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उच्च शिक्षा की बाग़डोर संभाले अतिथि विद्वानों ने फ़िर लगाई गुहार

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अतिथि नाम,मजदूरी से छुटकारा एवं फ़िक्स वेतन,स्थाईत्व दे सरकार-महासंघ

भोपाल।सूबे के सरकारी कॉलेजों में रिक्त पदों के विरुद्ध वर्षों से सेवा दे रहे अतिथि विद्वानों ने फ़िर प्रदेश की भाजपा सरकार से अपने भविष्य सुरक्षित की गुहार लगाई है।जुलाई माह से फिर प्रदेश के उच्च शिक्षा विभाग एवं कॉलेजों का नया सत्र शुरू हो गया है जिसमें वही पूर्व से कार्य कर रहे अतिथि विद्वानों को उन्ही सेवा शर्तों में विधिवत कंटिन्यू कर दिया गया है।अतिथि विद्वान महासंघ ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए सरकार से मांग की है कि दिहाड़ी मजदूरी एवं शोषणकारी अतिथि नाम से छुटकारा दिया जॉए साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एवं उस समय के उच्च शिक्षा मंत्री वर्तमान मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव जी ने जो घोषणा एलान वादा किये थे कि इनको फिक्स वेतन एवं निकाला नही जाएगा स्थाई किया जाएगा उसका आदेश जारी करें।

सार्थक एप तो ठीक पर अतिथि विद्वानों का भविष्य सुरक्षित कब होगा:-डॉ देवराज सिंह
वहीं कॉलजों में इस समय प्राध्यापकों एवं सरकार के बीच काफ़ी तनातनी देखने को मिल रही है।जबसे विभाग ने सार्थक एप से अटेंडेंस का आदेश जारी किया है तबसे काफ़ी आक्रोश प्राध्यापकों में देखा जा रहा है।वहीं अतिथि विद्वान महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ देवराज सिंह ने बयान जारी करते हुए कहा कि अतिथि विद्वानों के भरोसे ही कॉलेज संचालित हो रहे हैं प्रदेश के।सार्थक एप से कोई गुरेज नही।अतिथि विद्वान पूरी तन्मयता लगन के साथ सेवा करते हैं।वहीं डॉ सिंह ने कहा कि सरकार की घोषणाओं का क्या जो फिक्स वेतन एवं स्थाई/नियमित/सनयोजन का वादा किया गया है महापंचायत में।इस तरफ़ सरकार को शीर्ष अधिकारियों को ध्यान देना चाहिए।
महापंचायत की घोषणा पूरी ना होने से खफ़ा है अतिथि विद्वान
पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह एवं डॉ मोहन यादव उच्च शिक्षा मंत्री रहते महापंचायत में फ़िक्स मासिक वेतन एवं स्थाई/नियमित/समायोजन का वादा किए थे घोषणा करके लेकिन विभागीय आदेश ने उन घोषणाओं की धज्जियां उड़ाते हुए वही दिहाड़ी मजदूरी एवं स्थाई/नियमित/समायोजन को विलोपित करते हुए आदेश जारी किया जिससे प्रदेश के अतिथि विद्वान अपने आप को ठगा महसूस कर रहे हैं।

इनका कहना हे –
प्रवेश,परीक्षा,प्रबंधन,अध्यापन,नैक,मूल्यांकन,रूसा आदि समस्त कार्य अतिथि विद्वान वर्षों से कर रहे है फिर भी स्थाई नही।अतिथि कोई दो-चार दिन होता यहाँ तो दो दशक से अतिथि ही रह गए।फ़िक्स वेतन एवं स्थाई/नियमित/समायोजन करे सरकार रिक्त पदों में सेवा कर रहे अतिथि विद्वानों को और अपना वादा पूरा करे।उच्च शिक्षा कि रीढ़ है अतिथि विद्वान।
डॉ आशीष पांडेय,मीडिया प्रभारी अतिथि विद्वान महासंघ

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