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देश में आने वाला है 100 टन सोना, भारतीय रिजर्व बैंक जमकर क्यों खरीद रहा विदेशों से सोना

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भारतीय रिजर्व बैंक ने हाल ही में सोने की जमकर खरीदारी की है. साथ ही केंद्रीय बैंक ने ब्रिटेन में खरीदकर रखा गया 100 टन से ज्यादा का सोना देश में अपने भंडार में ट्रांसफर किया है. 33 साल बाद ये पहला मौका है जब सेंट्रल बैंक ने अपने भंडार में इतना सोना जमा किया है. यानी भारत द्वारा खरीदा गया सोना अब इंग्लैंड की तिजोरियों में नहीं रहेगा. बल्कि अब उसे भारतीय रिजर्व बैंक के वॉलेट्स में रखा जाएगा.

आंकड़ों के मुताबिक मार्च के अंत में RBI के पास 822.1 टन सोना था. इसमें से 413.8 टन सोना रिजर्व बैंक ने विदेशों में रखा है. वहीं, पिछले फाइनेंशियल ईयर में आरबीआई ने अपने भंडार में 27.5 टन सोना जोड़ा था. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर RBI विदेशों से इतना सोना क्यों खरीद रहा है.

विदेशों से सोना क्यों खरीद रहा है भारत?

RBI धीरे-धीरे विदेशों में जमा सोने की मात्रा कम कर रहा है और इसे भारत ला रहा है. भारत अपना सोना वापस ला रहा है ताकि देश की अर्थव्यवस्था और मजबूत हो सके. भारत को अपनी अर्थव्यवस्था मजबूत करने के लिए ज़्यादा सोने की ज़रूरत है. भारत चाहता है कि देश में सोने का भंडार बढ़े और उसके सोने का इस्तेमाल उसी के फायदे के लिए हो.

RBI के पास कितना सोना?

मार्च के अंत तक RBI के पास कुल 822.11 टन सोने का रिजर्व है. इसमें से 413.8 टन सोना विदेशों में रखा गया है. पिछले कारोबारी साल में ही RBI ने करीब 27.5 टन सोना खरीदा है. पिछले कुछ समय में RBI ने तेजी से सोना खरीदने में रुचि दिखाई है. साल 2023 के मुकाबले RBI ने केवल जनवरी-मार्च के दौरान ही करीब डेढ़ गुना सोना खरीदा है. इसे मुश्किल और चुनौतीपूर्ण स्थिति के लिए रणनीतिक कदम के तौर पर देखा जा रहा है.

भारत आएगा सोना

दुनियाभर के ज्यादातर देश बैंक ऑफ इंग्लैंड की तिजोरियों में कई देश अपना सोना रखते हैं. इसके लिए उन्हें ब्रिटेन के केंद्रीय बैंक को शुल्क भी चुकाना पड़ता है. आजादी से पहले के दिनों से ही बैंक ऑफ इंग्लैंड के पास भारत का सोने का कुछ स्टॉक पड़ा है. इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट में एक अधिकारी ने बताया कि आरबीआई ने कुछ साल पहले सोना खरीदना शुरू किया था. इस बात की समीक्षा हो रही हो कि इसे कहां रखना है. यह काम समय-समय पर किया जाता है. चूंकि विदेशों में स्टॉक जमा हो रहा था, इसलिए कुछ सोना भारत लाने का फैसला किया गया. साल 1991 में चंद्रशेखर सरकार को भुगतान संतुलन के संकट से निपटने के लिए इस बहुमूल्य धातु को गिरवी रखना पड़ा था. तबसे अधिकांश भारतीयों के लिए सोना एक भावनात्मक मुद्दा रहा है.

बाहर से सोना लाने को बेलने पड़े काफी पापड़

इंग्लैंड से एक हजार क्विंटल सोना लाना आसान काम नहीं था. इसके लिए कई सारी औपचारिकताएं तो पूरी करनी ही पड़ी, साथ ही इसे सुरक्षित भारत लाने को कड़े सुरक्षा इंतजाम भी करने पड़े. इसे एक विशेष विमान से भारत लाया गया था. इस सोने पर सरकार ने विशेष कस्टम छूट प्रदान की. हां, इस पर जीएसटी से छूट केंद्र सरकार नहीं दे पाई, क्योंकि जीएसटी संग्रह को राज्यों के साथ बांटना होता है.

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