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नोट गिनते-गिनते जली मशीनें, थक गए अधिकारी…झारखंड में ED की मैराथन रेड के बाद मंत्री सचिव और नौकर गिरफ्तार

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प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सोमवार को झारखंड के मंत्री आलमगीर आलम के एक सचिव के नौकर और कुछ अन्य स्थानों पर रेड मारी, जहां से 35.23 करोड़ रुपए का बेहिसाब कैश, फ्लैट और ज्वैलरी बरामद की गई. इसमें 32 करोड़ रुपए सिर्फ कैश बरामद किया गया. एक अन्य ठिकाने से करीब 3 करोड़ रुपए और मिले हैं. 500 रुपए के इतने बंडल मिले हैं कि अधिकारियों की आंखें फटी की फटी रह गईं. कड़ी सुरक्षा के बीच प्रवर्तन निदेशालय के 7-8 अधिकारी इन नोटों को गिनने में जुटे. सुबह से ये गिनती देर रात तक चली. नोट गिनने के लिए 6 मशीनें लगाई गईं. तीन-तीन कमरों में नोट गिनने का काम चला. इसके बाद ईडी ने मंत्री के निजी सचिव संजीव लाल और उसके नौकर जहांगीर आलम को देर रात गिरफ्तार कर लिया.

झारखंड में ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम के निजी सचिव संजीव लाल के हाउस हेल्पर के घर सोमवार को सुबह अचानक से ईडी की टीम ने रेड की, तो हर कमरे में भ्रष्टाचार वाली गड्डियां मिलीं. कहीं अलमारी में, तो कहीं बेड में छिपाकर रखे गए 500 रुपए की गड्डी के पहाड़ मिले. नोट इतने कि सुबह से गिनती का कार्यक्रम चालू हुआ तो देर शाम तक बड़ी-बड़ी मशीनों से नोट गिनने का काम चलता रहा.

बैंक के अधिकारियों ने सोमवार सुबह 9 बजे वोटों की गिनती शुरू की थी और ये रात बजे तक जारी रही. करीब 13 घंटे तक नोट गिने गए. वहीं, ईडी के अधिकारियों ने सोमवार सुबह करीब 6 बजे रेड मारी और मंगलवार तड़के तक छापेमारी जारी रही. 20 घंटे से अधिक समय तक छापेमारी जारी रही.ये खबर जब प्रधानमंत्री मोदी को लगी तो उन्होंने एक चुनावी रैली से कांग्रेस पर जमकर प्रहार किया. उन्होंने कहा कि झारखंड में नोटों के पहाड़ मिल रहे हैं.

बीजेपी ने बताया गड्डियों का मंत्री से कनेक्शन

असल में झारखंड में आलमगीर आलम कांग्रेस नेता हैं. वो गठबंधन सरकार में कांग्रेस कोटे से मंत्री हैं. बीजेपी का आरोप है कि उनके सचिव के नौकर के घर से मिले नोटों के इन बंडल का कनेक्शन मंत्री जी से ही है. नोटों की बरामदगी के बाद मंत्री आलमगीर आलम की प्रतिक्रिया भी आई. उन्होंने पहली फुर्सत में ही अपने निजी सचिव से पल्ला झाड़ लिया. नोटों के अलावा नौकर के घर से ट्रांसफर-पोस्टिंग के कागजात भी बरामद हुए हैं.

ED की टीम 4 बैग लेकर सचिव के नौकर के घर निकली. ईडी की टीम पेन ड्राइव और कुछ दस्तावेज भी लेकर गई. आलमगीर आलम चार बार से कांग्रेस के विधायक हैं. वो पाकुड़ सीट से साल 2000, 2004, 2014, और 2019 में विधायक चुने गए. अक्टूबर 2006 से दिसंबर 2009 के बीच झारखंड विधानसभा में स्पीकर भी रह चुके हैं. 2019 में जब राज्य में गठबंधन सरकार बनी, तो उन्हें कांग्रेस कोटे से मंत्री बनाया गया. 2019 में जब उन्होंने चुनाव में हलफनामा दाखिल किया था तब 7 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति दिखाई थी.

अफसरों के ट्रांसफर से जुड़े दस्तावेज मिले

आपको जानकर ताज्जुब होगा कि इस सहायक की सैलरी महज 15 हजार रुपए महीना है, लेकिन आप ये सोच रहे हैं कि उसके घर से सिर्फ नोट ही मिले हैं, तो ऐसा नहीं है. यहां नोटों की गड्डियों के अलावा, ट्रांसफर-पोस्टिंग के दस्तावेज भी मिले हैं. ग्रामीण विकास मंत्रालय से जुड़े राज्य के कुछ अधिकारियों का ट्रांसफर और पोस्टिंग कहां होना है, उनकी जगह पर किसे लाया जाना है इसकी पूरी जानकारी बाकायदा दस्तखत और तारीख के साथ मय सबूतों के ईडी के अधिकारियों को इसी घर में मिली. एक दस्तावेज पर लिखा था कि ”हटाना जरूरी है”. उसमें ग्रामीण विकास विभाग के अफसरों के ट्रांसफर से जुड़े पते दर्ज हैं. विभागीय मंत्री आलमगीर आलम का लेटर हेड भी बरामद हुआ है.

झारखंड में ईडी ने मंत्री के निजी सचिव के सहायक के घर पर ही छापेमारी नहीं की, बल्कि संजीव लाल के करीबी बिल्डर मुन्ना सिंह के घर भी रेड की. यहां से काफी कैश बरामद हुआ. सड़क निर्माण विभाग के इंजीनियर के घर पर भी छापेमारी की. कुल मिलाकर झारखंड की 6 अलग-अलग लोकेशन पर कार्रवाई हुई.

वीरेंद्र राम एक साल से जेल में हैं बंद

दरअसल, नवंबर 2019 में झारखंड एंटी करप्शन ब्यूरो ने ग्रामीण कार्य विभाग के चीफ इंजीनियर वीरेंद्र राम के सहयोगी जूनियर इंजीनियर सुरेश प्रसाद वर्मा को एक ठेकेदार से 10 हजार रुपए रिश्वत लेते पकड़ा था, जिस वक्त उन्हें पकड़ा गया वो वीरेंद्र राम के मकान में रहता था. तब इसी घर से छापेमारी के दौरान 2 करोड़ कैश मिला था. उस समय सुरेश वर्मा ने दावा किया था कि पैसे वीरेंद्र राम के हैं. इसी के बाद वीरेंद्र राम की गिरफ्तारी हुई. चूंकि ये पूरा मामला मनी लॉन्ड्रिंग का था इसलिए इसमें ईडी की एंट्री हुई. ईडी ने उन्हें हिरासत में लेकर पूछताछ की थी.

पूछताछ के दौरान चीफ इंजीनियर वीरेंद्र कुमार राम ने कबूला था कि वो ठेकेदारों से टेंडर अलॉटमेंट को लेकर कमीशन के नाम पर रिश्वत लेता था. उसने अपने 14 अप्रैल 2023 को दिए बयान में ये भी खुलासा किया था कि ठेकेदारों से कुल निविदा मूल्य का 3.2% कमीशन लिया जाता था और उसका खुद का शेयर 0.3% था. वीरेंद्र राम पिछले एक साल से जेल में बंद हैं. उन्होंने ईडी से ये भी कबूला था कि रिश्वत का पैसा मंत्री के घर पहुंचाया जाता है. ये पहली बार था जब ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम और उनके निजी सचिव संजीव लाल का इस मामले में नाम आया था और अब हुई कार्रवाई भी इसी खुलासे में अगला कदम है.

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