पितरों के निमित्त श्रवण किया सत्संग मोक्षरूप परम पुरुषार्थ प्रदान करता है- मानस आचार्य
उदयपुरा -रायसेन। श्री रामचरितमानस विद्यापीठ द्वारा मानस यात्रा अंतर्गत पितृपक्ष के पर्व पर सत्संग के दो सत्रों में आयोजन किए गए, जिसमें नर्मदा धर्मशाला में आयोजित भागवत अनुष्ठान के अंतर्गत सत्संग 11 से दो बजे तक हुआ, जिसमें आयोजक सीताराम धाकड़ एवं द्वितीय सत्र 2 बजे से 6 बजे तक शिव हनुमान मंदिर पर हुआ जिसके आयोजक राजेंद्र गुप्ता पूर्व कृषि अधिकारी, एवं सुनील गुप्ता द्वारा सत्संग सभा आयोजित करवाई गई, रामचरितमानस ग्रंथ पर श्री सती जी का भ्रम,श्री राम जी का ऐश्वर्य, और सती जी का खेद, प्रसंग पर मानस प्रवक्ता एवं मानस चिंतकों द्वारा सुंदर भाव प्रकट किये, मानस आचार्य सुरेंद्र शास्त्री ने बताया कि श्री भागवत पुराण अंतर्गत चल रहे सत्संग में रामचरितमानस ग्रंथ पर सत्संग का आयोजन एक विशेष संयोग है, यह विशिष्ट सत्संग, प्रभु कृपा का ही फल होता है, धर्माधिकारी राजेंद्र शास्त्री ने सत्संग के महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि सत्संग से हमारे पितृ संतुष्ट होते हैं, एवं पितरों की संतुष्टि से ही सुख शांति संभव है, आपने बताया कि मानस ग्रंथ सर्वोच्च भक्ति, ज्ञान, त्याग ,वैराग तथा सदाचार के साथ आदर्श र्गहस्यथ जीवन की शिक्षा देने वाला ग्रंथ है, सत्संग सभा में नर्मदा प्रसाद रामायणी, हरिदास शास्त्री, केशव प्रसाद तिवारी, अर्जुन रामायणी, संतोष शर्मा, देवव्रत राजोरिया ,कैलाश दुबे, मानस चिंतक यशवंत दादू भैया, ओम प्रकाश, लाल भैया, बेनी सिंह आदि ने भावपूर्ण प्रसंग अनुसार विचार प्रकट किये, यात्रा संयोजक अधिवक्ता चतरनारायण रघुवंशी ने सभी का आभार प्रकट किया, मानस ग्रंथ की मंगल आरती में संतोष बाबू,तेजराम धाकड़, प्रहलाद सिंह रघु, सुनील गुप्ता अभिभाषक मंडल अध्यक्ष राजेश कटारे, राम सिंह चंदेल, संतोष शर्मा, गोपाल वर्मा, बलदेव सिंह रघु, अमर सिंह लोधी, राज किशोर कौरव, वीरेंद्र पटेल, बालकृष्ण श्रीवास्तव, मूरत सिंह लोधी, नर्मदा प्रसाद, जुगल किशोर टेकाम, गया प्रसाद वर्मा, सहित बड़ी संख्या में मानस प्रेमी श्रोताओं ने भाग लिया,