श्रीलक्ष्मीनारायण मंदिर में शुक्रवार को होगा भागवत कथा का समापन
अदनान खान विदिशा
शहर के नंदवाना स्थित श्रीलक्ष्मी नारायण मंदिर परिसर में चल रही श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के छठे दिन श्रीकृष्ण-रुक्मणी विवाह के प्रसंग पर कथा कही गई। राष्ट्रीय कथावाचक गौवत्स पंडित अंकितकृष्ण तेनगुरिया बटुकजी ने मंदिर परिसर में कथा श्रवण करने पहुंचे श्रद्ध्लाुओं को संबोधित करते हुए कहा कि जीव परमात्मा का अंश है। इसलिए जीव के अंदर अपार शक्ति रहती है। यदि कोई कमी रहती है वह मात्र संकल्प की होती है। संकल्प दृढ़ एवं कपट रहित होने से प्रभु उसे अवश्य ही उसकी मनोकामना को पूरा करते हैं, इस अवसर पर महाराजश्री ने श्री उद्धव चरित्र, श्री कृष्ण मथुरा गमन और श्री रुक्मिणी विवाह महोत्सव प्रसंगों पर विस्तारपूर्वक कथा कही।बटुकजी महाराज ने श्री रुक्मिणी विवाह महोत्सव प्रसंग पर व्याख्यान करते हुए कहा कि रुक्मिणी के भाई रुक्मि ने उनका विवाह शिशुपाल के साथ निश्चित किया था। लेकिन रुक्मिणी ने संकल्प लिया था कि वह शिशुपाल को नहीं केवल गोपाल को पति के रूप में वरण करेंगी, वह ठाकुरजी को ही मन ही मन पति के रूप में मान चुकी थी उनका संकल्प भी दृंढ़ था। पंडित अंकितकृष्ण तेनगुरिया ने कहा कि शिशुपाल असत्य मार्गी है।द्वारकाधीश भगवान श्री कृष्ण सत्यमार्गी इसलिए मै असत्य को नहीं सत्य को अपनाऊंगी। भगवान श्रीकृष्ण ने भी रुक्मिणी की पुकार को सुना और उनका संदश पाते ही भगवान श्री द्वारकाधीश जी ने रुक्मिणी के सत्य संकल्प को पूर्ण किया और उन्हें पत्नी के रूप में वरण करके प्रधान पटरानी का स्थान दिया। महाराजश्री ने कहा कि रुक्मिणी विवाह प्रसंग पर आगे कथा वाचक ने कहा कि इस प्रसंग को श्रद्धा के साथ श्रवण करने से कन्याओं को अच्छे घर और वर की प्राप्ति होती है। और दांपत्य जीवन सुखद रहता है।
इस अवसर पर द्वारकाधीश और रुक्मिणी विवाह की एक सुंदर झांकी भी श्रीलक्ष्मीनारायण मंदिर में सजाई गई।जिसके दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की होड़ लगी रही। कथा आयोजन समिति ने बताया कि श्रीमद् भागवत का दिनांक 9 सितंबर शुक्रवार को पूर्णाहूति के साथ किया जाएगा । साथ ही इस अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए महाप्रसादीका वितरण भी किया जाएगा। आचार्यजी ने बताया कि कथा के अंतिम दिन श्रीकृष्ण और सुदामा मिलन के प्रसंग पर कथा भी श्रद्धालुओं को श्रवण करने का अवसर प्राप्त होगा । श्रीद्वारकाधीश और सुदामा मिलन की झांकी के दर्शन भी किए जा सकेंगे।