–सड़क हादसे रोकने के लिए साइड में लगाई थीं सीमेंट की बोरियां, कुछ दिन में ही हुई छतिग्रस्त
-शिकायत के बाद भी ज़िम्मेदार एमपीआरडीसी नही ले रहा सुध
सलामतपुर रायसेन से अदनान खान की रिपोर्ट
भोपाल विदिशा स्टेट हाइवे 18 के बालमपुर घाटी पर पिछले आठ महीने के अंदर लगभग 35 घटनाएं हो चुकी हैं। जिसमें कई वाहन चालक अपनी जान गवां चुके हैं। और कई लोग घायल भी हो चुके हैं। फिर भी बालमपुर घाटी पर ज़िम्मेदार अधिकारियों द्वारा दुर्घटनाएं रोकने के लिए कोई उपाय नही किये जा रहे हैं। जिसकी वजह से आए दिन बालमपुर घाटी पर सड़क दुर्घटनाओं में वाहन चालक अपनी जान गवा रहे हैं। कुछ माह पहले हो रहे हादसों को रोकने के लिए एमपीआरडीसी ने टूटी हुई रेलिंग की जगह सीमेंट की बोरियां भरकर उसमें रेडियम लगवा दिए थे। ताकि सड़क हादसे रोके जा सकें। हादसों को रोकने के लिए सड़क के गहरी खाई साइट वाले हिस्से पर सीमेंट की बोरियां भरकर रेडियम पट्टी लगाई गई हैं। जिससे रात के वक्त वाहन चालकों को घाटी पर अंधे मोड़ की सूचना पहले मिल सके। लेकिन यह बोरियां भी 1 महीने के अंदर ही छतिग्रस्त होकर नीचे गिर गई। गौरतलब है कुछ समय पूर्व बालमपुर की घाटी पर लोहे की रेलिंग भी लगाई गई थी। जो आए दिन दुर्घटनाओं के कारण बार-बार टूट रही थी। जिसकी वजह से वाहन आए दिन हादसों का शिकार होकर खाई में गिर रहे थे। हादसों को रोकने के लिए हीं टूटी हुई रेलिंग की जगह पर सीमेंट की बोरिया भर कर रखी गई थीं। और ईनमें रेडियम पट्टी भी चिपकाई गई थी। ताकि रात के समय दूर से ही वाहन चालकों को संकेत मिल सके और रास्ता स्पष्ट दिखाई दे सके। लेकिन यह उपाय भी काम ना दे सका।
स्टेट हाइवे 18 की बालमपुर घाटी पर 8 महीने में हुई 35 दुर्घटनाएं-
भोपाल विदिशा स्टेट हाइवे 18 की बालमपुर घाटी पर आए दिन रोड दुर्घटनाएं हो रही हैं। कुछ समय पूर्व अशोक लीलैंड ट्राला जीजे 12 जेड 1725 सलामतपुर रेलवे रेक पॉइंट से लोहे की टीन के रोल लेकर जमुनिया वेलस्पन कंपनी जा रहा था। रास्ते में बालमपुर की घाटी पर चढ़ते समय ट्राले के ब्रेक फेल हो गए और ट्राला रिवर्स होकर नीचे खाई में उतर गया।वो तो गनीमत रही थी कि ट्राले के ड्राइवर और क्लीनर को कोई चोट नही आई। दोनों ने ट्राले से कूदकर अपनी जान बचा ली। अन्यथा बड़ी जनहानि हो सकती थी। भोपाल विदिशा स्टेट हाइवे 18 की बालमपुर घाटी पर अधिक चढ़ाई होने की वजह से यहां आए दिन हादसे होते रहते हैं। अभी कुछ समय पहले ही बालमपुर घाटी पर सुबह लगभग 5 बजे कटनी से चावल भरकर इंदौर जा रहे आयशर मिनी ट्रक क्रमांक एच आर38 आर 7261 ब्रेक फेल होने के कारण अनियंत्रित होकर पलट गया था। मिनी ट्रक में ड्राइवर सहित सवार तीन लोग सवार थे। जिन्होंने ट्रक से कूदकर अपनी जान बचाई थी। इसलिए तीनों को मामूली सी चोटें आई थी। वहीं एक हार्वेस्टर भी घाटी पर चढ़ते समय पलट गया था।पलटने से उसके दो टुकड़े हो गए थे। हालांकि पूरी घाटी रोड पर सुरक्षा की दृष्टी से रेडियम भी लगाए गए हैं। ताकि रात के समय वाहन चालकों को दुर्घटना से बचाया जा सके। लेकिन उसके बाद भी बालमपुर घाटी पर हादसे रुकने का नाम नही ले रहे हैं।
अधिक चढ़ाई व अंधा मोड़ होने के कारण हो रहे हैं हादसे-
भोपाल विदिशा स्टेट हाइवे के बालमपुर घाटी से दिन भर में लगभग 25 हज़ार छोटे बड़े वाहन निकलते हैं। जो यूपी, दिल्ली, मुम्बई, गुजरात, मध्यप्रदेश सहित अन्य राज्यों में जाते हैं। यहां से बड़े बड़े ट्राले और ट्रक क्षमता से अधिक माल लेकर घाटी पर चढ़ते हैं। और बीच घाटी पर पहुंचकर पीछे रिवर्स होने लगते हैं। और नीचे खाई में जाकर पलट जाते हैं। ना तो घाटी पर कोई संकेतक बोर्ड लगाए गए हैं। जिससे वाहन चालको को पहले ही अधिक चढ़ाई का पता चल सके।
बालमपुर घाटी से रोज ही कोई न कोई वीआईपी गुजरता है-
सप्ताह में एक बार मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी इसी घाटी से निकलते हुए विदिशा जाते हैं। वहीं प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा यहीं से आना जाना करते रहते हैं। और प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री प्रभुराम चौधरी भी आते जाते रहते हैं। उसके बाद भी ज़िम्मेदार अधिकारियों द्वारा यहां पर सुरक्षा व्यवस्था के कोई इंतेज़ाम नही किये जा रहे हैं। जिसके कारण हादसों में प्रतिदिन बढ़ोत्तरी हो रही है।
इनका कहना है-
यह बालमपुर घाटी भोपाल-विदिशा स्टेट हाइवे 18 पर स्तिथ है। इस मार्ग पर यातायात का बहुत अधिक दवाब रहता है। घाटी पर दोनों और बड़े बड़े गड्ढे हो गए हैं। इनमें बाइक का टायर घुस जाता है। जिसकी वजह से चालक गिरकर घायल हो रहे हैं। वहीं यहां पर अधिक चढ़ाई व अंधा मोड़ होने के संकेतक बोर्ड भी नही लगाए गए हैं। इसके कारण भी यहां पर ट्रक पलट रहे हैं। इस और ध्यान देना चाहिए
नीरज जैन बंटी भैया, वरिष्ठ कांग्रेस नेता सलामतपुर
में प्रतिदिन सलामतपुर से भोपाल मोटरसाइकिल से अपडाउन करता हूं। और इसी बालमपुर घाटी से निकलता हूं।घाटी पर बड़े बड़े और गहरे गहरे गड्ढे हो गए हैं। और साइडों से रेलिंग भी टूट गई है। यहां से निकलने में जान का खतरा लगता है कि कहीं कोई दुर्घटना ना हो जाए।
साजिद खान, स्थानीय निवासी सलामतपुर