बरसात के दिनों में स्कूल जाना बना मुसीबत
स्कूल चले हम का नारा हो रहा बेमानी साबित
मुकेश साहू दीवानगंज रायसेन
सरकार हर साल स्कूल चले हम अभियान पर लाखों रुपए खर्च करती है लेकिन आज भी कई स्कूल ऐसे है जहां भवन तक पहुंचने के लिए रास्ता ही नही है। ऐसे में स्कूल चले हम का नारा बेमानी साबित हो रहा है। इसका उदाहरण सांची विकासखंड के अंतर्गत आने पीएम श्री शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय दीवानगंज का है।
दीवानगंज, अंबाडी, सेमरा, मुस्काबाद, काली टोर,पिपरई, बसिया, सत्ती , मुनारा, केम खेडी, सहित एक दर्जन से ज्यादा गांव के बच्चे छठवीं कक्षा से लेकर 12वीं कक्षा तक के बच्चे कच्चे रास्ते से होकर स्कूल जाते है। स्कूल भवन बनने के 30 साल बाद भी प्रशासन यहां के बच्चों को पक्का रास्ता उपलब्ध नही करा पाया है। एक पक्का रास्ता है तो वह 3 किलोमीटर चक्कर लगाकर जाना पड़ता है।
विधायक निधि से कुछ दूरी तक रास्ते को आरसीसी बना दिया गया। मगर कुछ रास्ता अब भी कच्चा पड़ा हुआ है। पहले जो रास्ता बनाया था वह भी जगह-जगह से खराब होने लगा। जबकि सरकार ने पूरी क्षमता से स्कूल खोलने के निर्देश दिए है लेकिन स्कूलों तक पहुंचाने का रास्ता कच्चा होने के कारण बच्चों को कीचड़ वाले रास्ते और गंदे पानी में से होकर गुजरना पड़ रहा है।
बच्चों के लिए पढ़ाई के साथ रोटी, कपड़ा, मकान, और पक्की सड़क भी मूलभूत जरूरतों में से एक है। इसके बिना इंसान एक जगह से दूसरी जगह आ जा नहीं सकता है।
दीवानगंज इच्छापूर्ति हनुमान मंदिर से लेकर हाई सेकेंडरी स्कूल तक रास्ते में बड़े-बड़े गड्ढेेे हो गए हैं, जिससे राहगीरों के साथ स्कूली बच्चों को परेशानी हो रही है। दीवानगंज से लेकर भोपाल विदिशा हाईवे 18 पर बने हाई सेकेंडरी स्कूल दीवानगंज तक आधे किलोमीटर मार्ग में बड़े-बड़े गड्ढों में बदल गया है। गांव के लोगों का आवागमन ज्यादा होने के कारण ग्रामीणों को परेशानी का सामना करना पड़ता है।
खराब सड़क के कारण बारिश में कीचड़ भरे रास्तों से स्कूल जाने को मजबूर बच्चों ने स्थानीय प्रशासन के खिलाफ नाराजगी जाहिर की है।
इन पढ़ने वाले बच्चों ने अपने क्षेत्र में अच्छी सड़क बनाने की मांग प्रशासन से की है। लोग अपने गांव से जिस स्कूल के लिए जाते है, वहां की कच्ची सड़क कीचड़ से सनी हुई है। बच्चों का कहना है कि हम सभी लोगों को खराब रास्ते होने कारण स्कूल आने और जाने में कठनाई होती है।
बच्चों के जूते और कपड़े गंदे हो जाते हैं
बच्चों का कहना कि स्कूल जाते हुए लगभग सभी बच्चों के जूते और कपड़े गंदे हो जाते हैं। यहां अक्सर कई बच्चे रास्ते में अत्यधिक कीचड़ होने के कारण असंतुलित होकर गिर जाते हैं।
दीवानगंज के प्राचार्य टीडी मेश्राम, शिक्षक एम एल अहिरवार, प्रीति मैडम, मनोज पवार सहित कई स्कूल के शिक्षक बताते है कि गांव में स्कूल तक जाने का रास्ता नही होने के कारण बच्चें स्कूल छोड़ने लगे है। पहले इस स्कूल में 720 से अधिक बच्चें दर्ज थे अब इन बच्चों की संख्या 615 रह गई है।
इनका कहना हे –
पढ़ने वाले बच्चों को रोज आधा किमी के रास्ते स्कूल छोड़ने में दिक्कतें होती है। अकेले भेजने में डर लगा रहता है, इसलिए गांव के लोग इस स्कूल से बच्चों का नाम कटवाकर उन्हें करीबी निजी स्कूल में भेजने लगे है। स्कूल की बस गांव में पहुंचती है। बच्चें बस में सवार होकर निजी स्कूल जाते है। पालकों के फीस का खर्च बढ़ गया है लेकिन बच्चों की सुरक्षा का डर नही रहता है।
अनिल साहू ग्रामीण दीवानगंज
मेरी दो बच्ची की पढ़ने स्कूल जाती है एक छठ वीं क्लास पड़ रही है तो दूसरी 12वीं क्लास पढ़ रही हैं। रोज दोनों के जूता चप्पल सहित कपड़े गंदे हो जाते है। कच्चे रास्ते के कारण कभी-कभी बच्चियों स्कूल नहीं जाती है।
मुकेश साहू ग्रामीण दीवानगंज
पंचायत में अभी बजट नहीं है इस रोड को कार्य योजना में डाल दिया है जब बजट पंचायत के पास आ जाएगा तो रोड को बना दिया जाएगा।
राम प्रसाद मालवीय पंचायत सचिव