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घटना की परिस्थितियां, तकनीकी जांच और साक्ष्य के आधार पर अपराधी को ढूंढना आसान होता है: विजय राजपूत

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सात केस में की थी विवेचना:चार में हुई आजीवन सजा तीन की सुनवाई जारी

रिपोर्ट:धीरज जॉनसन दमोह

समाज को अपराध के नुकसान से रोकने और हर व्यक्ति को अवैध गतिविधियों से सुरक्षा के लिए लगातार नियमानुसार कार्यवाही कर रहे विजय राजपूत ने देहात थाना दमोह में मई 2021 से अगस्त 2022 तक प्रभारी पदस्थापना के दौरान शांति व्यवस्था बनाए रखते हुए हत्या जैसी अपराधिक घटनाओं में भी सूक्ष्म विवेचना के साथ साक्ष्य, घटना की परिस्थितियां, तकनीकी जांच के आधार पर चार प्रकरण में अपराधियों को आजीवन सजा हुई जिसमें एक तो ब्लाइंड मर्डर था जिसके 05 अपराधियों को 48 घंटे में ढूंढ लिया और सलाखों के पीछे भेज दिया था और तीन केस के निर्णय आना बाकी है ।

जिनके बारे में राजपूत बताते है कि कार्य के प्रति समर्पित भाव के साथ अगर कठिन से कठिन कार्य भी किया जाए तो उसमें सफलता हासिल होती है।
13 अगस्त को न्यायालय अमर गोयल, सप्तम अपर सत्र न्‍यायाधीश दमोह ने आरोपी रविन्द्र गुप्ता रोहित उर्फ अभिषेक व शुभम उर्फ शिवम गुप्ता सभी निवासी मागंज वार्ड नंबर-4, थाना दमोह देहात दमोह को पारित निर्णय में आरोपीगण को भां.द.वि. की धारा 302 में आजीवन कारावास धारा 307 में 07-07 वर्ष का कारावास, व कुल 9000 रूपये के अर्थदण्ड से दण्डित किया गया उक्त प्रकरण में 16 सितंबर 2021 को इलाज के दौरान घनश्याम की मृत्यु होने पर धारा 302 भा.दं.सं. का इजाफा कर उसके शव का परीक्षण कराया गया था, उक्त केस सहित अन्य छह हत्या के मामले देहात थानामें 16 महीने कि पदस्थापना के दौरान विजय राजपूत के सामने आए जिसमें से अपराध क्रमांक 662/21, 701/ 21, 783/21, 837/21 में अपराधियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई और 559/21, 504/22, 111/22 तीन केस की सुनवाई जारी है।

उन्होंने बताया कि उक्त प्रकरणों के साथ अन्य केस में भी निवर्तमान पुलिस अधीक्षक डी आर तेनीवार का हर समय मार्गदर्शन मिलता रहा जिससे अपराधिक घटनाओं पर नियंत्रण रख सके। वर्तमान में पुलिस लाइन सागर में पदस्थ राजपूत बताते है कि हमें उम्मीद है कि अन्य तीन में भी अपराधियों को न्यायालय से कड़ी सजा मिलेगी।विवेचना के दौरान साक्षीगण के कथन, संकलित साक्ष्य, संपूर्ण विवेचना उपरांत अभियुक्त के विरूद्ध न्यायालय में अभियोग पत्र प्रस्तुत और न्‍यायालय में पहुंचे मौखिक व दस्तावेजी साक्ष्य तथा अभियोजन द्वारा प्रस्तुत तर्कों के बाद न्यायालय निर्णय देता है।हमारा प्रयास रहता है कि परिस्थितिजन्य साक्ष्य की एक एक कड़ी खंडनरहित अभियुक्तगण की दोषिता की ओर इंगित करे। कई बार ऐसे मौके भी आते है कि न्यायालय से फटकार लगती है पर लगातार अपने इंवेस्टीगेशन में सुधार करते हुए यह प्रयास करते है कि जो लोग समाज को गंदा कर रहे है और आशान्वित रहते है कि उनका कुछ नहीं होगा परंतु जब इस तरह के निर्णय आते हैं तो आरोपियों में खौफ होगा और पीड़ित को न्याय मिलेगा।

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