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अनूपपुर जिले के पुष्पराजगढ़ जनपद की ग्राम पंचायत सालारगोंदी में पंचायत की बैठक में अनोखा विवादास्पद प्रस्ताव पारित

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सुनील सोनी अनूपपुर

अनूपपुर जिले की पुष्पराजगढ़ जनपद पंचायत के अंतर्गत ग्राम पंचायत सालारगोंदी में एक विवादास्पद प्रस्ताव पारित किया गया है, जो अब चर्चा का विषय बना हुआ है। ग्राम पंचायत की मासिक बैठक में उपसरपंच सोनिया बाई ने प्रस्ताव रखा कि शासकीय कार्यों में से प्रत्येक कार्य पर 5% की राशि पंचों को दी जानी चाहिए। सरपंच विक्रम प्रसाद ने भी इस प्रस्ताव का समर्थन करते हुए कहा कि हर कार्य में 10% का कमीशन लिया जाएगा।

कमीशन का बंटवारा

बैठक में उपसरपंच ने प्रस्ताव रखा कि सरकारी राशि का कमीशन 7% उपसरपंच के लिए, 10% सरपंच के लिए और बाकी पंचों के लिए 5% निर्धारित किया जाए। इस प्रस्ताव के अनुसार, यह कमीशन राशि शासकीय कार्यों में बंटवारा कर दी जानी चाहिए। यदि यह राशि नहीं दी जाती है, तो ग्राम पंचायत के कार्यों में सहयोग नहीं किया जाएगा।

सचिव के साथ विवाद और दबाव

ग्राम पंचायत सचिव जयंती पनाडिया ने इस प्रस्ताव को गैरकानूनी और गलत ठहराया। इसके कारण सरपंच और अन्य पंचों ने सचिव के खिलाफ जिला पंचायत सीईओ के पास झूठी शिकायत की। सचिव जयंती पनाडिया ने मीडिया के सामने अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए बताया कि उनके नियमानुसार कार्य करने के कारण सरपंच और पंचों को वित्तीय लाभ नहीं मिल पाता है, जिससे वे असंतुष्ट हैं और लगातार उन पर दबाव बनाते हैं। सचिव ने यह भी कहा कि उन्होंने किसी भी अवैध प्रस्ताव का समर्थन नहीं किया है और नियमानुसार सभी कार्यों को करने का प्रयास किया है।

पिछले कामों और नए प्रस्तावों पर सफाई

सचिव जयंती पनाडिया ने बताया कि उनकी नियुक्ति के बाद शौचालय निर्माण का कोई नया प्रस्ताव स्वीकृत नहीं किया गया है, क्योंकि पिछले सचिव और सरपंच के कार्यकाल में लाभार्थियों को शौचालय निर्माण का लाभ मिल चुका था। उन्होंने कहा कि सामुदायिक शौचालय और सीसी रोड के निर्माण के लिए प्रस्ताव जनपद में भेजा गया है, और स्वीकृति मिलने के बाद कार्य शुरू किया जाएगा।

 

दूसरे सचिव की सलाह पर प्रतिक्रिया

शिकायत में दूसरे सचिव सुरेंद्र मिश्रा के दखल के संबंध में, सचिव जयंती पनाडिया ने कहा कि सुरेंद्र मिश्रा, जो सीनियर सचिव हैं और पहले इसी पंचायत के सचिव रह चुके हैं, से कभी-कभी कार्यों को नियमानुसार पूरा करने के संबंध में सलाह ले लेती हैं। यह सलाह केवल काम को सही तरीके से करने के लिए होती है, लेकिन सरपंच और पंचों को यह पसंद नहीं आता, क्योंकि इससे उनके वित्तीय हित पूरे नहीं हो पाते हैं।

यह घटना ग्राम पंचायत की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा करती है और प्रशासन को भ्रष्टाचार और अवैध गतिविधियों पर नजर रखने के लिए अधिक सख्त कदम उठाने की आवश्यकता बताती है। सचिव जयंती पनाडिया का कहना है कि वह केवल नियमों के अनुसार कार्य कर रही हैं और इसके लिए उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है।

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