ज्योतिरादित्य सिंधिया , प्रहलाद सिंह पटेल और फग्गन सिंह कुलस्ते तथा राष्ट्रीय सह-संगठन मंत्री शिवप्रकाश और प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव सहित मध्य प्रदेश के मंत्रियों में नरोत्तम मिश्रा तथा भूपेंद्र सिंह सहित अन्य दिग्गज नेता भी मौजूद रहे।

और यह भी
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के निर्देश पर 2 अक्टूबर गांधी जयंती से 30 जनवरी 2023 महात्मा गांधी की शहादत की 75वीं बरसी तक गांधी चौपालों का आयोजन कांग्रेस करेगी। यह चौपालें 23 हजार पंचायतों में लगाई जायेंगी। कांग्रेस का लक्ष्य है कि प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में कम से कम 100 चौपालें लगाई जायें। इन चौपालों के प्रदेश प्रभारी भूपेन्द्र गुप्ता का कहना है कि जब नफरत और घृणा से भरे एक सिरफिरे ने महात्मा गांधी की हत्या कर दी थी और आज जब पूरा समाज नफरत, असमानता और आर्थिक शोषण में फंसा हुआ है तब स्वाबलम्बन और आत्मनिर्भरता व ग्राम स्वराज पीछे ढकेल दिया गया है। ऐसे समय में गांधी चौपालों के माध्यम से स्वाबलम्बन और आत्मनिर्भरता के लिए प्रदेश के गांवों में पहुंचकर नागरिकों से संवाद करना जरुरी हो गया है। इसके लिए 2200 से अधिक कार्यक्रम समन्वयक बन चुके हैं जो इन चौपालों को आयोजित करेंगे। इन चौपालों के माध्यम से 2 लाख नये कार्यकर्ताओं को कांग्रेस से जोड़ने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य भी रखा गया है। अब देखने वाली बात यही होगी कि सोशल मीडिया प्लेटफार्म के बाद मैदान में सक्रिय होने का कांग्रेसका यह प्रयास कितना असर दिखाता है।

लेखक सुबह सवेरे के प्रबंध संपादक हैं
-सम्पर्क: 9425010804, 7999673990

Leave A Reply

Your email address will not be published.

तलवार सहित माइकल मसीह नामक आरोपी गिरफ्तार     |     किराना दुकान की दीवार तोड़कर ढाई लाख का सामान ले उड़े चोर     |     गला रेतकर युवक की हत्या, ग़ैरतगंज सिलवानी मार्ग पर भंवरगढ़ तिराहे की घटना     |     गणपति बप्पा मोरिया के जयकारों से गूंज उठा नगर     |     नूरगंज पुलिस की बड़ी करवाई,10 मोटरसाइकिल सहित 13 जुआरियों को किया गिरफ्तार     |     सुरक्षा और ट्रैफिक व्यवस्था को लेकर एसडीओपी शीला सुराणा ने संभाला मोर्चा     |     सरसी आइलैंड रिजॉर्ट (ब्यौहारी) में सुविधाओं को विस्तारित किया जाए- उप मुख्यमंत्री श्री शुक्ल     |     8 सितम्बर को ‘‘ब्रह्मरत्न’’ सम्मान पर विशेष राजेन्द्र शुक्ल: विंध्य के कायांतरण के पटकथाकार-डॉ. चन्द्रिका प्रसाद चंन्द्र     |     कृषि विश्वविद्यालय ग्वालियर के छात्र कृषि विज्ञान केंद्र पर रहकर सीखेंगे खेती किसानी के गुण     |     अवैध रूप से शराब बिक्री करने वाला आरोपी कुणाल गिरफ्तार     |    

Don`t copy text!
पत्रकार बंधु भारत के किसी भी क्षेत्र से जुड़ने के लिए इस नम्बर पर सम्पर्क करें- 9425036811