हिंदू धर्म में माघ मास का खास महत्व है. माघ का पवित्र महीना शुरू हो चुका है. माघ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या मौनी अमावस्या कहलाती है. मौनी अमावस्या के दान स्नान और दान का विशेष महत्व है. मौनी अमावस्या इस बार 1 फरवरी को पड़ने वाली है. इस अमावस्या के दिन विधि-विधान से भगवान की पूजा की जाती है. लेकिन इसके कुछ नियम हैं. जानते हैं मौनी अमावस्या का शुभ मुहूर्त, पूजा, महत्व और व्रत के नियम धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मौनी अमावस्या के दिन गंगा स्नान का विधान है. इस दिन गंगा स्नान के बाद व्रत किया जाता है. मौन व्रत में रहकर भगवान की उपासना की जाती है. साथ ही लोग पवित्र नदी के किनारे पितरों का तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध करते हैं. कहते हैं कि जो लोग पितृ दोष से पीड़ित हैं उन्हें ये उपाय करना चाहिए.
ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान से पहले व्रत का संकल्प लें. इसके बाद गंगा नदी, पवित्र तालाब या कुंड में स्नान करें। स्नान के बाद साफ सुथरे कपड़े पहनकर जल में तिल मिलाकर सूर्य देव को जल दें। सूर्य को जल देने के बाद मंत्र जाप और या दान करें। इस दिन अनाज, वस्त्र, तिल, कंबल और घी इत्यादि का दान शुभ है। संभव हो तो इस दिन मौन व्रत धारण करें। इस व्रत के दौरान क्रोध नहीं करना चाहिए। साथ ही किसी को अपशब्द न कहें।