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सीईओ पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते भूख हड़ताल पर बैठे सरपंच , 36 घंटे बाद प्रशासन ने सीईओ को हटाया

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शिवपुरी। पोहरी ब्लॉक के सरपंच संघ ने वर्तमान सीईओ शैलेंद्र आदिवासी के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए उनके तत्काल स्थानांतरण की मांग की है। सरपंचों का कहना है कि सीईओ के भ्रष्टाचार के कारण विकास कार्यों में बाधा उत्पन्न हो रही है और यदि पोहरी जनपद को भ्रष्टाचार मुक्त बनाना है तो उन्हें तत्काल हटाना अत्यंत आवश्यक है।

रविवार को पोहरी जनपद के 79 ग्राम पंचायतों के सरपंच, सरपंच संघ के अध्यक्ष केशव सिंह यादव की अगुवाई में पोहरी चौराहे पर धरना पर बैठ गए। इस दौरान उन्होंने मांग की कि शैलेंद्र आदिवासी को सीईओ पद से हटाया जाए। सरपंचों का आरोप है कि शैलेंद्र आदिवासी जनपद में चौथी बार सीईओ बनकर आए हैं और उनके कार्यकाल में पंचायतों को भ्रष्टाचार से जूझना पड़ रहा है।

धरना स्थल पर सहरिया क्रांति आंदोलन के संयोजक संजय बेचैन ने भी आंदोलन को समर्थन दिया। संजय बेचैन ने सरपंचों के पक्ष में खड़े होते हुए चेतावनी दी कि यदि प्रशासन ने सीईओ को नहीं हटाया तो 28 अक्टूबर को बड़ा प्रदर्शन किया जाएगा। संजय बेचैन के इस समर्थन के बाद प्रशासन पर दबाव बढ़ा और शाम होते ही घोषणा की गई कि शैलेंद्र आदिवासी को सीईओ पद से हटा दिया गया है। इसके बाद पूर्व मंत्री सुरेश रांठखेड़ा और संजय बेचैन ने धरना स्थल पर अनशन पर बैठे सरपंचों को जूस पिलाकर उनका अनशन समाप्त कराया।
सरपंच संघ के अध्यक्ष ने कहा कि उनकी मुख्य मांग यही है कि सीईओ शैलेंद्र आदिवासी को हटाया जाए, ताकि पंचायतों में पारदर्शिता बनी रहे। सरपंचों का आरोप है कि सीईओ द्वारा मटेरियल भुगतान में धांधली की जा रही थी और अनियमितताओं के चलते वे लगातार अनुचित मांगें कर रहे थे। यादव ने बताया कि अगर प्रशासन ने सीईओ के खिलाफ कार्रवाई नहीं की होती तो भूख हड़ताल अनिश्चितकाल तक जारी रहती।

प्राप्त शिकायतों के आधार पर अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) पोहरी से जांच कराई गई थी। जांच रिपोर्ट में यह सामने आया कि सीईओ शैलेंद्र आदिवासी ने अपनी भूमि पर शासकीय सामुदायिक भवन का निर्माण किया, जिसमें कथित रूप से नियमों का उल्लंघन हुआ। साथ ही, सरपंचों के अनुसार सीईओ द्वारा अनुचित लाभ लेने की मांग की जाती थी और मना करने पर अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत झूठे केस में फंसाने की धमकी दी जाती थी। धरना स्थल पर बड़ी संख्या में उपस्थित सरपंचों और सहरिया क्रांति की सक्रियता व ग्रामीणों के विरोध को देखते हुए प्रशासन ने तुरंत संज्ञान लिया और सीईओ शैलेंद्र आदिवासी के स्थानांतरण का आदेश जारी कर दिया।

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