शक्ति आराधना का पावन पर्व नवरात्रि जोकि 3 अक्तूबर से आरंभ हुए थे, अब समाप्ति की ओर बढ़ रहा है। नवरात्रि पर देवी दुर्गा के 9 अलग-अलग स्वरूपों की विधिवत पूजा-आराधना करने का विधान होता है। हिंदू धर्म में नवरात्रि के पर्व का विशेष महत्व होता है। यह नवरात्रि पर्व हर वर्ष आश्विन माह की प्रतिपदा से आरंभ होकर नवमी तिथि तक चलता है। नवरात्रि पर अष्टमी और नवमी तिथि का विशेष महत्व होता है। इस तिथि पर मां दुर्गा की विशेष पूजा अर्चना करने के साथ व्रत का पारण किया जाता है। कुछ लोग अष्टमी तो कुछ भक्त नवमी तिथि पर कन्याओं को भोजन कराते हुए उनकी पूजन करते हैं। इस वर्ष शारदीय नवरात्रि पर अष्टमी और नवमी तिथि को लेकर थोड़ा भ्रम की स्थिति बनी हुई है। दरअसल, हिंदू कैलेंडर में कुछ तिथियों का क्षय हो जाता है तो कुछ तिथियां अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार एक ही दिन में दो पड़ जाती है, जिसको लेकर लोगों के मन भ्रम हो जाता है। पंचांग के अनुसार इस वर्ष नवरात्रि पर तिथियां दोपहर को प्रारंभ होकर फिर अगले दिन दोपहर में समाप्त हो रही है। जिसके चलते अष्टमी और नवमी तिथि को लेकर संशय बना हुआ है। आइए जानते हैं नवरात्रि पर कब अष्टमी और कब नवमी तिथि पर कन्या पूजन करते हुए नवरात्रि का पारण किया जाए
नवरात्रि अष्टमी और नवमी तिथि कब है?
हिंदू पंचांग के अनुसार इस वर्ष आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 10 अक्टूबर 2024 को दोपहर 12 बजकर 31 मिनट से शुरू हो जाएगी, जो 11 अक्तूबर को दोपहर 12 बजकर 06 मिनट पर खत्म होगी,अष्टमी तिथि के समापन के साथ ही नवमी तिथि शुरू होगी, जो 12 अक्तूबर को सुबह 10 बजकर 57 मिनट पर समाप्त हो जाएगी और फिर दशमी तिथि की शुरुआत होगी। इस तरह से इस नवरात्रि पर अष्टमी और नवमी तिथि का व्रत-पारण 11 अक्तूबर को ही रखा जाएगा।
कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त
नवरात्रि पर माता के नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूजा करते हुए अष्टमी और नवमी तिथि पर कन्याओं का पूजन और उन्हे भोजन कराते हुए व्रत का पारण किया जाता है। महा अष्टमी पर कन्या पूजन के लिए 11 अक्तूबर को सुबह 07 बजकर 47 मिनट से लेकर सुबह 10 बजकर 41 मिनट के बीच में नौ कन्याओं का घर पर बुलाकर पूजन, भोज और उपहार देते हुए उनका आर्शीवाद लें। ध्यान रहें 11 अक्तूबर को राहुकाल के समय यानी 10 बजकर 41 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 08 मिनट के बीच कन्या पूजन न करें। राहु काल की समाप्ति होने के बाद दोपहर 12 बजकर 08 मिनट लेकर 01 बजकर 35 मिनट के बीच कन्या पूजन करें।
नवरात्रि अष्टमी और नवमी तिथि का महत्व क्यों?
महाष्टमी को दुर्गाष्टमी भी कहते है और यह तिथि को दुर्गा पूजा का प्रमुख दिन माना जाता है। महाअष्टमी पर संधि पूजा होती है। यह पूजा अष्टमी और नवमी दोनों दिन चलती है। हिंदू धर्म में नवरात्रि के त्योहार पर अष्टमी और नवमी दोनों ही तिथियों का खास महत्व होता है। महाष्टमी दुर्गा पूजा और उपासना के लिए सबसे शुभ तिथि मानी गई है। इस तिथि पर देवी दुर्गा के सबसे शक्तिशाली रूप की पूजा होती है। महाष्टमी पर देवी दुर्गा के महागौरी स्वरूप और नवमी तिथि पर मां सिद्धिदात्री स्वरूप की पूजा होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार महाष्टमी पर देवी दुर्गा ने महिषासुर दैत्य का वध करने के लिए महिषासुरमर्दिनी का स्वारूप धरा किया था। इसलिए इस दिन कन्या पूजन, हवन और मंत्रोचार करते हुए मां की उपसना, व्रत का पारण और फिर दशमी तिथि को दुर्गा पंडालों में विराजित मां की प्रतिमाओं का विसर्जन होता है।
शारदीय नवरात्रि पर अष्टमी और नवमी तिथि पर कन्या पूजन और भोज कराते हुए व्रत का पारण किया जाता है। कुछ लोग अष्टमी तिथि पर कन्या पूजन और भोज कराते हुए पारण करते हैं, वहीं कुछ लोग नवमी तिथि पर कन्या पूजन और भोज कराते हुए नवमी को पारण करते हैं। नवरात्रि में कन्या पूजन करने पर मां दुर्गा बहुत ही प्रसन्न होती हैं अपने भक्तों को भरपूर आशीर्वाद देती हैं।
इस साल शारदीय नवरात्रि का आरंभ 3 अक्टूबर से आरंभ हुए है। इसके साथ ही पूरे नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की विधिवत पूजा करने का विधान है। इसके साथ ही अष्टमी और नवमी तिथि को मां दुर्गा की विधिवत पूजा करने के साथ व्रत का पारण किया जाता है। लेकिन इस साल नवरात्रि की अष्टमी और नवमी तिथि को लेकर थोड़ा सा कंफ्यूजन बना हुआ है। दरअसल, इस बार कुछ तिथियों दोपहर से आरंभ होकर दूसरे दिन दोपहर में समाप्त हो रही है। ऐसा क्रम दशहरा तक चल रहा है। इस कारण अष्टमी और नवमी की तिथि को लेकर कंफ्यूजन में है। जानें नवरात्रि अष्टमी और नवमी तिथि का व्रत कब रखा जाएगा।
हिंदू धर्म में नवरात्रि अष्टमी और नवमी तिथि का विशेष महत्व है। महाष्टमी को नवरात्रि का सबसे शक्तिशाली दिन माना जाता है, क्योंकि इस दिन मां दुर्गा के सबसे शक्तिशाली रूप की पूजा की जाती है। इसके साथ ही इस दिन कन्या पूजन करने का विशेष महत्व है। महाअष्टमी पर मां दुर्गा के महागौरी स्वरूप और नौवें दिन सिद्धिदात्री की पूजा करने का विधान है।मान्यता है कि इस दिन मां दुर्गा ने महिषासुरमर्दिनी का स्वरूप धरा था और महिषासुर नामक राक्षस का वध किया था। इस दिन हवन आदि करने के साथ कई साधक व्रत का पारण कर देते हैं।
कब है अष्टमी और नवमी तिथि 2024
द्रिक पंचांग के अनुसार, आश्विन शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 10 अक्टूबर 2024 को दोपहर 12 बजकर 31 मिनट से शुरू होगी और 11 अक्टूबर 2024 को दोपहर 12 बजकर 06 पर समाप्त होगी। इसके बाद नवमी तिथि लग जाएगी, जो 12 अक्टूबर को सुबह 10 बजकर 57 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। ऐसे में नवरात्रि की अष्टमी और नवमी का व्रत 11 अक्टूबर 2024 को ही रखा जाएगा।