देवेन्द्र तिवारी सांची, रायसेन
बौद्ध वार्षिकोत्सव आयोजन नजदीक आ रहा है वैसे वैसे प्रशासन ने भी आयोजन को लेकर अपनी तैयारी शुरू कर दी है इस आयोजन को लेकर कलेक्टर ने भी अधिकारियों की बैठक लेकर निर्देश जारी कर दिये ।
जानकारी के अनुसार इस वर्ष भी बौद्ध वार्षिकोत्सव को लेकर जोरशोर से तैयारी शुरू कर दी गई हैं इस आयोजन में बडी संख्या में देशविदेश को बौद्ध अनुयायी शामिल होते है इस आयोजन को लेकर नगर परिषद प्रशासन भी जुट गया है नगर परिषद प्रशासन द्वारा भी साफसफाई व्यवस्था सुचारू बनाने पेयजल व्यवस्था जुटाने के साथ ही नगर में आयोजित किए जाने वाले मेले में लगने वाली दुकानों के लिए जगह उपलब्ध कराने की तैयारी जोर शोर से शुरु कर दी है इसके साथ ही चलित शौचालय की व्यवस्था भी की जा रही हैं बाहर से आने वाले लोगों को सुविधाएं उपलब्ध कराने की तैयारी शुरू हो चुकी हैं दूसरी ओर महाबोधि सौसायटी को दुल्हन बनाने की तैयारी शुरू की गई हैं नगर को इस वार्षिकोत्सव पर दुल्हन की तरह सजाया जाता है वही बौद्ध मंदिर की सजावट भी शुरू हो चुकी हैं इसके साथ ही स्तूप परिसर की व्यवस्था जुटाने पुरातत्व विभाग ने भी कमर कस ली है इस वार्षिकोत्सव को लेकर कलेक्टर अरविंद कुमार दुबे ने विगत दिनों गेटवे रिट्रीट मे अधिकारियों की बैठक की थी इस बैठक में एसडीएम मुकेशसिंह को नोडल अधिकारी नियुक्त किया है इसके साथ ही नायब तहसीलदार श्रीमती नियति साहू एवं सीएमओ नप को सहायक नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है इस कार्यक्रम को शातिपूर्वक सम्पन्न कराने प्रशासन तैयारी करने मे जुट गया है ।वैसे तो बौद्ध वार्षिकोत्सव प्रारंभिक दौर से ही नवंबर माह के अंतिम रविवार को आयोजित किया जाता रहा है चूंकि जब विदेश से भगवान बुद्ध के परम शिष्यों सारिपुत्र महामोदग्लाइन की पवित्र अस्थियों को वापस विदेश से लाया गया था तब भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर नेहरू इन्हें लेकर विशेष ट्रेन से सांंची पहुंचे थे तब इन पवित्र अस्थियों का देश विदेश के बडे बडे राजनयिकों ने सांंची पहुचने पर स्वागत किया था तथा भोपाल नवाब के प्रयास से स्तूप पहाड़ी पर बौद्ध मंदिर का निर्माण किया गया था ताकि इस मंदिर में इन पवित्र अस्थियों को सुरक्षित रखा जा सके तबसे ही इन पवित्र अस्थियों को इस मंदिर में सुरक्षित रखा जाता हैं तथा इन अस्थियों की विधिवत रूप से पूजा अर्चना कर पंडित नेहरू द्वारा इस मंदिर में जनता के दर्शनार्थ रखा गया था उससमय देश विदेश से आये राजनयिकों सहित बडी संख्या में बौद्ध अनुयायी उपस्थित हुये थे ।उस दिन रविवार का दिन होने से तब से अबतक नवंबर माह के अंतिम रविवार को ही इन पावन अस्थियों को जनता के दर्शनार्थ रखा जाता रहा है परन्तु इस वर्ष यह पहला मौका है जब इन पावन अस्थियों को 31 नवंबर एवं 1 दिसंबर को पहली बार जनता के दर्शनार्थ रखा जायेगा ।तथा पंडित नेहरू के समय से चली आ रही परंपरा इस बार बदल रही हैं ।इस कार्यक्रम में तथा पवित्र आस्थियो की पूजा अर्चना मैं शामिल होने जापान से महाबोधि सोसायटी के महानायक पूज्य वानगल उपतिस्स नायक थैरो भी शामिल होगें ।जबकि सांची सोसायटी के प्रबंधक पूज्य वानगल विमलतिस्स नायक थैरो मौजूद रहकर सभी व्यवस्था में जुटे हुए हैं ।हालांकि कुछ माह पूर्व ही पूज्य वानगल उपतिस्स नायक थैरो एवं सांंची प्रभारी पूज्य वानगल विमलतिस्स नायक थैरो ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी से दिल्ली में भेंट करते हुए उन्हें सांची इस वार्षिकोत्सव मे आने का निमंत्रण दिया था इससे जनता मे मा प्रधानमंत्री श्री मोदी के आने की उत्सुकता दिखाई दे रही है जबकि इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री के शामिल होने की संभावना दिखाई नहीं दे रही है बहरहाल इस कार्यक्रम की तैयारी बडे जोरशोर से चल रही है।