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दिल्ली-NCR में मौसम बार-बार ले रहा करवट, IMD ने अब अगले 6 दिन के लिए दिया नया अलर्ट

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दिल्ली-NCR में पिछले दो दिन हुई बारिश ने लोगों को गर्मी से थोड़ी राहत दी है. लेकिन अगले दिन फिर से चिलचिलाती धूप आसमान पर दिखाई दी. लोगों को लगा कि गर्मी दोबारा से वापस लौट आई है. दोपहर होते-होते फिर से मौसन सुहाना होता दिख रहा है. जहां सुबह के समय आसमान बिल्कुल साफ था. वहीं, अब आसमान में बादल दिखाई देने लगे हैं. दिल्ली में आज न्यूनतम तापमान 30.05 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया. मौसम के बदलते रुख के बीच आईएमडी ने एक राहत भरा अपडेट दिया है. मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के मुताबिक इस बार जितनी ज्यादा गर्मी हुई है, उतनी ही अच्छी बरसात भी होगी.

लोगों को अब इंतजार है तो बस बरसात का. मौसम विभाग के मुताबिक, जुलाई की शुरुआत में मानसून पूरी तरह दस्तक दे देगा. इस बीच जो दिन रहेंगे उनमें बदलाव देखने को मिलता रहेगा. कभी धूप निकलेगी तो कभी बारिश होगी. दिल्ली-NCR में 23 जून को अधिकतम तापमान 45.94 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 37.17 डिग्री सेल्सियस रह सकता है. बादल छाए रहने की संभावना है. 24 जून को अधिकतम तापमान 47.55 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 38.07 डिग्री सेल्सियस रह सकता है. आसमान साफ रहने की संभावना है.

दिल्ली-NCR में 25 जून को अधिकतम तापमान 47.99 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 37.45 डिग्री सेल्सियस रह सकता है. आसमान साफ रहने की संभावना है. 26 जून को अधिकतम तापमान 48.11 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 36.45 डिग्री सेल्सियस रह सकता है. बादल छाए रहने की संभावना है. 27 जून को अधिकतम तापमान 43.63 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 33.39 डिग्री सेल्सियस रह सकता है. आसमान साफ रहने की संभावना है. राजधानी दिल्ली समेत पूरे एनसीआर में 28 जून को अधिकतम तापमान 40.57 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 31.03 डिग्री सेल्सियस रह सकता है. दिनभर हल्की से मध्यम बारिश हो सकती है.

पिछली बार से ज्यादा होगी बारिश

इंडियन ओशन डाइपोल (IOD) मानसून को काफी हद तक प्रभावित करता है. आईओडी का मतलब होता है कि वायुमंडल से समुद्र और सतह के तापमान में अंतर होने से होने वाला इफेक्ट. हिंद महासागर में होने वाली गतिविधियों से तय होता है कि मानसून कैसा रहेगा. अभी यहां आईओडी न्यूट्रल है. आईओडी के जल्द ही पॉजिटिव होने की संभावना है. जो कि ज्यादा बारिश का संकेत है.

इससे पहले आईओडी के पॉजिटिव होने पर वर्ष 1983, 1994 और 1997 में भारत में सामान्य से अधिक बारिश हुई थी. वहीं निगेटिव होने पर वर्ष 1992 में बहुत कम बारिश हुई थी. मानसून के लिए अल नीनो और ला नीना दो सबसे अहम फैक्टर हैं. अल नीनो में समंदर का तापमान 3 से 4 डिग्री बढ़ जाता है. भारत में अल नीनो के कारण मानसून अक्सर कमजोर होता है. अभी की बात करें तो अल नीनो प्रशांत महासागर में कमजोर है. अल नीनो इफेक्ट की न्यूट्रल कंडीशन चल रही है. मौसम विभाग के वैज्ञानिकों की मानें तो अल नीनो जुलाई में ला नीना में परिवर्तित हो जाएगा. इससे मानसून में अच्छी बारिश होने की संभावना है. पिछले मानसून से इस बार ज्यादा बारिश होगी.

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