Let’s travel together.

नवरात्रि छटवा मां ::मां दुर्गा की छठवीं शक्ति हैं मां कात्यायनी

0 18

 

नवरात्रि में छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है। इनकी उपासना और आराधना से भक्तों को बड़ी आसानी से अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष चारों फलों की प्राप्ति होती है। उसके रोग, शोक, संताप और भय नष्ट हो जाते हैं। जन्मों के समस्त पाप भी नष्ट हो जाते हैं। इस देवी को नवरात्रि में छठे दिन पूजा जाता है। 

नवरात्रि के छठें दिन सबसे पहले अपने हाथ में एक कमल का फूल लेकर मां कात्यायनी का ध्यान करें. इसके बाद मां कात्यायनी का पंचोपचार से पूजा कर, उन्हें लाल फूल, अक्षत, कुमकुम और सिंदूर अर्पित करें. इसके बाद उनके सामने घी या कपूर जलाकर आरती करें. अंत में मां के मन्त्रों का उच्चारण करें. इस दिन मां कात्यायनी की पूजा में सफेद या पीले रंग का इस्तेमाल कर सकते हैं. मां कात्यायनी शुक्र ग्रह को नियंत्रित करती हैं. शत्रुओं पर विजय पाने के लिए मां कात्यायनी की पूजा की जाती है और देवी स्वयं नकारात्मक शक्तियों का अंत करने वाली देवी हैं.

कात्य गोत्र में विश्वप्रसिद्ध महर्षि कात्यायन ने भगवती पराम्बा की उपासना की। कठिन तपस्या की। उनकी इच्छा थी कि उन्हें पुत्री प्राप्त हो। मां भगवती ने उनके घर पुत्री के रूप में जन्म लिया।इसलिए यह देवी कात्यायनी कहलाईं। इनका गुण शोधकार्य है। इसीलिए इस वैज्ञानिक युग में कात्यायनी का महत्व सर्वाधिक हो जाता है। इनकी कृपा से ही सारे कार्य पूरे जो जाते हैं। ये वैद्यनाथ नामक स्थान पर प्रकट होकर पूजी गईं। मां कात्यायनी अमोघ फलदायिनी हैं।भगवान कृष्ण को पति रूप में पाने के लिए ब्रज की गोपियों ने इन्हीं की पूजा की थी। यह पूजा कालिंदी यमुना के तट पर की गई थी। इसीलिए ये ब्रजमंडल की अधिष्ठात्री देवी के रूप में प्रतिष्ठित हैं। इनका स्वरूप अत्यंत भव्य और दिव्य है। ये स्वर्ण के समान चमकीली हैं और भास्वर हैं।
इनकी चार भुजाएं हैं। दाईं तरफ का ऊपर वाला हाथ अभयमुद्रा में है तथा नीचे वाला हाथ वर मुद्रा में। मां के बाईं तरफ के ऊपर वाले हाथ में तलवार है व नीचे वाले हाथ में कमल का फूल सुशोभित है। इनका वाहन भी सिंह है।

इनकी उपासना और आराधना से भक्तों को बड़ी आसानी से अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष चारों फलों की प्राप्ति होती है। भक्तों के रोग, शोक, संताप और भय नष्ट हो जाते हैं। जन्मों के समस्त पाप भी नष्ट हो जाते हैं। इसलिए कहा जाता है कि इस देवी की उपासना करने से परम पद की प्राप्ति होती है।

चंद्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना।

कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवघातिनी॥

 

Leave A Reply

Your email address will not be published.

गांव के पांच तालाबों का बदलेगा स्वरूप, जिला पंचायत ने शुरू किया काम     |     मंत्री जी ऐसा मत करिए, ये आपकी भी नब्ज टटोलेंगे     |     जबलपुर की होटल विजन महल में भीषण आग, दमकल की छह गाड़ियों ने की मशक्‍कत     |     अंधमुख बाईपास में खड़े टैंकर से टकराए ट्रक और मेट्रो, ड्राइवरों को गंभीर चोटें     |     तलाकशुदा पति को फंसाया, मां ने ही रची थी बेटी की अपहरण की साजिश     |     रायपुर पुलिस द्वारा आरंग में पुलिस नाका लगाकर किए जा रहे चेकिंग के दौरान पिकअप से 50 लाख रुपए जप्त     |     धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने किए भगवान महाकाल के दर्शन, बोले भारत हिंदू राष्‍ट्र बने     |     हिंदू राष्‍ट्र के मुद्दे पर बोले धीरेंद्र शास्त्री- अब कृष्ण भी माखन-मिश्री खाएंगे बस देखते जाओ     |     मोती सिंह कांग्रेस से चुनाव लड़ेंगे या नहीं, हाईकोर्ट में सुनवाई पूरी, आदेश सुरक्षित     |     शेखापुर स्कूल का 12वीं का परीक्षा परिणाम शून्य, कई छात्रों का 40 प्रतिशत से भी नीचे     |    

Don`t copy text!
पत्रकार बंधु भारत के किसी भी क्षेत्र से जुड़ने के लिए इस नम्बर पर सम्पर्क करें- 9425036811